डिया में ई-सिगरेट बैन...ई-हुक्का पर बैन.. अब ई-सिगरेट के प्रोडक्शन, सेल, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन जिस ई-सिगरेट को स्मोकिंग की लत छुड़ाने की वाली डिवाइज कहा जा रहा था, जिससे सिगरेट के मुकाबले कम नुकसान की बातें होती थीं, उस पर बैन क्यों.....इसी बड़ी खबर पर है आज का द बिग स्टोरी पॉडकास्ट
सरकार ने साफ किया है कि अब ई-सिगरेट के बनाने-खरीदने-बेचने-पीने पर पहली बार पकड़े गए तो 1 साल की जेल या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. दोबारा पकड़े गए तो 3 साल की कैद या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों. सरकार ने इससे रिलेटेड अध्यादेश भी जारी कर दिया है...वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी.
कैबिनेट ने आज ई सिगरेट्स को बैन करने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि अब से ई सिगरेट की खरीद, बिक्री, प्रोडक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज, एडवटाइजमेंट सब कुछ बैन कर दिया गया है. ई-सिगरेट के युवाओं में बढ़ते असर को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. अमेरिका के ताजा आंकड़ों के मुताबिक स्कूली छात्रों में ई सिगरेट इस्तेमाल करने में 77.8 परसेंट की बढ़ोतरी देखी गई है. खास बात ये है कि मिडिल स्कूल के बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं.
दरअसल ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाली एक डिवाइस होती है, जिसमें कई तरह के वेपराइज्ड निकोटीन होते हैं. इसे मेडिकल भाषा में ENDS यानि इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलवरी सिस्टम भी कहते हैं.... दिखने में ये सिगरेट्स पैन, यूएसबी या फिर आम सिगरेट की तरह भी दिखती हैं. ई-सिगरेट और आम सिगरेट के बीच फर्क ये होता है कि ई-सिगरेट में टोबेको और बाकी हानिकारक कैमिकल नहीं होते. लोग आजकल ई-सिगरेट पीने को सिगरेट छोड़ने की शुरुआत के तौर पर देखने लगे हैं. यही वजह है कि भारत में काफी तेजी से ई-सिगरेट का चलन बढ़ा है. यूथ में ई-सिगरेट एक कूल टॉय बन चुका है, और इससे स्टेटस सिंबल का मसला भी जुड़ा है.
वैसे इस डिबेट से अलग हमारी आपको यही सलाह है कि इस डिबेट में पड़ना ही क्यों? ई-सिगरेट पर तो अब रोक लग चुकी है. तो अब इसे पीएंगे तो सजा मिल सकती है..हम तो यही कहेंगे कि सेहत ठीक रखने के लिए ई-सिगरेट और सिगरेट और किसी भी तंबाकु पदार्थ से एकदम दूर रहिए.
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