टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारत को कितने पदक मिलेंगे? आठ अगस्त तक चलने वाले खेलों के महांकुभ से उम्मीद की जा रही है कि पिछले ओलंपिक्स की तुलना में अबकी बार भारतीय खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करते हुए पदकों की संख्या में इजाफा करेंगे. बॉक्सिंग, रेसलिंग, शूटिंग, आर्चरी और जेवलिन थ्रो जैसे इवेंट्स से ओलंपिक पदक की काफी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं टोक्यो के मैदान में उतरने वाले उन इंडियन प्लेयर्स के बारे में जो इस बार के पदकवीर हो सकते हैं...
इन "मुक्काबाजों" से मेडल की उम्मीद
1. मैरी कॉम :
छह बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम इस बार ओलिंपिक मेडल जीतने की प्रबल दावेदार हैं. मैरीकॉम ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं. उन्होंने लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक यानी ब्रांज मेडल जीता था. मैरीकॉम ने रियो ओलिंपिक में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन इस बार वे टोक्यो ओलिंपिक में अपना जलवा दिखा सकती हैं. मैरीकॉम देश की सबसे सफल बॉक्सर में से एक हैं.
एशियन इंडोर गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियाई चैम्पियनशिप, एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैम्पियनशिप्स में गोल्डन पंच लगा चुकीं मैरीकॉम का यह दूसरा ओलंपिक गेम्स होगा. उनके पास बॉक्सिंग का अच्छा-खास अनुभव भी है.
2. अमित पंघाल :
अमित पंघाल टोक्यो ओलंपिक्स में रिंग के बाजीगर साबित हो सकते हैं. ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा है बल्कि आंकड़ें बताते हैं कि कैसे अमित बॉक्सिंग में अमिट छाप छोड़ रहे हैं.
अमित इस समय अपने भार वर्ग (52 किलोग्राम) में विश्व रैंकिंग में नंबर एक हैं. वह ओलंपिक में भारत के पहले बॉक्सर हैं जिनकी अपनी कैटेगरी में नंबर वन रैंक है.
अमित ने 2017 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. उसके बाद बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रांदजा मेमोरियल में स्वर्ण पदक हासिल किया और फिर वह 2018 में एशियाई चैम्पियन भी बने. यूरोप के सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में से एक स्ट्रांदजा मेमोरियल में लगातार दो बार स्वर्ण पदक हासिल करने वाले अमित एकमात्र भारतीय बॉक्सर हैं.
इसके अलावा 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर और 2020 के बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीत चुके अमित 2019 से ही AIBA की रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर हैं. अमित का यह पहला ओलंपिक है, ऐसे में उनसे पदक की काफी उम्मीदे हैं.
3.विकास कृष्णा
एमसी मैरीकॉम और अमित पंघाल के साथ ही मुक्केबाजी में विकास कृष्णा से भी पदक की उम्मीद है. 10 वर्ष की उम्र से इस खेल में जुटे विकास ने 2010 में एक-एक करके चार मेडल्स जीते थे. 2012 के ओलंपिक में विवादित फैसले के बाद उनके हाथ से पदक निकल गया था. लेकिन इस बार वे पदक पर पंच लगा सकते हैं.
"सांड की आंख" पर निशाना लगाकर ये ला सकते हैं पदक
शूटिंग यानी निशानेबाजी में बुल्स आई (Bulls Eye) टर्म का प्रयोग होता है. जिसे हम सांड की आंख के नाम पर भी जानने लगे हैं. पिछले कुछ समय से हमारे निशानेबाजों ने जिस तरह से टारगेट भेदा है उससे मेडल्स की उम्मीद जगी है.
भारत ने टोक्यो के लिए निशानेबाजी में 15 कोटे हासिल किए हैं. ये अपने आप में एक उपलब्धि है. अब देखना दिलचस्प रहेगा कि टोक्यो ओलंपिक में बंदूक के दम पर कितने पदक हम हासिल कर पाते हैं.
