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धोनी के ग्लव्स पर हंगामा है क्यों बरपा, वाकई क्रिकेट का नियम टूटा?

क्रिकेटरों के कपड़ों और किट को लेकर आईसीसी का खास नियम है, जिसे मानना सबके लिए जरूरी है.

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वर्ल्ड कप के पहले मैच में एमएस धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स पर भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्स ब्रिगेड के 'बलिदान' चिन्ह पर बवाल मचा है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसे लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से अपील की थी कि इसे हटवाया जाए. आईसीसी के मुताबिक इस तरह के चिन्ह या ‘लोगो’ नियमों का उल्लंघन है.

हालांकि, बीसीसीआई ने आईसीसी को जवाब में लिखा कि धोनी ने किसी तरह का नियम नहीं तोड़ा और उन्हें इसे इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए.

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क्या है ICC का नियम?

तमाम लोग बेसब्री से आईसीसी के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इस विवाद को लेकर नियम क्या कहते हैं. इसका जवाब जानने के लिए समझते हैं आईसीसी का 'क्लोदिंग एंड इक्विपमेंट' से जुड़ा नियम जो मैच के दौरान खिलाड़ियों की जर्सी/कपड़े और खेल के सामान को कवर करता है. इस नियम को मानना हर सदस्य देश के लिए जरूरी है.

आईसीसी से जुड़े हर टूर्नामेंट में या आईसीसी के अप्रूवल से खेले जाने वाले हर मैच में इन नियमों का ध्यान रखा जाना जरूरी है.

कपड़ों और खेल के सामान से जुड़े आईसीसी के नियम के मुताबिक आईसीसी के टूर्नामेंट्स में कुछ खास तरह के लोगो या चिन्ह का ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

रेगुलेशन के प्वाइंट D.1 के मुताबिक,

कोई भी खिलाड़ी मैच के दौरान सिर्फ राष्ट्रीय टीम का लोगो, कमर्शियल लोगो, इवेंट का लोगो, किट निर्माता का लोगो, बैट पर लोगो, चैरिटी का लोगो या नॉन-कमर्शियल लोगो का इस्तेमाल कर सकता है.

आईसीसी ने इन सबकी परिभाषा भी तय की हुई है. मसलन, ‘चैरिटी लोगो’ में सिर्फ उन्हीं चैरिटी को शामिल किया जाएगा, जो किसी क्रिकेट बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड हैं और आईसीसी से अप्रूव्ड हैं. इसी तरह ‘नॉन कमर्शियल लोगो’ वो है, जो आईसीसी से अप्रूव्ड हैं, लेकिन ना तो किसी किट निर्माता का है, ना किसी बैट का और ना ही किसी गैर रजिस्टर्ड चैरिटी. इसमें किसी बोर्ड या खिलाड़ी का ‘पर्सनल मैसेज’ भी शामिल है.

इस नियम को ध्यान में रखें, तो धोनी के ग्लव्स में लगा ‘बलिदान’ चिन्ह नॉन-कमर्शियल कैटेगरी में आता है. यहां पर भी आईसीसी के 'क्लोदिंग एंड इक्विपमेंट' नियम में प्वाइंट L को देखना होगा. इसके मुताबिक-

  • किसी भी तरह का लोगो, चाहे वो कमर्शियल हो, नॉन-कमर्शियल हो या किट निर्माता का हो, इन सबके लिए खिलाड़ी या बोर्ड को आईसीसी से इजाजत लेनी होगी.
  • ये अनुमति किसी भी टूर्नामेंट या सीरीज के शुरु होने से पहले लेनी होगी.
  • अगर आईसीसी से इसकी इजाजत मिलती है, तो ये आगे होने वाली बाकी सीरीज या टूर्नामेंट्स में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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नॉन-कमर्शियल की परिभाषा में ‘पर्सनल मैसेज’ को भी शामिल किया गया है. इस पर भी नियम में साफ किया गया है कि इस तरह के लोगो में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए. ‘क्लोदिंग एंड इक्विपमेंट’ नियम के प्वाइंट G.1 के मुताबिक-

  • किसी भी तरह के ‘पर्सनल मैसेज’ के इस्तेमाल के लिए आईसीसी से इजाजत एडवांस में लेनी होगी.
  • इन पर्सनल मैसेज में राजनीति, धर्म या नस्लभेदी टिप्पणी नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो इजाजत नहीं दी जाएगी.

शुक्रवार को मुंबई में बीसीसीआई की मीटिंग के बाद कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने कहा-

“बोर्ड ने आईसीसी से अपील की है कि धोनी को इसका इस्तेमाल करने दिया जाए क्योंकि ये ‘सेना का चिन्ह’ नहीं है. इस लिहाज से धोनी ने कोई नियम नहीं तोड़ा है.”

अगर विनोद राय की इस दलील को माना जाए, तो यहां पर ये जानना भी जरूरी है, कि कौन सा चिन्ह, लोगो या ‘पर्सनल मैसेज’ राजनीतिक, नस्लभेदी या धर्म के तहत आएगा, ये तय करने का अधिकार भी सिर्फ आईसीसी को है.

अगर ये माना जाए कि ‘बलिदान’ चिन्ह इनमें से किसी भी कैटेगरी में नहीं है, फिर भी प्वाइंट L को ध्यान में रखना होगा कि किसी भी तरह के लोगो, चिन्ह या पर्सनल मैसेज के इस्तेमाल से पहले आईसीसी की इजाजत लेनी होगी.

एक आखिरी बात जो इसमें ध्यान रखनी चाहिए, वो ये कि आईसीसी ने बीसीसीआई को धोनी के ग्लव्स से ‘बलिदान’ चिन्ह हटाने का आदेश नहीं दिया था, बल्कि अपील की थी. अब बीसीसीआई के जवाब के बाद आईसीसी को तय करना है कि ‘बलिदान’ चिन्ह किसी कैटेगरी में आता भी या नहीं.

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