भारतीय फुटबॉल टीम रविवार को थाईलैंड के खिलाफ अपने एएफसी एशियन कप के सफर का आगाज करेगी. ये मैच भारतीय समय अनुसार शाम 7 बजे शुरू होगा. चौथी बार एएफसी एशियन कप में पहुंची भारतीय टीम की निगाहें हाल के महीनों में अपने प्रभावशाली नतीजों से प्रेरणा लेकर बेहतरीन प्रदर्शन करने पर होगी.
यह टूर्नामेंट अब पहली बार 24 टीमों के बीच खेला जाएगा जो पहले 16 टीमों का हुआ करता था. भारतीय टीम के पास नॉकआउट दौर में पहुंचने का मौका होगा जो 1964 में उप विजेता रह चुकी है. साल 1984 और 2011 में भारत ग्रुप स्टेज में टूर्नामेंट से बाहर हो गया था. चार-चार टीमों के छह ग्रुप में से हर एक में से दो टॉप टीमें और तीसरे नंबर पर रहने वाली चार टीमें राउंड 16 के लिये क्वालीफाई करेंगी.
चौथे एशियाई कप में भाग ले रही भारतीय टीम ने टूर्नामेंट से पहले चीन और ओमान से गोलरहित ड्रा खेला जबकि एशियाई कप से पहले तीसरे बड़े मैच में उसे जॉर्डन से 1-2 की करीबी हार का सामना करना पड़ा.
इंटरनेशनल फ्रैंडली मैचों में भी टीम को 13 मैचों में हार का सामना नहीं करना पड़ा और इसमें पिछले साल घरेलू मैदान पर इंटरकॉन्टिनेंटल कप की जीत भी शामिल है. कोच स्टीफन कांस्टेनटाइन के खिलाड़ी 2011 चरण के प्रदर्शन को भी सुधारने के लिये बेताब होंगे जिसमें उसने अपने सभी ग्रुप मैच गंवा दिये थे.
थाईलैंड के खिलाफ होने वाले मैच का नतीजा टीम के लिये काफी अहम होगा क्योंकि पॉजिटिव रिजल्ट से टीम के राउंड 16 में पहुंचने का मौका बढ़ जायेगा. अगर भारत इसमें जीत जाता है तो 10 जनवरी को यूएई और 14 जनवरी को बहरीन के खिलाफ होने वाले बचे हुए दो मैचों में ड्रा भी उन्हें नॉकआउट दौर में पहुंचा सकता है
थाईलैंड की टीम ने आसियान फुटबाल फेडरेशन चैम्पियनशिप में काफी गोल दागे थे जिससे भारत के लिये रक्षात्मक खेल अहम साबित हो सकता है. फीफा रैंकिंग में भारत 97वें जबकि थाईलैंड 118वें स्थान पर काबिज है लेकिन महाद्विपीय टूर्नामेंट में रैंकिंग का इतना महत्व नहीं होता. बल्कि ग्रुप में यूएई के बाद भारत दूसरी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग की टीम है. भारत और थाईलैंड एक दूसरे से 24 बार आमने-सामने हो चुके हैं जिसमें से थाईलैंड ने 12 मौकों पर जीत हासिल की है. वहीं भारत पांच बार जीता है जबकि बचे हुए सात मैच ड्रा रहे.
हाल के दिनों में दोनों टीमों ने एक दूसरे के खिलाफ काफी कम मैच खेले हैं. पिछली बार दोनों टीमें 2010 में भिड़ीं थीं. तब दो बार आमना-सामना हुआ था और थाईलैंड ने दोनों मैचों में 2-1 और 1-0 से जीत दर्ज की थी. पिछली बार जब भारत ने थाईलैंड को हराया था, वह 1986 में कुआलालम्पुर में मर्डेा कप था.
कांस्टेनटाइन ने मैच की एक शाम पहले कहा था कि ‘‘वह मैच शुरू होने के लिये बेताब हैं. '' भारतीय टीम की निगाहें गोल के लिये करिश्माई स्ट्राइकर सुनील छेत्री पर लगी होंगी जबकि उनके स्ट्राइक जोड़ीदार जेजे लालपेखलुवा की हालिया फार्म चिंता का विषय हो सकती है. संदेश झिंगन डिफेंस की अगुवाई करेंगे और बैकलाइन में अनस इडाथोडिका उनके जोड़ीदार होंगे.
गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू शानदार फॉर्म में हैं. कांस्टेनटाइन अपनी पहली पसंद के विंगर उदांता सिंह और हलीचरण नार्जरी को उतारेंगे जो अग्रिम पंक्ति में छेत्री और लालपेखलुवा को मौके मुहैया कराते रहे हैं. छेत्री का यह दूसरा एशियाई कप टूर्नामेंट होगा जो 2011 चरण में भी खेल चुके हैं.
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