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6 मिनट, 6 लिफ्ट, 6 रिकॉर्ड: CWG में मीराबाई चानू के कीर्तिमान

चानू ने एक साथ कॉमनवेल्थ गेम्स के कई रिकॉर्ड और गेम रिकॉर्ड अपने नाम किए.

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वर्ल्ड चैंपियन वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (48 किलोग्राम वर्ग) ने रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते हुए भारत को 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला गोल्ड मेडल दिलाया. चानू ने यादगार प्रदर्शन करते हुए स्नैच में कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड तोड़ा. उन्होंने तीनों कोशिशों में अपने से दोगुने 80 किलो, 84 किलो और 86 किलो वजन उठाया.

इसके बाद क्लीन एंड जर्क में भी अपने शरीर के वजन से दोगुना वजन उठाया. तीन सफल कोशिशों में 103 किलो, 107 किलो और 110 किलो वजन उठाकर खेलों का ओवरऑल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.

चानू ने ग्लास्गो में पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था. तब उन्होंने कुल 196 किलो (86 और 110 किलो) वजन उठाया था.

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चानू ने एक साथ कॉमनवेल्थ गेम्स के कई रिकॉर्ड और गेम रिकॉर्ड अपने नाम किए.

  1. चानू ने गुरुवार को स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ गोल्ड अपने नाम किया. स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह अभी तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. इसके साथ ही उन्होंने दोनों में कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है.
  2. चानू ने वर्ल्ड चैंपियन और नाइजीरिया की ऑगस्टिना नवाओकोलो का गेम रिकॉर्ड तोड़ा, जो 175 किलोग्राम का था. यह रिकॉर्ड उन्होंने 2010 में बनाया था.
  3. चानू का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड 194 किलोग्राम का था, जो उन्होंने पिछले साल वर्ल्ड चैंपियन में बनाया था. इसमें उन्होंने खिताबी जीत हासिल की थी.
  4. गुरुवार को कॉमनवेल्थ में इस कंपिटीशन का सिल्वर मेडल मॉरिशस की मैरी हैनित्रा के नाम रहा, जिन्होंने कुल 170 किलोग्राम भार उठाया, जबकि श्रीलंका की दिनुशा गोमेज 155 किलोग्राम भार उठा कर ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल रहीं.
  5. चानू ने शानदार शुरुआत की और पहली कोशिश में 80 किलो का भार उठाया. इसके बाद उन्होंने 84 किलो और 86 किलो भार उठाकर अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया.
  6. ब्रेक में चानू, मैरी पर 10 किलो की बढ़त के साथ गईं.

चानू ने जीत के बाद कहा, ‘‘मुझे रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जब मैं यहां आई, तो सोचा था कि रिकॉर्ड बनाऊंगी. मैं शब्दों में नहीं बता सकती कि इस समय कैसा महसूस कर रही हूं.''

मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की है. मैं बहुत खुश हूं. यह मेरा दूसरा कॉमनवेल्थ मेडल है और बहुत अच्छा लग रहा है.
भारोत्तोलक साईखोम मीराबाई चानू

इससे पहले चानू का सबसे अच्छा प्रदर्शन 194 किलो (स्नैच 85 और क्लीन एंड जर्क 109) था, जो कुछ महीने पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप में बनाया था. चानू ने कहा ,‘‘मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल है. मैं इससे भी बेहतर करना चाहती हूं. वहां काफी कठिन कंपिटीशन होगा और मुझे बहुत मेहनत करनी होगी.''

चानू से 2020 टोक्यो ओलंपिक में मेडल की उम्मीद

पिछले कुछ सालों में चानू के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है. वह भारतीय भारोत्तोलन की परंपरा की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी हैं और आदर्श खिलाड़ी के रूप में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं. चानू से इस साल एशियाई खेलों और 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों में भी मेडल की उम्मीद है.

उनका कहना है कि वह भारत की महिला भारोत्तोलक वर्ल्ड चैंपियन कुंजारानी देवी, 2000 ओलम्पिक खेलों की बॉन्ज मेडल विजेता कर्णम मलेश्वरी,लैशराम मोनिका देवी और संजीता चानू को पछाड़कर देश की नई पहचान बनने के लिए तैयार हैं.

कौन हैं मीराबाई चानू?

23 साल की चानू इम्फाल ईस्ट जिले की हैं. दूसरे भारतीय खिलाड़ियों की तरह ही उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. चानू की प्रेरणा भारतीय महिला भारोत्तोलक कुंजरानी रही हैं, जो मणिपुर की हैं. 2007 में चानू ने इस खेल में कदम रखा था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

दक्षिण एशियाई जूनियर खेलों में चानू ने गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही अपनी क्षमता का सबूत दिया. इसके बाद, उन्होंने 2011 में अंतरराष्ट्रीय युवा चैंपियनशिप में भी सोना जीता.

वरिष्ठ स्तर पर उनका पहला मेडल साल 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में आया. उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया और संजीता चानू ने गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद, 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में और 2017 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

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