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Top-10 खिलाड़ियों की वो लिस्ट जिसके बारे में ना सोचा, ना सुना होगा

इन खिलाड़ियों को मिलने वाली फीस पर भी इनके कम खेलने का असर पड़ेगा.

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आपने आईपीएल में टॉप 10 बल्लेबाज सुने होंगे. टॉप 10 गेंदबाज सुने होंगे. टॉप 10 किफायती गेंदबाज सुने होंगे. टॉप 10 छक्का मारने वाले खिलाड़ी सुने होंगे. आईपीएल में सबसे ज्यादा पैसे की बारिश जिन खिलाड़ियों पर होती है उसकी भी टॉप 10 लिस्ट देखी और पढ़ी होगी. लेकिन जो लिस्ट आपने ना देखी ना सुनी वो लिस्ट है टॉप 10 ‘अनयूस्ड’ खिलाड़ियों की.

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आईपीएल के इतिहास में आपने अब तक ‘अनसोल्ड’ खिलाड़ी सुने होंगे. लेकिन विडंबना ये है कि कई दिग्गज खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिन्हें खरीदार तो मिल गए लेकिन वो ‘अनयूस्ड’ रह गए. ‘अनयूस्ड’ यानी वो खिलाड़ी जो अपनी टीमों के लिए ना के बराबर मैच खेले. इनमें से ज्यादातर ऐसे खिलाड़ी हैं जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खुद को साबित कर चुके हैं.

लेकिन, आईपीएल में प्लेइंग 11 चुनते वक्त कप्तान को इस बेरहमी से फैसला करना होता है कि ये खिलाड़ी प्लेइंग 11 में ज्यादातर मैचों में जगह नहीं बना पाए.

आईपीएल में अब प्लेऑफ मैचों का समय आ गया है. जिसके बाद चार टीमें टूर्नामेंट से बाहर हो जाएंगी. सवाल उन दिग्गज खिलाड़ियों के भविष्य का है जो 14 लीग मैचों में से गिने-चुने मैचों में ही मैदान में नजर आए. हमने ऐसे टॉप 10 खिलाड़ियों की दिलचस्प लिस्ट भी तैयार की है. आप भी देखिए-

इन खिलाड़ियों को मिलने वाली फीस पर भी इनके कम खेलने का असर पड़ेगा.

इस लिस्ट को देखकर आप समझ रहे होंगे कि इसमें बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों हैं. इसमें देसी और विदेशी खिलाड़ी दोनों हैं. इस लिस्ट में जिन खिलाड़ियों का नाम देखकर सबसे ज्यादा ताज्जुब होता है वो हैं- वाशिंगटन सुंदर, मुरली विजय, शाकिब अल हसन, मयंक मारकंडे और ऋद्धिमान साहा. ऐसा इसलिए क्योंकि इन सभी खिलाड़ियों ने आईपीएल के अलग अलग संस्करणों में अपनी उपयोगिता साबित की है.

इन खिलाड़ियों की उपयोगिता के आंकड़े भी जान लेते हैं

इन खिलाड़ियों को मिलने वाली फीस पर भी इनके कम खेलने का असर पड़ेगा.
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दरअसल, आईपीएल का फॉर्मेट ऐसा है कि किसी मैच में सिर्फ 4 विदेशी खिलाड़ी प्लेइंग 11 में शामिल किए जा सकते हैं, लेकिन धोनी जैसे कप्तान भी हैं जिन्होंने कुछ मैचों में 4 की बजाए 3 विदेशी खिलाड़ियों को ही टीम में जगह दी.

इन ‘अनयूस्ड’ खिलाड़ियों को लेकर कप्तान से सवाल-जवाब का दौर भी हो सकता है. क्योंकि सवाल ये है कि अगर इनकी टीम में जरूरत ही नहीं थी तो फिर टीम के मालिकों ने इनको खरीदने में पैसे क्यों खर्च किए? अगले सीजनों में इन खिलाड़ियों को मिलने वाली फीस पर भी इनके कम खेलने का असर पड़ेगा.

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