ADVERTISEMENTREMOVE AD

Tokyo Olympics 2020: टोक्यो में भी बेटों पर भारी पड़ सकती हैं बेटियां

Tokyo Olympics 2020: चीन, ग्रेट ब्रिटेन और कनाडा जैसे मुल्कों में महिला एथलीटों की संख्या पुरुषों से भी ज़्यादा है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

इस बात से शायद आप सभी अब तक वाकिफ हो ही चुके होंगे कि टोक्यो (Tokyo Olympic) जाने वाला भारतीय दल इस देश के इतिहास में सबसे ज्यादा 127 खिलाड़ियों के साथ गया है, जिसमें रिजर्व खिलाड़ी(10) भी शामिल हैं. जिन्हें मौका तभी मिलेगा अगर कोविड के चलते किसी खिलाड़ी को महाकुंभ से बाहर आने की नौबत आये. इनमें भी जो सबसे दिलचस्प आंकड़ा है वो ये कि 127 में से 71 एथलीट पुरुष वर्ग से और 56 महिला वर्ग से शिरकत कर रहें हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चीन, ग्रेट ब्रिटेन और कनाडा जैसे मुल्कों से अगर आप तुलना करेंगे तो शायद आपको ये आभास हो कि इसमें कौन सी बड़ी बात है क्योंकि उन देशों के महिला एथलीटों की संख्या पुरुषों से भी ज़्यादा है.

बहरहाल, भारतीय महिला दल इस बार और खास इसलिए दिखता है क्योकि मेडल जीतने वाली दावेदारी में ये किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं बल्कि बेहतर ही हैं. वैसे भी , पिछले बार रियो ओलंपिक के दौरान भारत के तमाम दिग्गजों ने निराश ही किया था और आखिर में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक ने ही सिल्वर और ब्रॉज़ आखिर समय में जीतकर देश का मान रखने में अपना योगदान दिया था.

लेकिन, इस इस बार टोक्यो खेल के दौरान मैडल जीतने के लिए भारतीय महिलाओं पर काफी दारोमदार होगा. अब ये साफ हो चुका है कि भारतीय महिलायें महज खानापूर्ति के लिए यानि कि सिर्फ ओलंपिक में हिस्सा लेने की बजाए मैडल जीतने की प्रबल दावेदार के तौर पर गई हैं. भारतीय महिला दल में अगर अनुभवी सानिया मिर्जा और मैरी कॉम जैसी मां हैं तो मनु भाकर जैसी किशोरी भी.

टोक्यो में एक नहीं दो नहीं बल्कि चार महिलाओं की रैंकिग नंबर 1 !

पहलवान विनेश फोगाट- इन एथलीटों में सबसे खास हैं, क्योंकि दुनिया में उनकी रैंकिंग नंबर एक है. रियो ओलंपिक में जिस खिलाड़ी ने रोते हुए अफसोस के साथ मैट छोड़ा था वो इस साल अब तक एक भी मुकाबला नहीं हारी है और 12 मौकों पर गोल्ड ही जीता है.

विनेश वैसे भी एशियाई खेलों और कॉमवेल्थ दोनों में गोल्ड जीतने वाली इकलौती भारतीय महिला पहलवान है औंर इस रिकॉर्ड को सिर्फ ओंलपिक के एक और पदक से और भी गौरवशाली बनाया जा सकता है.

विनेश अगर इसी फॉर्म को बरकरार रखती हैं तो टोक्यो में वो इतिहास रच देंगी. वैसे, विनेश को वर्ल्ड चैंपियन पाक योंग मि के नहीं खेलने का फायदा मिलेगा क्योंकि इसका मतलब है कि वो अपने सबसे प्रबल विरोधी मायू मुकैदा से फाइनल तक नहीं टकरायेंगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दीपिका कुमारी- झारखंड की महिला तीरअंदाज दीपिका कुमारी के लिए वर्ल्ड नंबर 1 की रैंकिग कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन, अब तक 2 बार ओलंपिक खेलों में शिरकत कर चुकी दीपिका के लिए सिर्फ एक मैडल उनके दबदबे और वर्चस्व को हमेशा के लिए साबित कर देगा.

