ADVERTISEMENTREMOVE AD

CWC 2019: अपने दर्द के बीच 20 साल पहले सचिन ने जड़ा था ‘भावुक शतक’

1999 का वर्ल्ड कप सचिन समेत भारतीय टीम के लिए बेहद मुश्किल रहा

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

क्रिकेट फैंस, खासतौर पर भारतीय क्रिकेट फैंस, इस खेल को पूरे जज्बातों के साथ देखते हैं और इसको फॉलो करते हैं. सबका अपना कोई न कोई पसंदीदा खिलाड़ी रहा. कोई हीरो रहा, जिसको देखकर इस खेल से प्यार हुआ.

इनमें से सबसे ऊपर है वो खिलाड़ी जिसने देश में इस खेल की परिभाषा ही बदल दी- सचिन तेंदुलकर. सचिन ने 24 साल तक सबको हंसने, खुश होने यहां तक कि रोने के कारण भी दिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

करीब साढ़े पांच साल पहले 2013 में जब सचिन रिटायर हुए थे, हर एक क्रिकेट फैन भी सचिन के साथ भावुक हुआ था. वानखेड़े स्टेडियम की पिच से लौटते हुए सचिन रो पड़े थे और उसे देखकर स्टेडियम से लेकर घरों, दफ्तरों और बाजार में भी लोगों की आंखों में आंसू थे. हालांकि, सचिन के लिए वो पहला मौका नहीं था.

20 साल पहले 1999 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को मुश्किल हालात से गुजरना पड़ा. भारत को जिंबाब्वे जैसी कमजोर टीम से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. टीम सुपर सिक्स में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी. लेकिन किसी के लिए ये वर्ल्ड कप सबसे मुश्किल टूर्नामेंट साबित हुआ, तो वो थे- सचिन तेंदुलकर.

आधी रात को मिली वो खबर

वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही सचिन तेंदुलकर अपनी पीठ के दर्द से परेशान थे. तमाम कोशिशों के बाद भी सचिन को इससे आराम नहीं मिल रहा था. वहीं, वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा. सचिन इस मैच में कुछ खास नहीं कर पाए और सिर्फ 28 रन बनाकतर आउट हो गए. हार की निराशा के साथ पीठ का दर्द बरकरार था.

लेकिन असली दर्द सचिन को मिलना अभी बाकी था. ऐसा दर्द, जिससे उबरने के लिए कोई दवाई काम नहीं आ सकती थी. 19 मई को भारतीय टीम का मुकाबला जिंबाब्वे से था. भारतीय टीम लेस्टर शहर के एक होटल में रुकी थी.

मैच से ठीक पहले, आधी रात को सचिन के कमरे के बाहर उनकी पत्नी अंजलि खड़ी थी. अंजलि के साथ थे सचिन के साथी रॉबिन सिंह और अजय जड़ेजा. उसके बाद जो उन्होंने सुना, उसने सचिन को तोड़ दिया. सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर का मुंबई में निधन हो गया था. सचिन के लिए कुछ भी सोचना मुश्किल हो गया था. उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा, उनके पिता, उनका साथ छोड़ चुके थे.

सचिन ने अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ इसका जिक्र करते हुए लिखा है-

“मैंने बिल्कुल भी इसकी उम्मीद नहीं की थी. ये मेरे लिए बहुत बड़ा नुकसान था. मैं कुछ नहीं बोल सका. मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था और मैं सिर्फ अंजलि को पकड़कर रोने लगा. मैं खुद को बेसहारा महसूस कर रहा था और इस झटके पर यकीन कर पाना मुश्किल था.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

देश के लिए लिया बड़ा फैसला

19 मई की सुबह जब भारतीय टीम जिंबाब्वे से भिड़ने के लिए तैयार थी, सचिन अपनी पत्नी अंजलि के साथ वापस मुंबई के लिए रवाना हो गए थे. सचिन करीब 4 दिन अपने घर में अपने परिवार के साथ रहे. अपने जीवन के सबसे बड़ी दुख की घड़ी में उन पर परिवार को एकजुट करने की जिम्मेदारी भी थी.

सचिन के परिवार में सब जानते थे कि सचिन सिर्फ क्रिकेट के लिए बने हैं. सचिन को क्रिकेट से दूर रखना, क्रिकेट की भलाई के लिए ही अच्छा नहीं था. उधर, इंग्लैंड में भारतीय टीम का संघर्ष जारी था. दक्षिण अफ्रीका से हार के बाद अगले ही मैच में भारत को जिंबाब्वे जैसी कमजोर टीम से हार का सामना करना पड़ा.

वर्ल्ड कप में देश की इज्जत का भी सवाल था. ऐसे में देश के सबसे चहेते बेटे को उनके खुद के परिवार ने टीम के पास लौटने के लिए मनाया. टूटे हुए दिल के बावजूद सचिन को उनके परिवार ने इंग्लैंड में टीम से वापस जुड़ने को कहा.