4. सौरभ चौधरी :
सौरव चौधरी भले ही कम उम्र (19 साल) के निशानेबाज हैं, लेकिन लक्ष्य सटीक भेदते हैं. वे आईएसएसएफ विश्व चैम्पियनशिप, विश्व कप, यूथ ओलंपिक गेम्स, एशियन एयरगन चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
सौरव ने 2018 में जूनियर विश्व कप में तीन स्वर्ण पदक जीतकर खलबली मचा दी थी. उन्होंने जर्मनी में व्यक्तिगत, मिश्रित टीम और टीम स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीते थे. इसके अलावा ब्यूनस आयर्स यूथ ओलंपिक खेलों में और जकार्ता एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक पर निशाना लगाया था.
सौरव एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं. मनु भाकर के साथ मिलकर इन्होंने भारत को कई स्वर्ण पदक मिश्रित स्पर्धा में दिला चुके हैं.
निशानेबाजी विश्व कप में सौरव अब तक 8 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदक जीत चुके हैं. इसी साल मार्च में दिल्ली में हुए निशानेबाजी विश्व कप में उन्होंने 2 स्वर्ण और एक रजत पदक जीते हैं. टाइम मैग्जीन ने सौरभ के बारे में लिखा है कि '19 वर्षीय निशानेबाज सौरभ चौधरी टोक्यो में भारत के लिए गोल्ड लाने वाले सबसे बड़े दावेदारों में शामिल हैं.'
5. मनु भाकर
19 वर्षीय मनु भाकर टोक्यो में 10 मीटर एयर पिस्टल और 25 मीटर एयर पिस्टल के अलावा 10 मीटर पिस्टल के मिश्रित टीम मुकाबले में सौरव चौधरी के साथ दिखेंगी. यूथ ओलंपिक खेल, राष्ट्रमंडल खेल, एशियन शूटिंग चैंपियनशिप और एशियन एयरगन चैंपियनशिप में मनु ने स्वर्ण पदक जीते हैं. वहीं निशानेबाजी विश्व कप में उनका दबदबा देखने को मिला है.
2018 में मनु ने सिडनी में हुए जूनियर विश्व कप में 10 मीटर एयर पिस्टल में व्यक्तिगत और मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक जीते. उसी साल उन्होंने जर्मनी में हुए जूनियर विश्व कप में भी एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीता. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
इसी साल (2021) दिल्ली में हुए विश्व कप में मनु भाकर ने मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण और व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीता है. साल 2019 में मनु ने एशियन एयरगन चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल में व्यक्तिगत और मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक जीते थे. इसके अलावा दोहा में हुई एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में व्यक्तिगत और मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था.
मनु भाकर की अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी साल 2018 के गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में मिला व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण पदक है. वहीं 2019 आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में उन्होंने व्यक्तिगत और मिश्रित टीम में स्वर्ण पदक जीते थे.
6. दिव्यांश पंवार :
18 साल के दिव्यांश पंवार टोक्यो ओलंपिक में भारत के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं, वहीं गोल्ड मेडल के प्रबल दावेदारों में से भी एक हैं. दिव्यांश वर्ल्ड रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हैं. वे टोक्यो ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में हिस्सा लेंगे. इसके अलावा 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड डबल्स में एलावेनिल वलारीवान के साथ मेडल के लिए निशाना लगाएंगे.
2019 में दिव्यांश ने 4 स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य सहित 6 पदक जीते हैं. इनमें से चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक उन्होंने मिश्रित टीम स्पर्धा में जीता है. मिक्स्ड डबल्स में उनकी और एलावेनिल वलारीवान की जोड़ी गजब की है. कुछ महीने पहले दिल्ली में हुए निशानेबाजी विश्व कप में इस जोड़ी ने गोल्ड मेडल हासिल किया है. फिलहाल ये दोनों खिलाड़ी अपने-अपने वर्ग में नंबर एक रैंक पर हैं. यही इनकी सबसे बड़ी मजबूती है.
7 & 8. यशस्विनी देसवाल और ऐश्वर्य प्रताप सिंह
इन निशानेबाजों के अलावा यशस्विनी देसवाल और ऐश्वर्य प्रताप सिंह से भी पदक की उम्मीद लगाई जा रही है. ऐश्वर्य ने दिल्ली में हुए विश्व कप में 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता है. उन्होंने दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी हंगरी के इस्तवान पेनी और साल 2018 के विश्व चैम्पियन डेनमार्क के स्टीफन ओलसेन को पीछे छोड़ा था. वहीं यशस्विनी ने 2019 में रियो में हुए निशानेबाजी वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक के साथ टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल किया है.
