श्रीलंका में बढ़ते विरोध प्रदर्शन और राजनेताओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाओं के बीच देश की सेना ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों को हिंसा का सहारा लेने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
श्रीलंका के रक्षा सचिव, जनरल (सेवानिवृत्त) कमल गुणरत्ने, जिन्होंने कहा कि सेना विरोध प्रदर्शनों की सख्ती से निगरानी कर रही है, ने जनता से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया।
गुणरत्ने ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के दो समूह हैं - एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहा है जबकि दूसरा समूह जानबूझकर हिंसक विरोध प्रदर्शनों में संगठित तरीके से शामिल है।
उन्होंने दोहराया कि आपातकालीन कानून के बीच शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना लोगों का अधिकार है, लेकिन सुरक्षा बल हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कानून लागू करने से नहीं हिचकेंगे।
देश की पुलिस ने भी यह घोषणा की है कि वह वीडियो साक्ष्य का उपयोग करके हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करेगी।
सोमवार को मंत्रिमंडल के इस्तीफा देने के बाद, कोलंबो के आसपास बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसमें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय और उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के शहर के बीचों-बीच स्थित आधिकारिक आवास के पास हुए प्रदर्शन भी शामिल हैं।
धरना सोमवार देर रात तक चलता रहा। दिन के दौरान कोलंबो में राष्ट्रपति के छोटे भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे के घर और बड़े भाई और पूर्व मंत्री चमल राजपक्षे के घर को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया।
आंदोलन अन्य हिस्सों में भी फैल गया और प्रदर्शनकारियों ने सरकारी सांसदों के घरों पर हमला किया। आंदोलनकारियों ने श्रीलंका में दक्षिण में उनके गृहनगर तंगाले में राजपक्षे के घर को भी घेर लिया, जबकि लगभग 10 पूर्व कैबिनेट मंत्रियों के घरों को घेर लिया गया, जिससे वाहनों सहित संपत्तियों को नुकसान पहुंचा।
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा, जबकि पूर्व पेट्रोलियम मंत्री गामिनी लोकुगे पर हुए हमले के बाद व्याप्त हुए तनाव के दौरान चार लोग घायल हो गए।
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को स्पीकर से राजनेताओं पर हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया।
विक्रमसिंघे ने चेताते हुए कहा, कार्यकारी राष्ट्रपति और फिर सरकार के खिलाफ विरोध शुरू हो गया। सोमवार तक, सांसदों के कई घरों को लोगों ने घेर लिया। सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं के खिलाफ गुस्सा अब देश के सभी राजनेताओं तक फैल गया है। हमें इस स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए।
ईस्टर संडे हमले के लिए राजपक्षे सरकार पर आरोप लगाने वाले कलाकारों, पेशेवरों, वकीलों, विश्वविद्यालय और कैथोलिक चर्च ने मंगलवार को कोलंबो में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
द्वीप राष्ट्र में राजनीतिक संकट के बाद पहली बार मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर संसद और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
सभी सांसदों को पिछले दरवाजे से संसद में प्रवेश करना पड़ा, क्योंकि प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद के मुख्य प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया गया था।
ईंधन, एलपीजी, दवा, भोजन की कमी और व्यापक बिजली कटौती के कारण महीनों से चली आ रही परेशानी से परेशान प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार रात कोलंबो उपनगर के मिरिहाना में राष्ट्रपति के निजी आवास को घेर लिया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसूगैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिन्होंने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफा देने की मांग की।
बाद में, उन्हें पुलिस और सेना द्वारा पीटा गया और 50 से अधिक को गिरफ्तार कर लिया गया। दबाव के बीच रविवार रात कैबिनेट भंग कर दी गई। राष्ट्रपति ने विपक्षी दलों को मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन नेताओं ने इस ऑफर को ठुकरा दिया।
देश भर में विरोध के बीच, राष्ट्रपति राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, लेकिन वे संसद में 113 सीटों के साथ बहुमत को साबित करने वाले दल को सत्ता सौंपने के लिए सहमत हो गए हैं।
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