दीपिका ने ओलंपिक्स खेलों के बाहर कितने ही गोल्ड औऱ दूसरे पदक जीत लिए हैं जो उन्हें महान बनाने के लिए शायद काफी होते लेकिन खुद वो भी जानती हैं कि बिना ओलंपिक मैडल के महानता उतनी ही अधूरी है जितनी की बिना किसी आईसीसी ट्रॉफी जीते विराट कोहली की कप्तानी की महानता.

एलावेनिल वलारिवन- इक्कीस साल की वलारिवन को लेकर शायद मीडिया में उतनी चर्चा नहीं है लेकिन फोगाट की तरह ये भी अपने खेल में दुनिया की नंबर एक एथलीट हैं. 10 मीटर एअर राइफल में जूनियर मुकाबलों में तहलका मचाने के बाद वलारिवन से इस बार ओंलपिक में भी एक पदक की उम्मीद की जा रही है.

कहने को नंबर 2 लेकिन टोक्यो में हो सकतीं हैं अव्वल

मनु भाकर- 19 साल की मनु भाकर ने अब तक जिस अंदाज में दुनिया में डंका पीटा है उससे मिकस्ड डबल्स में साथी सौरव चौधरी के साथ उनका गोल्ड जीतना तय माना जा रहा है क्योंकि वो ना सिर्फ नंबर एक हैं बल्कि कोई भी इनकी कामयाबी के आस पास भी नहीं है. 10 मीटर एअर पिस्टल में मनु की रैंकिग भले ही नंबर 2 है ,लेकिन भारत की ही यशस्विनी सिंह देसवाल जो कि इस मुकाबले में नंबर एक है, के खिलाफ मनु गोल्ड का सपना भी देख सकती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मीराबाई चानू- 26 साल की मीराबाई चानू महिला वेटलिफ्टिंग की 49 किलोग्राम वर्ग में नंबर 2 है और इस लिहाज से गोल्ड भले ही ना सही वो सिल्वर मैडल जीतने की दावेदार हैं. 2017 में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली मणिपुर की इस एथलीट ने कई बार नाकामी से उभर कर उम्मीद की एक नई किरण जगाने में कामयाब हुई है और एक ओंलपिक मैडल की उम्मीद करना उनसे बेमानी नहीं है.

अपने अपने खेलों की ब्रैंड एम्बेसेडर वाली त्रिमूर्ति से पदक की उम्मीद

मैरी कौम- 51 किलोग्राम वाले फ्लाइवेट कैटेगरी में 38 साल की मैरी की रैंकिंग 3 है और उन्हें बॉक्सर की बजाए महिला खेल का लीजेंड माना जाता है. पूर्व ओलंपियन अखिल कुमार मैरी की तुलना अक्सर अभिनव बिंद्रा से करते हैं जिनका मानना है कि मैरी के पास आज वो हर सुख सुविधा, नाम और पैसा है जिसकी कल्पना कोई भी गैर-क्रिकेटर इस मुल्क में करता है लेकिन इसके बावजूद मैरी की हसरत गोल्ड जीतने की है और उनके इस जज्बे को सलाम किया जाना चाहिए.

