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विराट कोहली से क्या T20 के बाद वनडे की कप्तानी भी छिनने वाली है?

Virat Kohli को एहसास हो चला है कि पहली बार 7 साल में उनके वर्चस्व को मैदान और मैदान के बाहर चुनौती मिल रही है

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आखिरकार विराट कोहली (Virat Kohli) को टी20 की कप्तानी छोड़नी ही पड़ी. 48 घंटे पहले तक बीसीसीआई के कुछ अधिकारी लगातार मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन करते रहे कि ऐसी कोई बात नहीं कि कोहली को कप्तानी से हटाने की बात चल रही है या फिर वो छोड़ने का मन बनाने रहें हैं.

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लेकिन, भारतीय क्रिकेट की अंदरुनी गतिविधियों से जो भी परिचित है, उसे मालूम था कि ये तो होना ही था. अब चूंकि, कोहली ने खुद आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान किया है (आम-तौर पर इतने बड़े फैसले की घोषणा या तो बीसीसीआईकी प्रेस कांफ्रेस या फिर प्रेस रिलिज जरिये होती है) तो इससे भी साफ है कि पर्दे के पीछे कप्तान, बोर्ड के आला अधिकारियों के बीच गंभीर बात-चीत का दौर चल रहा था.

जब बोर्ड ने चली पहली चाल

बोर्ड ने पहली चाल चली थी जब महेंद्र सिंह धोनी को उन्होंने मेंटर बनाकर मैनेजमेंट में दाखिल करा दिया. कोहली के संबध धोनी से बेहतरीन है लेकिन उन्हें एहसास हो चला है कि पहली बार 7 साल में उनके वर्चस्व को मैदान और मैदान के बाहर चुनौती मिल रही है. कोहली ने बोर्ड की इस चाल का जवाब एक अखबार में सूत्रों के हवाले से ये कहवाया कि वो सफेद गेंद की कप्तानी टी20 वर्ल्ड कप के बाद छोड़ देंगे.

तब बोर्ड को ये लगा कि चलिये, उनकी चाल कामयाब हो चुकी है कि क्योंकि बीसीसीआई ये मन बना चुकी है कि 15 नवंबर के बाद भारतीय वन-डे और टी20 के कप्तान रोहित शर्मा होंगे.

अब जय शाह को चुनौती देना आसान नहीं

यहां तक तो मामला बराबरी का चल रहा था लेकिन बीसीसीआई के युवा सचिव जय शाह ने यह बयान दिया कि टी20 वर्ल्ड के बाद देखा जायेगा कि टीम और कप्तान का खेल कैसा है और फिर विचार किया जायेगा कि आगे की राह क्या होगी. कोहली बेहद परिपक्व खिलाड़ी और कप्तान हैं और ये अब समझ चुके हैं कि अब मामला कुछ और रूप भी ले सकता है. जिसका अंदाजा शायद उन्हें नहीं हो. ऐसे में कोहली ने अपनी चाल बदली और आधिकारिक बयान में कहा कि वो टी20 की कप्तानी तो छोड़ देंगे लेकिन वन-डे और टेस्ट में कप्तानी करते रहेंगे.

जाहिर सी बात है कि इससे लाल और सफेद गेंद में अलग अलग कप्तान की योजना पर पानी फिर गया. कोहली ने तो बोर्ड के सामने अजीब स्थिति पैदा कर दी. जहां वो टेस्ट में तो कप्तानी करना ही चाहते हैं (जो सही भी है क्योंकि उनका रिकॉर्ड शानदार है) लेकिन अब वो वन-डे यानि कि सफेद गेंद के दो फॉर्मेट में से एक फॉर्मेट की कप्तानी भी रखना चाहते हैं.

यानि रोहित शर्मा के हाथ में क्या होगा- पूरे साल 5-10 टी20 की कप्तानी! ऐसा करने से ना तो कप्तानी की जिम्मेदारी का बंटवारा हो पायेगा और ना ही भविष्य के लिए कोई नया कप्तान तैयार हो पायेगा. अगर सिर्फ टी20 के लिए ही कप्तान का चयन करना है तो फिर रोहित क्यों किसी युवा जैसे कि के एल राहुल या फिर ऋषभ पंत के नाम पर विचार किया जाए. जाहिर सी बात है कि बोर्ड इस विकल्प पर नहीं सोचेगा.

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कप्तान कोहली की राह अब आसान नहीं

जय शाह ने बोर्ड के आधिकारिक बयान में साफ साफ कहा कि विराट आगे भी एक खिलाड़ी और ‘सीनियर सदस्य ‘ की तरह भारतीय क्रिकेट के बेहतर भविष्य को तैयार करने में अपना योगदान देते रहेंगे. दिलचस्प बात है कि शाह ने ‘टेस्ट और वन-डे कप्तान’ की बात ना करके सीनियर सदस्य शब्द का इसतेमाल किया.

राजनीतिक गंभीरता को कभी कभी पूरी तरह से समझने के लिए कुछ मौके पर एक शब्द ही इतना कह देते हैं जो शायद 1000 शब्दों की प्रेस रिलीज या फिर एक घंटे के प्रेस कांफ्रेस में भी ना पता चले. मतलब बोर्ड ने विराट की दूसरी चाल का भी जवाब अपने तरीके से दे दिया है और गेंद अब फिर से कप्तान के पाले में ही चली गई है.

ऐसे में अब आगे क्या होगा?

क्रिकेट के बोर्ड पर शह और मात वाली चाल के बीच में कोहली ने इतना तो तय कर लिया है कि वो टी20 फॉर्मेट से अपनी विदाई सम्मानजनक तरीके से करवाने में कामयाब हो पायेंगे. अगर वो ट्रॉफी जीतते हैं तो एक सुनहरे अध्याय का शानदार अंत और अगर वो फिर से चूकतें है तो शालीन अंदाज में छोड़ने का मौका वो ले ही चुके हैं. यानि दोनों सूरत में कोहली की जीत है.

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लेकिन, कोहली की जीत बस यहीं तक है. आगे की राह में जीत का हिस्सा रोहित और बोर्ड के हाथ में होगा. कोहली ने अपने बयान में रोहित का जिक्र किया जो वन-डे और टी20 के उप-कप्तान है लेकिन उन्होंने अंजिक्य रहाणे की चर्चा सीनियर मैनेजमेंट के खिलाड़ी के तौर पर नहीं की. क्योंकि कोहली की कप्तानी और उनके दबदबे को चुनौती रहाणे नहीं सिर्फ और सिर्फ अब रोहित ही दे सकतें हैं.

इसलिए जिस रोहित की निष्ठा पर एक साल पहले कोहली ने सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाये थे( जब कोहली आईपीएल में ज्यादा मैच खेलने के चलेत ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए अनफिट हो गये थे और पहले 2 मैचों में नहीं खेले थे) अब वही रोहित उनके लिए रवि भाई (कोच शास्त्री) की तरह उनके निर्णय लेने वाली मंडली में भी शामिल हो गये !

कुल मिलाकर देखा जाए तो आने वाले वक्त में भारतीय कप्तानी को लेकर म्यूजिकल चेयर का खेल शायद फिर से शुरु होता दिखे.

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