रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच जारी संघर्ष में एक भारतीय छात्र के मारे जाने के एक दिन बाद भारत में नए रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि मास्को रूसी-यूक्रेनी सीमा के माध्यम से भारतीयों के सुरक्षित मार्ग के लिए "मानवीय गलियारा" (ह्यूमेनिटेरियन कॉरिडोर) बनाने पर काम कर रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि रूस यूक्रेन के शहर खार्किव (Kharkiv) में 21 वर्षीय भारतीय मेडिकल छात्र की मौत की जांच करेगा.
इसके बाद नई दिल्ली ने यूद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसे भारतीयों के बारे में रूसी और यूक्रेनी दोनों अधिकारियों को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. अब तक लगभग 4,000 भारतीय-ज्यादातर मेडिकल कॉलेजों के छात्र यूक्रेन के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में रूसी सीमा के करीब फंसे हुए हैं.
रूसी दूत की टिप्पणियों के कुछ घंटों बाद यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने बुधवार को खार्किव में फंसे सभी भारतीयों को तुरंत उस क्षेत्र को छोड़ने के लिए कहा है. दूतावास ने भारतीयों को जल्द से जल्द पेसोचिन, बाबे और बेजलुडोवका की बस्तियों तक पहुंचने के लिए कहा है.
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "उन्हें तुरंत वहां से किसी भी साधन से निकल जाना चाहिए फिर भले ही पैदल क्यों न जाना पड़े."
दूतावास ने कहा, "उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें तुरंत खार्किव छोड़ना होगा. जल्द से जल्द पेसोचिन, बाबे और बेजलुडोव्का के लिए आगे बढ़ें, उन्हें आज 6 बजे (यूक्रेनी समय) तक इन बस्तियों तक पहुंचना होगा."
एक मीडिया ब्रीफिंग में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि, रूस भारतीयों की सुरक्षा के मुद्दे पर भारत के संपर्क में है और सुरक्षित मार्ग को जितनी जल्दी हो सके बनाया जाएगा.
उन्होंने कहा, "हम यूक्रेन में विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों में फंसे भारतीयों के लिए गलियारा और सुरक्षित मार्ग बनाने पर काम कर रहे हैं."
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