इराक की राजधानी बगदाद में हुई अमेरिकी एयरस्ट्राइक की कड़ी निंदा करते हुए यूनाइटेड नेशंस (संयुक्त राष्ट्र) ने कहा, ये समय है जब हमें मजबूती के साथ डटे रहना होगा. ये विश्व एक दूसरा गल्फ वॉर बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
एक ट्वीट में यूनाइटेड नेशन ने कहा -
यूनाइटेड नेशन के महासचिव ने खाड़ी में लगातार बढ़ रहे तनाव पर अपनी चिंता जाहिर की है, उन्होंने सभी से शांति बनाये रखने की अपील की है. उन्होंने कहा ये समय है जब हमें मजबूती के साथ डटे रहना होगा,ये विश्व एक दूसरा गल्फ वॉर बर्दाश्त नहीं कर सकता है.
क्या ये दूसरे गल्फ युद्ध की शुरुआत है?
इराक की राजधानी बगदाद में हुई अमेरिकी एयरस्ट्राइक में ईरानी कुद्स फोर्स के हेड जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई . व्हाइट हाउस ने कहा है कि इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देशों पर अंजाम दिया गया है. जनरल सुलेमानी की मौत ईरान के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है.
अमेरिकी हमले के बाद ईरान की ओर से जवाबी हमले की आशंका व्यक्त की जा रही है. जाहिर है इसका बड़ा असर होगा और इससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा.
मिडिल ईस्ट से आ रही खबरों के मुताबिक ईरान में अमेरिका के इस हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान की ओर से अगर बदले की कोई कार्रवाई की गई तो इसकी जद में ईराक समेत पूरा मिडिल ईस्ट आ जाएगा. अमेरिका के ईरान के टॉप जनरल पर हमला एक तरह से युद्ध का ऐलान है और इसमें मिडिल ईस्ट का जलना तय है.
अमेरिकी एयरस्ट्राइक में ईरानी कुद्स फोर्स के हेड जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान गुस्से में है. ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने ट्वीट कर अमेरिका से बदला लेने की धमकी दी है.
भारत पर क्या होगा असर?
मिडिल ईस्ट में तनाव का असर भारत पर पड़ना तय है. हालांकि भारत ईरान से तेल खरीदना कम कर चुका है लेकिन अब भी इसकी खरीद में उसका बड़ा हिस्सा है. ईरानी जनरल की मौत की खबर के बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ गए थे और इसका सीधा असर भारत के बाजारों में दिखा, जहां तेल के दाम तुरंत बढ़ गए. भारतीय तेल मार्केटिंग कंपनियों के शेयर गिर गए.
इस इलाके में किसी तनाव या जंग का असर मिडिल ईस्ट के देशों में काम कर रहे लगभग 80 लाख भारतीयों पर भी पड़ेगा. सिर्फ 30 लाख भारतीय तो सऊदी अरब में ही रहते हैं. इससे पहले भी यहां पैदा हुए तनावों के दौरान बड़ी संख्या में भारतीयों को वतन वापस लौटना पड़ा था.
भारत के खजाने पर भी इससे चोट पड़ेगी. इन देशों में काम करने वाले भारतीय हर साल 40 से 70 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भेजते हैं. ऐसे वक्त में जब भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है तो इस आय से महरूम होना भारत के लिए भारी पड़ सकता है.
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