खेल मंत्री किरण रिजिजू ने शुक्रवार 18 अक्टूबर को महिला मुक्केबाज निकहत जरीन की चिट्ठी का जवाब देते हुए कहा कि एक मंत्री को खिलाड़ियों के चयन में शामिल नहीं होना चाहिए. जरीन ने अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए चयन को लेकर रिजिजू को पत्र लिखा था.
हालांकि रिजिजू ने भरोसा दिलाया कि वो बॉक्सिंग फेडरेशन के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे ताकि देशहित में फैसला हो पाए.
पत्र का जवाब देते हुए रिजिजू ने ट्वीट किया,
“मैं निश्चित रूप से मुक्केबाजी महासंघ को इस मामले से अवगत कराऊंगा ताकी वह देश के हितों को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय ले पाए.”
रिजिजू ने आगे कहा,
“हालांकि, एक मंत्री को खेल महासंघों द्वारा खिलाड़ियों को चुने जाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहिए. ओलंपिक चार्टर के अनुसार वे स्वायत्त हैं.”
6 बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरी कॉम ने हाल में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में 51 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
इसके बाद, बीएफआई ने निर्णय लिया कि इस टूर्नामेंट में मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को चीन के वुहान में 3 से 14 फरवरी 2020 तक चलने वाले टोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर में जगह मिलेगी. जबकि इससे पहले बीएफआई ने घोषणा की थी कि सिर्फ गोल्ड और सिल्वर जीतने वालों की सीधी एंट्री मिलेगी.
बीएफआई के इस निर्णय ने निकहत के ओलंपिक जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए. वह 51 किलोग्राम भारवर्ग में ही मुकाबला करती हैं.
निकहत ने बुधवार 16 अक्टूबर को आईएएनएस से कहा था कि उन्होंने बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह से कई बार संपर्क करने की कोशिश की और अब वह खेल मंत्री से बात करेंगी. उन्होंने यहीं किया और ट्विटर पर भी अपनी चिट्ठी पोस्ट की.
निकहत ने लिखा,
“मैं सिर्फ एक सही मौका चाहती हूं. मैं जिस चीज के लिए अभ्यास कर रही हूं उसके लिए मुझे मौका नहीं मिला तो क्या मतलब. खेल का मतलब सभी के साथ ईमानदारी से पेश आना है. मैं अपने देश पर भरोसा नहीं खोना चाहती. जय हिंद.”
उन्होंने चिट्ठी में अमेरिका के महान तैराक माइकल फेल्प्स का जिक्र किया है जिन्हें ओलंपिक खेलने के लिए हर बार ट्रायल्स से गुजरना पड़ता था. साथ ही निकहत ने यह भी लिखा है कि मैरी कॉम उनके लिए आदर्श हैं.
निकहत ने लिखा, "मैं जब छोटी थी तब मैं मैरी कॉम से प्रभावित हुई थी. इस प्रेरणा के साथ न्याय करने का एक ही तरीका था कि मैं उन जैसी मुक्केबाज बनूं. और मैरी कॉम खेल में प्रतिस्पर्धा से छुपने के लिए और अपना ओलंपिक क्वालिफिकेशन बचाने के लिहाज से बहुत बड़ा नाम हैं."
उन्होंने लिखा, "23 बार के गोल्ड मेडलिस्ट माइकल फेल्प्स को भी ओलम्पिक के लिए हर बार क्वालीफाई करना पड़ा था, हम सभी को भी यही करना चाहिए."
निकहत को इस मामले में ओंलपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा का भी समर्थन मिला है.
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