ये लगा सकते हैं पदक का दांव
9.बजरंग पूनिया :
बजरंग पूनिया ने 7 साल की उम्र में ही अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने शुरु कर दिए थे. उन्होंने सीनियर लेवल पर अपना पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल 2013 में 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी में जीता था. एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में अब तक सात मेडल जीत चुके बजरंग ने इस साल अल्माटी में हुई एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है.
कॉमनवेल्थ गेम्स में बजरंग दो मेडल जीत चुके हैं. 2018 गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलो वर्ग में गोल्ड और 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल उनके खाते में आया था. बजरंग ने ने 2018 जकार्ता एशियन गेम्स में 65 किलो वेट में गोल्ड जीता था. बजरंग पिछले दस अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे हैं. उनकी उपलब्धि के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री और खेल रत्न पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है.
10.विनेश फोगाट
रियो ओलंपिक में विनेश फाेगाट को मेडल का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन क्वार्टर फाइनल मुकाबले में वे चोटिल हो गईं और उन्हें स्ट्रेचर पर बाहर ले जाना पड़ा था. हालांकि बाद में विनेश ने शानदार वापसी करते हुए अपने पिछले प्रदर्शनों से एक बार फिर टोक्यो में पदक की उम्मीद जगाई है.
विनेश ने 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता, 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं. वहीं साल 2020 में भी उन्होंने इटली के रोम में आयोजित एक रैंकिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है.
बजरंग और विनेश के अलावा रवि दाहिया भी पदक ला सकते हैं. फ्री स्टाइल कुश्ती के 57 किलोग्राम वर्ग में इस समय रवि शानदार फॉर्म में चल रहे हैं.
11 & 12. नीरज का अचूक भाला, सिंधु की 'अटल' शटल
नीरज चोपड़ा :
जेवलिन थ्रो यानी भाला फेंक स्पर्धा में एथलीट नीरज चोपड़ा ने 2018 एशियाई और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. उन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन को भी सुधारा है. नीरज का बेस्ट थ्रो 88.07 मीटर है जो उन्होंने इस साल की शुरुआत में फेंका था.
साल 2016 में पोलैंड में आयोजित IAAF U20 विश्व चैंपियनशिप में नीरज ने गोल्ड मेडल जीता था. इस पदक के साथ साथ उन्होंने जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था.
पीवी सिंधु :
पीवी सिंधु कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में मेडल जीतकर देश का सिर ऊंचा कर चुकी हैं. पिछली बार भी ओलंपिक में उनका शानदार प्रदर्शन रहा था. यहां उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.
2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर वे बैडमिंटन में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. महज 17 साल की उम्र में पीवी सिंधु बैडमिंटन की विश्व रैंकिंग में टॉप 20 में शुमार हो गई थीं. साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी उन्होंने सिल्वर मेडल जीते थे. रियो ओलंपिक के बाद भी अब तक कई गोल्ड जीत चुकी हैं. ऐसे में टोक्यो ओलंपिक में उनसे पदक की काफी उम्मीद है.
13 & 14. दीपिका के तीर और चानू की लिफ्टिंग
दीपिका कुमारी :
दीपिका इस समय विश्व में नंबर 1 महिला तीरंदाज हैं. शानदार रिकॉर्ड्स और बेहतरीन पोजीशन की वजह से इस बार वे ओलंपिक में मेडल की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं.
दीपिका ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. उन्होंने इसी साल 2021में पेरिस वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड तीन गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. उनके शानदार प्रदर्शन की वजह से इस वक्त वे दुनिया की टॉप महिला तीरंदाज हैं. अब उनसे ओलंपिक में पदक की उम्मीद है.
मीराबाई चानू :
मणिपुर की मीराबाई चानू आज देश की टॉप वेटलिफ्टर हैं. अब तक वे देश के लिए कई मेडल ला चुकी हैं. 2014 में ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता था. 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया. वेटलिफ्टिंग में टोक्यो ओलंपिक में भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र खिलाड़ी हैं. वह इस ओलंपिक में महिला 49 किलोग्राम इवेंट में हिस्सा लेकर देश के लिए पदक जीतने की कोशिश करेंगी.
इन सबके अलावा हॉकी टीम से भी इस बार पदक की काफी उम्मीदे हैं.
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