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कश्मीर में पेट्रोलिंग करेंगे लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी 

क्या है टेरिटोरियल आर्मी, जिसके साथ कश्मीर में रहेंगे धोनी 

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 31 जुलाई से 15 अगस्त तक सेना के साथ कश्मीर में रहेंगे. धोनी ने हाल ही में वेस्टइंडीज दौरे से अपना नाम वापस ले लिया था. धोनी ने उस दौरान सेना के साथ 2 महीने का वक्त गुजारने की इच्छा जताई थी.

धोनी अपनी 106 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन (पैरा) के साथ ड्यूटी पर रहेंगे और अलग-अलग जिम्मेदारियां संभालेंगे.

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लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) धोनी जिस यूनिट में हैं, वो कश्मीर में ‘विक्टर फोर्स’ का हिस्सा है. इन 16 दिनों में धोनी पेट्रोलिंग, गार्ड और पोस्ट की ड्यूटी संभालेंगे. धोनी 2015 में एक क्वालीफाइड पैराट्रूपर बने थे. उन्होंने आगरा के ट्रेनिंग कैंप में आर्मी के विमान से पांच बार पैराशूट के साथ कूद लगाई.

38 साल के धोनी 106 पैरा टेरिटोरियल आर्मी बटालियन की ओर से पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट पर मौजूद हैं. उन्हें भारतीय सेना ने 2011 में यह सम्मान दिया था. धोनी के अलावा अभिनव बिंद्रा और दीपक राव को भी यह सम्मान दिया गया था.

क्या है टेरिटोरियल आर्मी, जिसके साथ कश्मीर में रहेंगे धोनी 
अपनी पैरा रेजिमेंट के साथ वक्त बिताएंगे धोनी
(फोटो:PTI)

पिछले दिनों धोनी ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए चीफ सलेक्टर्स की परेशानी दूर करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली तीन टी-20 और तीन वनडे मैच की सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया था.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए एक करीबी सूत्र ने बताया कि धोनी लंबे सयम से इस बारे में विचार कर रहे थे.

सूत्र ने कहा,

“जैसे धोनी भारतीय क्रिकेट के महानतम सेवकों में से एक हैं, वैसे ही सेना के लिए उनका प्यार भी जगजाहिर है. वह लंबे समय से अपनी रेजिमेंट के साथ समय बिताने के बारे में सोच रहे थे लेकिन क्रिकेट के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे थे.”

उन्होंने कहा, "इससे युवाओं में सेना को लेकर जागरुकता फैलेगी और यही धोनी चाहते हैं."

क्या है टेरिटोरियल आर्मी?

टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना का एक हिस्सा है, लेकिन ये उन लोगों के लिए है जो पहले से ही सिविल प्रोफेशन में हैं. इसमें शामिल होने के लिए सिविल प्रोफेशन में नौकरी या सेल्फ एंप्लॉयमेंट री शर्त है.

टेरिटोरियल आर्मी की मौजूदा भूमिका स्टैटिक कर्तव्यों से सेना को राहत देने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में प्रशासन की सहायता करना है. इसे उन परिस्थितियों में सेवाएं देने के लिए भी बुलाया जाता है जहां जीवन प्रभावित होता है या देश की सुरक्षा को खतरा होता है.

बता दें कि टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट 1962, 1965 और 1971 के ऑपरेशन में सक्रिय रूप से शामिल रही थीं. आर्मी ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन राइनो और नॉर्थ-इस्ट में ऑपरेशन बजरंग में भी हिस्सा लिया है.

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