“भारत में चार दिन रहने के बाद, मैं वापस इंग्लैंड लौटा और केन्या के खिलाफ मैच से एक दिन पहले टीम के साथ जुड़ा. मुझे ऐसा लगा, कि मेरे पिता भी यही चाहते और इसलिए वापस लौटने का फैसला किया गया.”
सचिन तेंदुलकर, (‘प्लेइंग इट माई वे’ में)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सचिन वर्ल्ड कप में भारत के तीसरे मैच से सिर्फ एक दिन पहले वापस टीम के साथ जुड़े. इस सबके बीच सचिन अपनी पीठ के दर्द से लगातार जूझ रहे थे. भारत का तीसरा मैच केन्या की कमजोर टीम से था.

पहले बैटिंग करते हुए सदगोपन रमेश और सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई. 50 रन पर सौरव गांगुली आउट हुए और क्रीज पर राहुल द्रविड़ आए. द्रविड़ और रमेश ने 42 रन जोड़े और फिर रमेश 44 रन बनाकर आउट हो गए. 92 के स्कोर पर 2 विकेट खोने के बाद मैदान पर उतरे सचिन रमेश तेंदुलकर.

ब्रिस्टल के मैदान में सचिन के उतरते ही दर्शकों ने उनका जोरदार स्वागत किया, लेकिन सचिन के चेहरे पर वो उदासी और वो दर्द साफ था. उस वक्त उनके 10 साल के करियर में ये पहला मौका था, जब वो अपने पिता की गैरमौजूदगी में मैदान में उतरे थे.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सबसे भावुक शतक

सचिन ने एक बेहतरीन स्ट्रेट ड्राइव पर चौका जड़कर अपनी पारी शुरू की और धीरे-धीरे इरादे जाहिर कर दिए. इसके बाद हुक, पुल, ऑन ड्राइव, फ्लिक का सिलसिला शुरू हो गया. सचिन लगातार रन बरसाते रहे, लेकिन चेहरे की वो उदासी बरकरार थी.

सचिन ने सिर्फ 54 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया. कुछ और पुल, हुक, पैडल स्वीप की मदद से सचिन ने अगली 30 गेंदों में ही बाकी 50 रन बनाए.

कवर ड्राइव पर 2 रन लेकर सचिन ने अपना शतक पूरा किया. इसके बाद सचिन ने वो किया, जो अगले 14 साल तक उनकी आदत बन गया. सचिन ने आसमान की ओर सिर उठाया और ऊपर देखते रहे. ये पहली बार था जब सचिन ने शतक के बाद आसमान की ओर देखा हो. इस लम्हे ने हर किसी को भावुक कर दिया.
1999 का वर्ल्ड कप सचिन समेत भारतीय टीम के लिए बेहद मुश्किल रहा
इसके बाद ही सचिन ने हर शतक पूरा करने पर अपने पिता की याद में आसमान की ओर देखना शुरू किया.
(फोटोः ट्विटर)

उस विशाल आसमान से भी बड़ा उस दिन सचिन का जज्बा और जज्बात थे और सचिन के लिए इन सबसे बड़ा था साथ, जो उनके पिता के जाने के साथ ही बस याद बनकर रह गया. सचिन ने इससे पहले भी कई शतक लगाए थे और इसके बाद भी कई शतक जड़े, लेकिन शायद ही किसी शतक के बाद भी सचिन मायूस दिखे हों.

सचिन ने जरूरत के मौके पर अपनी टीम को मुश्किल से उबारा और दिखाया कि उनसे बड़ा खिलाड़ी कोई नहीं था. सचिन ने सिर्फ 101 गेंद पर 140 रन जड़ दिए थे. ये शतक सचिन के लिए बेहद खास था. शायद सबसे खास. इस शतक के बारे में सचिन कहते हैं-

“उस दिन मैं केन्या के खिलाफ शतक लगा पाया. ये शतक मेरे करियर के सबसे प्यारे शतकों में से है. ये शतक मैंने अपने पिता को समर्पित किया था. उस दौरान में मेरा दिमाग लगातार मैच पर नहीं था.”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जितना मुश्किल ये वर्ल्ड कप भारतीय टीम के लिए रहा, उससे कई ज्यादा कठिन सचिन के लिए था. पीठ दर्द तो था ही, उससे बड़ा दर्द उनको अपने पिता के जाने से था. सचिन अपनी आत्मकथा में लिखते हैं-

“मुझे प्रैक्टिस सेशन के दौरान भी काले चश्मे पहनकर रखने पड़े, क्योंकि कई बार मैं अपने आंसुओं को रोकने में असफल हो रहा था.”

सचिन ने 24 साल के करियर में 100 शतक लगाए, जो आज भी रिकॉर्ड है. सचिन ने वनडे क्रिकेट का सबसे पहला दोहरा शतक लगाया. सचिन ने टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड भी बनाया. इन सब रिकॉर्ड्स ने फैंस को सिर्फ खुशी ही दी.

सचिन ने वर्ल्ड कप में भी सबसे ज्यादा 6 शतक लगाए. आज उन सब शतकों के बारे में सोचने पर 20 साल पहले 23 मई को लगाया सचिन का वो शतक याद आता है, जो सचिन ने अपने दुख से लड़ते हुए इस देश और फैंस की खुशी के लिए जड़ा था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×