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उर्दूनामा: गंगा जमुनी तहजीब के आईने से श्री राम

इस दिवाली, राम जी को याद करेंगे और उन्हें देखेंगे अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के आईने से

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हे राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज
एहले नजर समझते हैं उसको इमाम-ए-हिंद

ये शेर अल्लामा इकबाल की नज़्म 'राम' से है. इकबाल जिन्होंने 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा' लिखा, उन्होंने अपनी नज़्म 'राम ' में बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि भगवान श्री राम किसी एक धर्म या जाति के भगवान नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान के राम हैं. वो हैं 'इमाम-ए-हिंद'

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इस दिवाली, राम जी को याद करेंगे और उन्हें देखेंगे अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के आईने से. उर्दूनामा के इस दिवाली स्पेशल एपिसोड में, जामिया मिल्लिया इस्लामिया कॉलेज के प्रोफेसर दानिश इकबाल ने द क्विंट की फबेहा सय्यद से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने दास्तान-ए-राम क्यों लिखी. सुनिए पॉडकास्ट.

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