वैसे एक दिलचस्प बात ये भी है कि अपने करियर में जितने गोल्ड मैरी ने जीते हैं , इस बार उनके वर्ग में बाकि 25 महिला बॉक्सर ने मिलकर भी 6 गोल्ड अपने करियर में नहीं देखें हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पीवी सिंधू- बैडमिंटन सुपरस्टार सिंधू रैंकिग की लिहाज से भले ही दुनिया में सांतवे नंबर पर हो लेकिन जहां तक मैडल जीतने की बात है तो ऊपर के तीनों एथलीटों से कहीं भी कम नहीं बल्कि शायद सबसे ज्यादा बड़ी उम्मीदवार है. रियो में सिल्वर जीतने के बाद 2017 से लेकर 2019 तक सिंधू ने तीनों वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनायी है. रियो में सिंधू को कैरोलिना मरीन से मात खानी पड़ी थी जो इस बार टोक्यो में नहीं होंगी और ये सिंधू के लिए राहत की बात होगी क्योंकि मरीन ने उन पर अपना दबदबा बनाए रखा है.

सानिया मिर्जा- 34 साल की सानिया मिर्जा की हस्ती भी भारतीय खेलों में मैरी कोम या फिर सिंधू से किसी तरह से कम नहीं है. लेकिन, उन दोनों की तुलना में मिर्जा के पास ओंलिपक का कोई भी मैडल नहीं है जिसकी कमी वो हर हाल में इस बार टोक्यो में पूरा करना चाहेंगी. मुझे याद है कि किस तरह से मैं अपने चुनिंदा मीडिया साथियों के साथ रियो में सानिया और रोहन बोप्न्ना की जोड़ी को वीनस विलियम्स और राजीव राम के खिलाफ उतरते देखा तो ऐसा रोमांच कोर्ट के बाहर भारतयी दर्शकों में अक्सर क्रिकेट मैचों के दौरान ही देखा करता था.

इस बार दुनिया की डबल्स में 9 नंबर की रैंकिग वाली अंकिता रैना के साथ उनकी जोड़ी उन्हें अपने करियर में वो हासिल करने का मौका दे जो उनके 6 ग्रैंड स्लैम की कामयाबी पर भारी पड़ सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इन महिलाओं को भी ना भूलें..

भवानी देवी- 27 साल की भवानी देवी बिना किसी मैडल के ही शायद तारीफ की हदकगार है. फेंसिग में वो पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने ओलंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया है. ठीक उसी तरह से नेत्रा कुमानन ने भी मैडल जीतने से पहले ही इतिहास रच डाला है. ओलिंपिक क्वॉलिफाइ करने वाली भारत की पहली महिला नौकाचालक हैं.

मनिका बत्रा- टेबल टेनिस में दुनिया की 63 नंबर की रैंकिग वाली मनिका बत्रा ने पिछले कुछ सालों में भारत में अपने खेल को युवा पीढ़ी के बीच और लोकप्रिय बनाया है लेकिन अकेले दम पर मैडल जीतना उनके लिए इस बार चमत्कार से कम नहीं होगा. हां, मिक्सड डबल्स मुकाबलों में शायद शरथ कमल के साथ बात बन जाए.

तेजस्विनी सावंत- 41 की साल की उम्र में आखिरकार ओलंपिक्स के लिए क्वालिफाइ करके तेजस्विनी सावंत ने दिखा ही दिया कि अगर लगन हो तो कुछ भी मुमकिन है. पहले 2008 और फिर 2012 और फिर से 2016 में अलग अलग कारणों के चलते ओंलपिक खेलों में शिरकत नहीं कर पाने के बावजूद तेजस्विनी ने कभी हिम्मत नहीं छोड़ी. भारतीय दल में सावंत सबसे उमरदराज एथलीट हैं और उन्होंने जिस समय शूटिंग शुरु की थी तब मनु भाकर का जन्म भी नहीं हुआ था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चलते-चलते एक बात और कि जिस एक महिला की कमी हर किसी को इस बार टोक्यो में महसूस होगी उसका नाम दीपा कारमाकर है. दीपा का टोक्यो में ना होना इस बार निश्चित तौर पर हर किसी को मायूस करेगा. पिछले दो सालों में चोट के चलते परेशान रहने वाली दीपा टोक्यो खेलों में हिस्सा नहीं ले पा रहीं हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×