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‘महामूर्ख महामहिम’ के देश में जीने का दर्द अमेरिकियों से पूछिए

4 साल पहले की गई गलती की सजा भुगत रहा अमेरिका!

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कहते हैं मूर्ख दोस्त से बेहतर है समझदार दुश्मन. लेकिन अमेरिकियों ने करीब चार साल पहले जो गलती की, उसका खामियाजा आज तक भुगत रहे हैं. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) नाम के शख्स को अपना दोस्त बना लिया और उसके हाथ में अपनी जिंदगियों की बागडोर भी दे दी.

ट्रंप ने भी खूब दोस्ती निभाई- हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे.

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बेचारे ट्रंप-कोरोना संक्रमित होने पर भी उड़ रहा मजाक

ट्रंप अब खुद कोरोना पॉजिटिव हैं. उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप भी. उनकी सलाहकार होप हिक्स भी. विडंबना देखिए कि जब दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कोरोना के आगे कमजोर हो गया तो उसे रोने के लिए कंधा देने बजाय लोग खिल्ली उड़ा रहे हैं. अमेरिका के महामहिम की मिट्टी पलीद करने के लिए, और इसके साथ पूरे अमेरिका को मजाक का पात्र बना देने के लिए, खुद डोनाल्ड ट्रंप जिम्मेदार हैं. सबसे ताजा वाकया तो प्रेसिडेंशियल डिबेट के वक्त घटी 'दुर्घटना' है.

कोरोना पर झूठ के 'सुपर स्प्रेडर' ट्रंप

प्रेसिडेंशियल डिबेट में ट्रंप ने जो बाइडेन का मजाक उड़ाया था कि देखो मैं छोटा सा मास्क पहनता हूं, ये बड़ा और मोटा सा पहनते हैं. मास्क को लेकर ट्रंप का मजाक ये पहली बार नहीं था. वो पहले भी इसे हल्के में ले चुके हैं. कोरोना को लेकर उनका रवैया शुरू से लापरवाही भरा रहा.

कभी ट्रंप कहते पाए गए कि अल्ट्रावॉयलट किरणों को शरीर के अंदर से गुजारना चाहिए, कोरोना का इलाज हो सकता है, तो कभी सुना गया कि वो कोरोना का कीटनाशक से इलाज करने को लेकर उत्साहित हैं. कभी ट्रंप कहते कि ब्लीच से कोरोना भाग जाएगा तो कभी कहते कि आइसोप्रोपिल एल्कोहल है कोरोना का तोड़.

ट्रंप ने ये भी कहा कि कोरोना सिर्फ ज्यादा उम्र या हॉर्ट के मरीजों पर हमला करता है. ट्रंप की सनक का आलम देखिए जब कहीं से उन्हें सुराग लगा कि हाइड्रोक्लोरोक्वीन से कोरोना का इलाज होता है तो उन्होंने इस दवाई के लिए भारत को धमकी दे डाली. बाद में पता चला कि ये दवा कारगर नहीं है.

ट्रंप झूठ पैदा करने की चलती फिरती मशीन हैं, लेकिन जब ये झूठ कोरोना जैसी महामारी के बारे में हो तो घातक हो जाता है.

अमेरिकी की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक ट्रंप पूरी दुनिया में कोरोना वायरस पर झूठ के सुपर स्प्रेडर हैं. स्टडी करने वालों ने 3.8 करोड़ लेखों को देखा तो पता चला कि कुल झूठी खबरों में से 38% में तो सिर्फ ट्रंप का जिक्र है. कोई ताज्जुब नहीं कि जब ट्रंप ने खुलासा किया कि उन्हें और उनकी पत्नी को कोरोना है तो किसी शख्स ने ट्विटर पर लिखा - इस मुश्किल समय में हमारी कोरोना वायरस के साथ पूरी सहानुभूति है

जब राष्ट्रपति हो मूर्ख तो मुसीबत

ट्रंप मेरी तरह सामान्य व्यक्ति होते और ये बकवास करते तो शायद इतना नुकसान नहीं होता. लेकिन दिक्कत है कि वो अमेरिका के राष्ट्रपति हैं. वो अमेरिका को बदल सकते हैं, दुनिया को बदल सकते हैं. उन्होंने बदला भी है. बस बदलाव बुरा है. जब पूरी दुनिया को WHO की जरूरत है तो उन्होंने WHO के खिलाफ मुहिम चला दी. ये अमेरिका का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि उन्होंने कोरोना पर वार का मतलब चीन पर हमला समझ लिया. कोरोना से अपनी जनता को बचाने से ज्यादा उन्होंने अपना ध्यान चीन को कोसने पर लगाया. नतीजे सामने हैं. 75 लाख कोरोना केस के साथ अमेरिका नंबर एक पर है. 2.12 लाख मौतों के साथ अमेरिका नंबर एक पर है. और ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. वाकई ट्रंप जैसे 'महामूर्ख' के राज में अमेरिकी सिटिजन होना बेहद दर्दनाक बात है. वैसे कोरोना के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ने की होड़ लगा रहे देश के नागरिकों को भी सोचना चाहिए- ट्रंप जैसी मूर्खता उनके यहां भी हुई है क्या?

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