रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच जारी युद्ध को एक साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन युद्ध कब थमेगा इस पर अब तक सवाल बना हुआ है. इसी बीच चीन (China Peace ) ने युद्ध को खत्म करने के लिए 12 सुझावों वाला प्रस्ताव पेश किया है. चीन ने यह शांति प्रस्ताव इसलिए पेश किया ताकी रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध खत्म हो.
हम आपको बताएंगे कि चीन द्वारा पेश किए गए 12 सुझाव क्या हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि चीन अचानक से मध्यस्थता की भूमिका में क्यों आना चाह रहा है?
चीन ने 'पोजीशन पेपर' में क्या लिखा है?
चीन के 'चाइनाज पोजिशन ऑन पॉलिटिकल सेटलमेन्ट ऑफ द यूक्रेन क्राइसिस' नाम के पेपर के अनुसार,
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार सभी देशों की संप्रभुता, उनकी आजादी और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय कानून सभी के लिए समान हैं और इनका पालन करने में दोहरी मानसिकता नहीं होनी चाहिए.
शीत युद्ध की मानसिकता छोड़नी होगी. किसी एक देश की सुरक्षा के लिए दूसरे देशों की सुरक्षा को दांव पर नहीं लगाया जा सकता. दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए सभी पक्षों को एक ही विजन पर चलना होगा.
दुश्मनी से किसी को फायदा नहीं. इसे रोकना होगा. सभी पक्षों को वाजिब रवैया अपनाते हुए संयम दिखाना होगा ताकि इस तरह के संघर्ष की चिंगारी और न भड़के और हालात बेकाबू होने से बच जाए.
यूक्रेन में शांति के लिए बातचीत बेहद जरूरी है. यूक्रेन समस्या को खत्म करने के लिए बातचीत और विचार-विमर्श ही एक मात्र रास्ता है.
यूक्रेन युद्ध से पैदा मानवीय संकट को सुलझाने की दिशा में हर संभव कदम उठाना चाहिए. मदद के लिए सभी ऑपरेशनों को निष्पक्ष रहते हुए अंजाम दिया जाए. इन मुद्दों का राजनीतिकरण न हो.
युद्ध के दौरान नागरिकों और युद्धबंदियों की रक्षा की जाए. संघर्ष में शामिल सभी पक्ष मानवता के अंतरराष्ट्रीय नियम का पालन करें और नागरिक ठिकानों पर हमले न करे. महिलाओं, बच्चों और युद्ध के शिकार लोगों की रक्षा हो. युद्धबंदियों के बुनियादी अधिकारों को संरक्षित किया जाए.
न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा का पूरा इंतजाम होना चाहिए. चीन न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के खिलाफ है.
चीन लड़ाई में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ है. परमाणु हथियारों की धमकी भी न दी जाए.
यूक्रेन युद्ध से पैदा खाद्य संकट को देखते हुए अनाज के निर्यात में अड़चनों को खत्म किया जाना चाहिए. सभी पक्षों को रूस, तुर्की, यूक्रेन और संयुक्त राष्ट्र की ओर से अनाज सप्लाई के लिए शुरू की गई ब्लैक सी इनिशिएटिव को लागू करना चाहिए.
चीन इकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ है. इससे संकट का हल नहीं हो सकता. इससे नई समस्याएं ही पैदा होती हैं.
सभी पक्षों को ये समझना चाहिए कि मौजूदा आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने की जरूरत है और किसी को भी राजनीतिक कारणों से वैश्विक अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल एक हथियार की तरह नहीं करना चाहिए.
युद्ध के कारण जो तबाही हुई है उससे उबरने के लिए अंत्तरराष्ट्रीय समुदाय को इस तरह से स्थानों में खास काम करने की जरूरत है. जरूरत पड़ने पर चीन इसमें साथ देने के लिए तैयार है और वो इसमें सकारात्मक भूमिका निभाएगा.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि, यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की चीन द्वारा पेश की गई योजना के बारे में चर्चा करने के लिए वो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करना चाहते हैं.
"यूक्रेन के खिलाफ चीन की ये योजना बताती है कि वो इस मामले में शांति के रास्ते खोज रहा है. मैं वाकई इस पर यकीन करना चाहता हूं कि चीन रूस को हथियार सप्लाई नहीं करेगा."
क्या चीन विश्व गुरु बनना चाह रहा? शांति प्रस्ताव के पीछे क्या कारण है?
चीन ने केवल युद्ध को खत्म करने की योजना ही नहीं बताई बल्की एक और पेपर जारी कर वैश्विक शांति का प्रस्ताव भी जारी किया है. इससे एक बात तो साफ है कि चीन अपने आप को एक वैश्विक गुरू के रूप में पेश कर रहा है जो दुनिया में शांति कायम करने की क्षमता रखता हो. चीन के पेपर से साफ जाहिर होता है कि चीन उन देशों को साध रहा है जो विश्व के दक्षिण में हैं, जैसे कि चीन ने भी अपने पेपर में जिक्र किया है - दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका.
चीन एक तरह से खुद को विकल्प बता रहा है, खासकर उस दुनिया को जो अमेरिका को ही सर्व शक्तिशाली मानता है. चीन ने यह पेपर उस समय जारी किया है जब तक पूरी दुनिया पश्चिम को देख रही थी कि वह इस युद्ध सुलझाने की कोशिश कैसे कर रहा है.
इसके अलावा चीन अमेरिका को भी सीधा संदेश देने की कोशिश में है. बीबीसी से बातचीत में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में चीन-रूस संबंधों के विशेषज्ञ अलेक्जेंडर कोरोलेव ने बताया कि, "चीन अमेरिका को ये संदेश दे रहा है कि रूस इस समय अकेला नहीं है, उसके साथ चीन खड़ा है और अगर कभी भविष्य में अमेरिका ने चीन को लेकर कोई कड़ा कदम अपनाया तो रूस भी उसके साथ आएगा."
उन्होंने कहा कि, "शांति समझौतो को सामने लाने का समय देखिए जब अमेरिका और चीन के रिश्तों में तल्खी बढ़ रही है."
उन्होंने आगे कहा कि, "चीन के पास इस युद्ध को समाप्त करने के कितने अवसर थे, पहले भी चीन को दूसरे देशों ने इसे सुलझाने के लिए न्यौता दिया था लेकिन अब तक वह कहां था, चीन अचानक से इस भूमिका में सामने आया है, क्यों?"
बता दें कि, चीन ने खासकर फ्रांस, जर्मनी, इटली और हंगरी का रुख किया क्योंकि वह जानता है ये देश रूस को लेकर ज्यादा सख्त नहीं है. हालांकि चीन की योजना कितनी सफल होती है ये तो वक्त ही बताएगा.
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