अमेरिका और रूस के संबंधों में तनाव के बीच बुधवार को दोनों देशों के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) आमने-सामने की बैठक करेंगे. यह बैठक स्विट्जरलैंड के जिनेवा में होगी. इस बीच कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मसलन इस बैठक की क्या अहमियत है और इसके क्या नतीजे होंगे?
पुतिन के साथ बैठक से पहले बाइडेन ने उन्हें एक ‘‘काबिल विरोधी’’ बताया है, हालांकि बाइडेन ने बैठक की सफलता को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं जताया.
जब बाइडेन से पूछा गया कि वह पुतिन के साथ बैठक से क्या हासिल करने की उम्मीद रखते हैं, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, ‘‘जिन क्षेत्रों में हम सहयोग कर सकते हैं उन पर भी चर्चा होगी.’’ उन्होंने आगाह किया कि अगर रूस ने साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग से इनकार किया तो ‘‘अमेरिका इसका जवाब देगा.’’
माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान बाइडेन अमेरिकी चुनाव में कथित रूसी साइबर हमले समेत मानवाधिकार के मुद्दों को भी उठा सकते हैं.
अमेरिका-रूस समिट से कोई ठोस नतीजा निकलेगा?
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने सोमवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था, ‘‘हम अमेरिका-रूस समिट को किसी नतीजे की दृष्टि से नहीं देखते क्योंकि अगर आप वाकई बैठक से कुछ अहम नतीजे निकलने की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको संभवत: लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है. इसलिए हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है कि समिट हो रही है और हमें बुनियादी तौर पर एक मौका दे रही है कि हमारे राष्ट्रपति और उनके राष्ट्रपति इस बारे में बातचीत कर सकें कि अमेरिकियों की आकांक्षाएं और क्षमताएं क्या हैं और उनकी तरफ से हम भी इस बारे में विचार सुन सकें.’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका-रूस संबंधों से जुड़े जटिल मुद्दों पर बात करने के लिए इस समिट में शामिल होना हमारे दृष्टिकोण से रूस के साथ बातचीत को लेकर सही दिशा में कदम है.
सुलिवन ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच यह ‘‘पुष्टि करने, यह स्पष्ट करने और बताने का समय है कि हमारी उम्मीदें क्या हैं और अगर कुछ नुकसानदायक गतिविधियां जारी रहती हैं तो अमेरिका उनका जवाब देगा.’’
उधर, रूस ने भी संकेत दिए हैं कि बाइडेन और पुतिन की बैठक से कोई ठोस नतीजा निकलने की संभावना कम ही है, हालांकि फिर भी उसने इसे अहम बताया है.
हथियार नियंत्रण के मुद्दे पर कुछ रास्ता निकलने की उम्मीद
बाइडेन और पुतिन की बैठक से हथियार नियंत्रण पर कुछ रास्ता निकलने की उम्मीद है. हथियार समझौते को लेकर दोनों देश एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं. हथियारों के नियंत्रण का ताना-बाना भयावह रहा है, विशेष रूप से 2019 में पहले अमेरिका और फिर रूस द्वारा - इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि से निकलने के कारण. इस समझौते ने तीन दशकों से ज्यादा समय तक मिसाइलों की एक समूची श्रेणी को नियंत्रित किया था.
इसके बाद, डोनाल्ड ट्रंप का तत्कालीन प्रशासन ‘ओपन स्काई’ संधि से भी बाहर हो गया. इस संधि के तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य प्रतिष्ठानों के ऊपर टोही विमानों का परिचालन कर सकते थे.
बाइडेन और पुतिन के सामने अब चुनौती है कि हथियार नियंत्रण प्राथमिकताओं पर बातचीत को कैसे शुरू किया जाए. वहीं, बाइडेन को चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर राजनीतिक दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है.
रैंसमवेयर हमलों पर अमेरिका के बढ़ते फोकस, अमेरिकी चुनावों में कथित रूसी हस्तक्षेप, यूक्रेन की सीमा पर रूस की कार्रवाई और सोलरविंड्स हैकिंग अभियान जैसे मुद्दों के बीच हथियार नियंत्रण का मुद्दा बाइडेन-पुतिन समिट में भारी पड़ सकता है.
इस बीच, रूस और अमेरिका के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि वे रणनीतिक स्थिरता को लेकर बातचीत को अहम मानते हैं, जिसमें शायद हथियार नियंत्रण पर बातचीत नहीं होगी, बल्कि निचले स्तर पर चर्चाओं की शुरुआत होगी, जिसका मकसद यह तय करना है कि हथियार नियंत्रण एजेंडा को कैसे व्यवस्थित किया जाए और प्राथमिकता दी जाए.
हाल ही में सुलिवन ने कहा था, ‘‘हमें उम्मीद है कि दोनों राष्ट्रपति रणनीतिक स्थिरता पर अपनी-अपनी टीम को साफ संदेश देना चाहेंगे ताकि हम तनाव घटाने के लिए हथियार नियंत्रण और परमाणु क्षमता से जुड़े दूसरे मुद्दों पर प्रगति कर सकें.’’
वहीं, बाइडेन ने अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में लिखा, ‘‘हम एक स्थिर और अपेक्षित संबंध चाहते हैं, जहां हम रूस के साथ रणनीतिक स्थिरता और हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दों पर बात कर सकें.’’
(PTI के इनपुट्स समेत)
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