ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत की इकनॉमी को कैसे देखते हैं इकनॉमिस्ट, कैसे मिलेगा बूस्ट?  

20 लाख करोड़ रुपये के रिलीफ पैकेज के अलावा, क्या अब अलग से और ज्यादा स्टिमुलस सरकारी पेटी से निकल सकता है?

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
इनपुट्स: संजय पुगलिया
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

कोरोनावायरस महामारी ने तमाम देशों के पसीने छुड़ा दिए हैं, इसके चलते लगाए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरा असर पड़ा है. लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक ताजा रिपोर्ट में जो अंदाजा लगाया गया है, वो काफी ज्यादा परेशान करने वाला है. इसके मुताबिक भारतीय इकनॉमी पर इस महामारी का काफी ज्यादा और बुरा असर पड़ा है. हालात कुछ ऐसे हैं कि 5 ट्रिलियन इकनॉमी का सपना तो फिलहाल शायद फिलहाल सपना ही रहेगा.

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के मुताबिक बांग्लादेश, जो कल तक भारत से जीडीपी की रेस में काफी ज्यादा पीछे रहता था, वो प्रति व्यक्ति आय के मामले में शायद आगे निकल जाएगा.

आज के पॉडकास्ट में देश के इकनॉमी पर चर्चा करेंगे. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से IMF की चीफ इकनॉमिस्ट डॉ गीता गोपीनाथ की बातचीत का हिस्सा सुनेंगे. इतना ही नहीं कनॉमी के खस्ता हाल को लेकर कोटक महिंद्रा बैंक के MD और CEO उदय कोटक, और पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग को भी आप सुनेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×