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बांग्लादेश के खिलाफ बिल्कुल ही नए प्लान के साथ उतरी टीम इंडिया

टीम इंडिया के प्लान में बदलाव ने दिखाया असर

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बांग्लादेश के खिलाफ 28 रनों की जीत के साथ ही भारतीय टीम 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंच गई. विश्व कप की शुरूआत से इस बात की उम्मीद थी कि यहां तक का सफर तो टीम इंडिया आसानी से पूरा कर लेगी. इस लिहाज से टीम इंडिया फैंस की उम्मीदों पर खरी उतरी. अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने आखिरी लीग मैच में दक्षिण अफ्रीका से हार जाती है और भारत श्रीलंका को आखिरी लीग मैच में हरा देता है तो उसके पास प्वाइंट टेबल में पहली पायदान पर कब्जा करने का मौका भी है.

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प्लान में बदलाव ने दिखाया असर

बांग्लादेश के खिलाफ मैच में टीम इंडिया बिल्कुल नए प्लान के साथ मैदान में उतरी. इस प्लान पर बात करना जरूरी है. ये नया प्लान था बल्लेबाजी को और निचले क्रम तक ले जाना यानी उसे और मजबूत करना. इस विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच को छोड़ दें तो मिडिल ऑर्डर और लोवर मिडिल ऑर्डर अपनी क्षमताओं के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया था. इसीलिए टीम में दो बदलाव किए गए. पहला बदलाव केदार जाधव की जगह स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के तौर पर दिनेश कार्तिक और कुलदीप यादव की जगह भुवनेश्वर कुमार.

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इन बदलावों का मतलब समझना जरूरी है. साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि क्या आने वाले मैचों में टीम इंडिया इसी नए प्लान के साथ मैदान में उतरेगी.

समझिए बांग्लादेश के खिलाफ दो बदलावों के मायने

केदार जाधव से अगर गेंदबाजी नहीं कराई जा रही है तो दिनेश कार्तिक उनसे बेहतर बल्लेबाज हैं. केदार जाधव ने अब तक 6 मैच खेल लिए थे. उन्होंने सिर्फ 6 ओवर फेंके थे. उन्हें कोई विकेट नहीं मिला था. बल्लेबाजी में उन्होंने 40 की औसत से 6 मैचों में 80 रन बनाए थे. उनकी स्ट्राइक रेट 80.80 की थी. ऐसे में टीम मैनेजमेंट को दिनेश कार्तिक बेहतर पैकेज लगे.

  • केदार ने 6 मैच में सिर्फ 6 ओवर फेंके
  • 80.80 की स्ट्राइक रेट भी अच्छी नहीं
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दूसरे बदलाव के तौर पर कुलदीप यादव की जगह भुवनेश्वर कुमार को शामिल करने के पीछे भी दो वजहें हैं. अव्वल तो पिछले मैच में कुलदीप यादव बहुत महंगे साबित हुए थे. उन्होंने 10 ओवरों में 72 रन दिए थे. इसके अलावा, अब तक खेले गए 6 मैचों में उन्हें सिर्फ पांच विकेट ही मिले थे. हाल के दिनों में विराट कोहली ने अपनी पसंद साफ तौर पर जाहिर की है कि अगर उन्हें प्लेइंग 11 में एक स्पिनर चाहिए तो वो युजवेंद्र चहल पर भरोसा करते हैं. लिहाजा कुलदीप की जगह भुवनेश्वर कुमार आए. इसका एक फायदा ये भी हुआ कि पिछले मैच में जिस छोर से बाउंड्री करीब थी उस छोर से टीम इंडिया के पास तेज गेंदबाजी कराने का विकल्प था.

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इसके अलावा भुवनेश्वर कुमार की बल्लेबाजी भी ठीक ठाक है. उन्होंने फर्स्ट क्लास मैचों में 1 शतक और 14 अर्धशतक भी लगाए हैं. यानी टीम इंडिया मैनेजमेंट को लगता है कि वो बल्लेबाजी में और गहराई ला सकते हैं.
  • कुलदीप यादव ने पिछले मैच में 10 ओवर में 72 रन दिए
  • कुलदीप को अब तक सिर्फ 5 विकेट ही मिले हैं
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क्या इंग्लैंड टीम की थ्योरी पर चली टीम इंडिया

बीच टूर्नांमेंट में अपनी रणनीति बदलने के पीछे एक बड़ी वजह है दो खिलाड़ियों को लगी चोट. पहले शिखर धवन चोट की वजह से बाहर हुए. जिसके चलते केएल राहुल को सलामी बल्लेबाजी करने की जिम्मेदारी दी गई. फिर विजय शंकर को मौका दिया गया तो वो भी चोट के चलते विश्व कप से बाहर हो गए. विजय शंकर की जगह ऋषभ पंत को प्लेइंग 11 में लाया गया. दूसरी रणनीति थी कि मैच की शुरूआत से ही इंग्लैंड की टीम की तरह विरोधी टीम के गेंदबाजों पर आक्रमण किया जाए. भारत के खिलाफ भी इंग्लैंड ने इसी रणनीति के साथ बल्लेबाजी की थी. जिसका नतीजा ये हुआ कि इंग्लैंड ने स्कोरबोर्ड पर 337 रन जोड़ दिए थे.

इंग्लैंड की टीम पिछले करीब दो साल से इसी अंदाज में क्रिकेट खेल रही है. इसकी बड़ी वजह ये है कि उनके बैटिंग ऑर्डर में मोइन अली तक जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी कर सकते हैं. मोइन अली टेस्ट और वनडे क्रिकेट को मिलाकर 8 शतक लगा चुके हैं. 19 अर्धशतक भी उनके खाते में हैं.

भारत भी संभवत: उसी रास्ते पर है, जहां पहले ओवर से ही विरोधी टीम के गेंदबाजों के खिलाफ निडर होकर खेला जाए. जबकि ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान या दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच मे टीम इंडिया इससे बिल्कुल उलट रणनीति के साथ मैदान में उतरी थी, जहां उसने शुरुआती ओवरों में गेंदबाजों को काफी सम्मान दिया था.

हालांकि रणनीति में इस बदलाव के बाद भी टीम इंडिया की बड़ी मुसीबत खत्म नहीं हो रही है. बांग्लादेश के खिलाफ मैच में भी टीम इंडिया ने स्कोरबोर्ड पर कम से कम 20 रन कम जोड़े. विराट कोहली चाहे जितना डिफेंड करें लेकिन धोनी की बल्लेबाजी का अंदाज टीम पर भारी पड़ रहा है. आप इस बात को यूं समझिए कि आखिरी पांच ओवरों में टीम इंडिया ने सिर्फ 35 रन जोड़े.

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