साल 2009 में यही रोहित शर्मा आईपीएल के ‘इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर’ थे. 2019 में वो आईपीएल के इतिहास के सबसे कामयाब कप्तान हैं. एक ऐसी लीग जहां महेंद्र सिंह धोनी जैसा करिश्माई कप्तान भी मैदान में हो वहां रोहित शर्मा की कामयाबी धोनी पर भी भारी पड़ती है. वो आईपीएल के इतिहास के इकलौते कप्तान हैं, जिन्होंने चार बार ये खिताब जीता और वो इकलौते खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पांच बार ये खिताब जीता है.
इस आर्टिकल को सुनने के लिए नीचे क्लिक करें
भूलिएगा नहीं, 2009 में जब उन्हें इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर चुना गया था, तब वो डेक्कन चार्जर्स की टीम का हिस्सा थे. 2009 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स ने ही रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को हराकर खिताब जीता था. उस सीजन में रोहित शर्मा ने 16 मैचों में 362 रन बनाए थे. इसके अलावा उन्होंने 11 विकेट भी लिए थे. इसमें उनकी हैट्रिक भी शामिल है, जो उन्होंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ ही ली थी, जिसके अब वो कप्तान हैं.
साल 2013 में जब रोहित शर्मा ने मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनाया उससे पहले मुंबई की टीम की स्थिति डांवाडोल थी. सचिन तेंदुलकर टीम की कप्तानी संभाल चुके थे. हरभजन सिंह ने भी ये जिम्मेदारी उठाई थी. लेकिन 2010 को छोड़ दें तो मुंबई की टीम फाइनल तक का सफर नहीं कर पाई थी. इन सालों में उसे तीसरे से लेकर सातवें पायदान तक जाना पड़ा था, जो मुंबई की टीम के स्टार खिलाड़ियों की साख से बिल्कुल उलट था.
रोहित शर्मा ने कैसे बदली मुंबई की किस्मत
2013 के बाद रोहित शर्मा की कप्तानी में मुंबई इंडियंस सात में से चार सीजन में चैंपियन बनी. इसके अलावा भी टीम टॉप 5 में बनी रही. ये जरूरी नहीं है कि रोहित शर्मा ने बीते सीजन के हर मैच में अपने बल्ले का दमखम दिखाया हो लेकिन अपनी कप्तानी की सूझबूझ उन्होंने हर मैच में दिखाई. ज्यादा इतिहास में जाने की बजाए इसी सीजन की बात कर लेते हैं.
रोहित शर्मा ने टीम तैयार करते वक्त अपने उन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा किया जो मुंबई के पुराने साथी हैं. मैदान में उतरे तो बिल्कुल स्पष्ट सोच के साथ. उनकी स्पष्ट सोच का ही सबूत है कि मुंबई इंडियंस की टीम में 9 खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें रोहित शर्मा ने लगातार मौका दिया. यानी वो बेवजह के ‘एक्सपेरिमेंट्स’ से दूर रहे. आप रोहित शर्मा की ‘कोर’ टीम देखिए-
अपनी ‘कोर’ टीम के साथ मैदान में उतरने की आदत भी विराट कोहली ने धोनी से ही सीखी है जो ज्यादातर अपने तय खिलाड़ियों के साथ ही मैदान में उतरते हैं. महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने इस सीजन में कुल 17 मैच खेले. इसमें 10 खिलाड़ी ऐसे थे जो 12 से ज्यादा मैच खेले. पांच खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने सभी 17 मैच खेले. सिर्फ जानकारी के लिए बता दें कि विराट कोहली की आईपीएल में नाकामी की एक वजह ये भी है कि उन्होंने प्लेइंग 11 में जरूरत से ज्यादा प्रयोग किया.
इस सीजन में आरसीबी ने 14 मैच खेले. जिसमें से सिर्फ 7 खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने 10 से ज्यादा मैच खेले. वरना चार पांच खिलाड़ियों को विराट कोहली लगातार बदलते रहे. इस बात को कोई नहीं काट सकता कि रोहित शर्मा के नवरत्नों ने जब ज्यादातर मैच साथ खेले तो इनके बीच की ‘अंडरस्टैंडिंग’ ही अलग थी.
आपसी समझ से ही फिर 1 रन से जीता फाइनल
1 रन के अंतर से फाइनल जीतना आसान नहीं होता. वो भी तब जबकि सामने चेन्नई की टीम हो. 12 गेंद पर सिर्फ 18 रन बनाने हों. क्रीज पर शेन वॉटसन और ड्वेन ब्रावो जैसे बल्लेबाज हों. लेकिन रोहित शर्मा ने 2017 का कारनामा फिर से दोहराया. 2017 में भी उनकी टीम ने राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स को 1 रन से हराया था. ये 1 रन की जीत कोई एक खिलाड़ी नहीं दिलाता. ये 1 रन की जीत पूरी की पूरी टीम दिलाती है. जिसमें बुमराह का लाजवाब 19वां ओवर शामिल होता है. पांड्या का रनआउट शामिल होता है और शामिल होती है मलिंगा की लाजवाब यॉर्कर. और एक कुशल रिंगमास्टर की तरह रोहित शर्मा के हाथ में होती है सभी की कमान.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)