एयरोनॉटिकल इंजीनियर सिरीशा बांदला (Shirisha Bandla) रविवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली तीसरी भारतीय मूल की महिला बन गईं. उन्होंने न्यू मैक्सिको से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन सहित वर्जिन गैलेक्टिक के पूर्ण चालक दल सदस्य के साथ उपकक्षीय परिक्षण उड़ान भरी.
वर्जिन गेलेक्टिक की वीएसएस यूनिटी स्पेसप्लेन है, जिसने खराब मौसम की वजह से करीब 90 मिनट की देरी से न्यू मैक्सिको के ऊपर 1.5 घंटे के मिशन के लिए उड़ान भरी.
बांदला, ब्रैनसन और पांच अन्य लोगों के साथ न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष की यात्रा करने के लिए वर्जिन गेलेक्टिक के स्पेसशिप टू यूनिटी में शामिल हुईं.
उड़ान भरने से कुछ दिन पहले 34 साल की बंदला ने ट्वीट किया,
"मैं यूनिटी 22 के अद्भुत क्रू का हिस्सा बनकर और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनकर बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं, जिसका मिशन सभी को स्पेस उपलब्ध कराना है।"
उन्होंने 6 जुलाई को वर्जिन गेलेक्टिक के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा,
"जब मैंने पहली बार सुना कि मुझे यह अवसर मिल रहा है, तब मैं निशब्द हो गयी. यह विभिन्न पृष्ठभूमि, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और विभिन्न समुदायों के लोगों के अंतरिक्ष में होने का एक अविश्वसनीय अवसर है."
यूनिट 22 का प्राथमिक उद्देश्य वर्जिन गैलेक्टिक द्वारा भविष्य की यात्री उड़ानों के लिए परिक्षण करना है.
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में हुआ था बांदला का जन्म
बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ है जबकि उनकी परवरिश ह्यूस्टन में हुई है. अंतरिक्ष यात्री के तौर पर उनका बैज नंबर 004 था और उड़ान में उनकी भूमिका अनुसंधान करने की थी. अन्य चालक दल सदस्यों में दो पायलट और अरबपति ब्रैनसन सहित तीन अन्य लोग थे.
बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई हैं.
उनसे पहले कल्पना चावला और सुनता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं. हालांकि, भारतीय नागरिक के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले एक मात्र विंग कमांडर राकेश शर्मा हैं. वायुसेना के पूर्व पायलट शर्मा तीन अप्रैल 1984 को सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे.
बांदला जब चार साल की थीं, तब वह अमेरिका चली गई थीं और साल 2011 में पुर्डे यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स से उन्होंने विज्ञानं में स्नातक किया. वर्ष 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की.
बंदला यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लिए एक एस्ट्रोनॉट बनना चाहती थीं. हालांकि, उनकी कमजोर आई-साईट की वजह से वह पायलट या एस्ट्रोनॉट बनने की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती थी.
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