तालिबान के वादे के मुताबिक 7 दिन 'हिंसा में कमी' डील शुक्रवार 21 फरवरी की रात से शुरू हो जाएगी. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है. अमेरिका और तालिबान 29 फरवरी को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि सालों के युद्ध के बाद तालिबान के साथ समझौता हो गया है. पोम्पियो ने कहा, "ये शांति के लिए बहुत जरूरी कदम है और मैं सभी अफगानों से इस मौके पर जुड़ने को कहता हूं."
शांति समझौता 29 फरवरी को कतर के दोहा में साइन किया जाएगा. इसके साथ ही अमेरिकी सेना की वापसी भी शुरू हो जाएगी. पोम्पियो ने कहा है कि समझौते से आखिरकार स्थायी सीजफायर होगा.
काबुल का प्रतिनिधित्व कौन करेगा?
अभी तक ये साफ नहीं है कि इंट्रा-अफगान बातचीत में काबुल का प्रतिनिधित्व कौन करने वाला है. हाल ही में अशरफ गनी दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीत गए हैं लेकिन विरोधियों ने गनी की जीत की निंदा करना शुरू कर दिया.
तालिबान ने गनी सरकार से बातचीत करने से इनकार कर दिया है और उनकी जीत की निंदा भी की है. तालिबान ने कहा है कि वो सरकारी प्रतिनिधियों से बात करेंगे लेकिन आम अफगान के तौर पर. पोम्पियो ने भी अपने बयान में नहीं बताया है कि काबुल की तरफ से कौन हिस्सा लेगा.
तालिबान ने जारी किया बयान
तालिबान ने 'हिंसा में कमी' डील पर अपना भी एक बयान जारी किया है. तालिबान ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर से पहले दोनों पार्टियां अब सुरक्षा का माकूल माहौल बनाएंगी.
तालिबान ने ये भी कहा कि वो अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और की सुरक्षा के लिए नहीं होने देंगे. इसके अलावा बयान में बताया गया है कि दोनों तरफ से कैदियों की रिहाई की व्यवस्था की जाएगी.
ट्रंप ने बातचीत रद्द की थी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सितंबर 2019 में अफगान शांति वार्ता रद्द करने का ऐलान किया था. काबुल में कार बम धमाके में 12 लोगों की मौत के बाद तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. इसके बाद ही ट्रंप ने शांति वार्ता भंग करने का ऐलान कर दिया. इस हमले में एक अमेरिकी सैनिक की भी मौत हो गई थी.
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