IPL 2022: 74 मुकाबलों तक गेंद और बल्ले के बीच संग्राम के बाद आईपीएल को एक नया चैंपियन मिला है. ये नई चैंपियन गुजरात टाइटंस (Gujarat Titans) है, जिसने फाइनल मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स को 7 विकेट से हराकर इतिहास रचा.
हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) की कप्तानी वाली गुजरात पर शुरू में लोग दांव लगाने को तैयार नहीं थे. क्रिकेट पंडितों का कहना था कि गुजरात ऐसी टीम साबित होगी जो सिर्फ कागज पर मजबूत दिखती है, लेकिन गुजरात ऐसी टीम साबित हुई जिसने 15-15 साल का अनुभव रखने वाली बलशाली टीमों को उखाड़ फेंका. यहां सवाल ये है कि गुजरात ने ऐसा क्या किया जो आईपीएल की पहचान कही जाने वाली टीमें भी न कर पाईं?
एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं
गुजरात टाइटंस के खेमे की सबसे बड़ी खूबी ये रही कि टीम किसी एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं थी. किसी भी टीम के लिए लगातार सफल होने की पहली कुंजी है कि वो किसी एक या दो खिलाड़ी पर निर्भर न रहे बल्कि पूरी टीम अच्छा प्रदर्शन करे.
उदाहरण के लिए देखें तो गुजरात के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप थ्री बल्लेबाजों के कुल रन में अंतर सिर्फ 6 रन का है. हार्दिक पंड्या ने गुजरात के लिए सबसे ज्यादा (487) रन बनाए. इसके बाद शुभमन गिल (483) और डेविड मिलर (481) दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं.
इससे स्पष्ट है कि जब एक बल्लेबाज नहीं चला तो दूसरे ने कमान संभाली और दूसरा भी नहीं चला तो तीसरा मौजूद था. इनके अलावा भी रिद्धिमान साहा और कुछ अन्य बल्लेबाजों ने अहम मौकों पर शानदार प्रदर्शन किए. गुजरात की शानदार प्लानिंग और टीम यूनिट का एक और उदाहरण देखना है तो 'मैन ऑफ द मैच अवार्ड' पर गौर कर सकते हैं.
इस पूरे सीजन गुजरात के लिए आठ अलग-अलग खिलाड़ियों ने मैन ऑफ द मैच अवार्ड हासिल किए हैं जो अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि टीम को हर मुकाबले में एक नया मैच विनर मिला है.
मैनेजमेंट ने भरोसा दिखाया
गुजरात टाइटंस ने इस सीजन एक और अच्छा काम ये किया कि उसने अपने खिलाड़ियों में खूब भरोसा दिखाया है. जिन खिलाड़ियों को पिछले सीजन में उनकी टीमों ने अनदेखा कर दिया उनको चुनकर गुजरात ने एक ऐसी टीम बनाई जो अंत में सबसे सफल साबित हुई.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण डेविड मिलर और खुद कप्तान हार्दिक पांड्या हैं. पिछले 5 सालों में डेविड मिलर के साथ अलग-अलग फ्रेंचाइजी ने जैसा सुलूक किया वो उनकी काबिलियत के साथ बिल्कुल न्याय नहीं था.
देखे पिछले 5 सालों में डेविड मिलर कितने मैच खेले
2017- पांच मैच
2018- तीन मैच
2019- दस मैच
2020- एक मैच
2021- नौ मैच
2022 में डेविड मिलर को पूरे सभी मैचों में मौका मिला तो उन्होंने भी टीम मैनेजमेंट के इस भरोसे का पूरा फायदा उठाया और जहां भी टीम को जरूरत पड़ी वहां रन बना कर दिए.
कप्तान ने कसकर संभाली कमान
इसके अलावा टीम मैनेजमेंट ने इस साल हार्दिक पांड्या को कप्तान बनाने का फैसला किया. ये फैसला अपने आप में काफी जोखिम भरा था, क्योंकि पंड्या को इससे पहले आईपीएल में कप्तानी का कोई अनुभव नहीं था और सीजन शुरू होने से ठीक पहले वे भारतीय टीम से भी ड्रॉप किए जा चुके थे और लगातार फिटनेस के मुद्दों से जूझ रहे थे. यहां तक कि वेंकटेश अय्यर को उनके विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा था.
लेकिन इस पूरे दिन के दौरान पांड्या जिम्मेदारी के साथ और निखर कर सामने आए उन्होंने अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाया और गेंद से भी लगातार विकेट चटकाते रहे.
फाइनल मुकाबले में भी जब टीम लाचार नजर आने लगी तो पांड्या ने गेद अपने हाथ में थामी और जॉस बटलर, संजू सैमसन और शिमरॉन हेटमायर जैसे बल्लेबाजों को आउट करके विरोधी टीम की बल्लेबाजी की कमर ही तोड़ दी.
बाधाएं हावी नहीं हो पाईं
इस पूरे सीजन के दौरान ऐसा नहीं था कि गुजरात की राह फूलों से सजी थी. उनकी राह में भी कई बार बाधाएं आई, लेकिन गुजरात टाइटंस में किसी भी बाधा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. शुरू के पहले तीन मुकाबले जीतने वाली गुजरात को चौथे मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद ने 8 विकेट से करारी हार देकर बड़ा झटका दिया लेकिन टीम ने तुरंत अगले 2 मुकाबले जीतकर वापसी कर ली.
गुजरात को उन टीमों से हार मिली जो इस आईपीएल में प्रदर्शन के लिहाज से अच्छे नहीं कहे जा सकते. यह टीमें मुंबई इंडियन और पंजाब किंग्स थीं.
यहां कोई और टीम होती तो शायद मुंबई से हार कर उसका मनोबल बुरी तरह टूट जाता लेकिन गुजरात इस झटके से भी ऊपर ने में कामयाब रही और लखनऊ को हराकर प्लेऑफ में अपनी जगह पक्की कर ली. यहां भी टीम मैनेजमेंट की बेहतर प्लानिंग का उदाहरण देखने को मिलता है.
धारणा को बदला
गुजरात टाइटंस का यह पहला सीजन था, लिहाजा लोग इस टीम की जीत को लेकर बिल्कुल भी दाव नहीं लगाना चाहते थे. गुजरात को एक्सपर्ट्स केवल कागजों पर मजबूत दिखने वाली टीम बता रहे थे. हार्दिक पांड्या ने फाइनल मुकाबले में जीत के बाद कहा कि "काफी लोगों ने हमारे बारे में लिखा और कहा था कि हम आईपीएल की सबसे खराब टीम है, लोग हमें केवल कागजों पर मजबूत दिखने वाली टीम कह रहे थे, लेकिन हम इस टूर्नामेंट में शानदार तरीके से खेले हैं."
हार्दिक पांड्या का ये भरोसा ही था जो उन्हें चैंपियन बना गया. इस खिताब को जीतने के बाद शायद अब हार्दिक पांड्या को ये न सुनना पड़े कि आपकी टीम केवल कागजों पर मजबूत दिखती है.
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