यूक्रेन पर रूसी हमलों (Russia-Ukraine War) को शुरू हुए 12 दिन हो चुके हैं. जहां अब तक हजारों निर्दोष लोगों की मौत और 20 लाख से अधिक के रिफ्यूजी बनने की खबर है वहीं दुनिया की अर्थव्यवस्था भी इसका दंश झेल रही है. पश्चिमी शक्तियों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत (Oil Price) आसमान छू रही है. महंगाई की मार झेल रहे लोगों को ऐसे में एक उम्मीद दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में बसे देश वेनेजुएला (Venezuela) से आई है.
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने सोमवार, 7 मार्च को संकेत दिया कि अगर रूस के ऑयल सप्लाई को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में आने से रोका जाता है तो वेनेजुएला अपने ऑयल प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है.
रूस का मित्र देश कहा जाने वाला वेनेजुएला रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच क्रूड ऑयल मार्केट में संभावित रिप्लेसमेंट के तौर पर सामने आया है. हालांकि इस संभावना में कई पेंच हैं.
राजनीतिक पेंच
वर्तमान में अमेरिका ने वेनेजुएला की ऑयल इंडस्ट्री पर प्रतिबंध लगा रखा है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो अमेरिका में सरकार में बैठे लोग वेनेजुएला की ऑयल इंडस्ट्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार कर रहे हैं ताकि ग्लोबल ऑयल मार्केट में सप्लाई चेन को मजबूत किया जा सके और तेजी से बढ़ते क्रूड ऑयल की कीमतों पर लगाम लगाया जा सके.
लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होगा. अमेरिकी संसद के कई सदस्य वेनेजुएला के साथ अमेरिका के संबध को सुधारने और उसके ऑयल इंडस्ट्री को ग्लोबल मार्केट में स्वतंत्र रूप से जगह बनाने की इजाजत देने के पक्ष में नहीं हैं. उनका तर्क है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश में दूसरे ‘तानाशाह’ शासकों को शह देना सही नहीं होगा.
न्यू जर्सी से सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने अपने एक बयान में कहा है कि वेनेजुएला के साथ ऑयल ट्रेड को फिर से शुरू करने से "एक मानवीय संकट को बनाए रखने का जोखिम है जिसने एक पूरे जेनेरेशन के लिए लैटिन अमेरिका और कैरिबियन को अस्थिर कर दिया है."
मालूम हो कि अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया है. 2019 में तात्कालिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने वेनेजुएला में विपक्ष के नेता जुआन गाइडो को अपनी मान्यता देकर मादुरो को सत्ता से बाहर करने की कोशिश भी की थी.
व्यहवारिकता पर भी सवाल
रूस पर लगे प्रतिबंध के कारण कमजोर पड़े ऑयल सप्लाई चेन के जवाब में वेनेजुएला के पास जाने में राजनीतिक पेंच के साथ-साथ उसके व्यहवारिकता पर भी सवाल है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वेनेजुएला के ऑयल फील्ड लंबे समय से कुप्रबंध (मिसमैनेजमेन्ट) के शिकार हैं और कई इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी मदद से ऑयल सप्लाई को बढ़ाने की प्रक्रिया धीमी रह सकती है.
वेनेजुएला का ऑयल इंडस्ट्री अमेरिकी प्रतिबन्ध के कारण अंडर इन्वेस्टमेंट से पीड़ित हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एकाएक वेनेजुएला ऑयल इंडस्ट्री के प्रबंधन और प्रोडक्शन को सुधारना मुमकिन नहीं होगा.
यानी मौजूदा स्थिति में रूस के बिना ग्लोबल ऑयल सप्लाई चेन को फिर से दुरुस्त करने के लिए वेनेजुएला से इतर देखने की भी जरूरत होगी.
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