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रोहित शर्मा का 2017 में धमाल: डावांडोल से डबल सेंचुरी तक

घायल होने की वजह से रोहित सीजन की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में नहीं खेल पाए थे

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रोहित शर्मा की इस साल किस्मत बदल गई. 2017 की शुरुआत उन्होंने लड़खड़ाते हुए की थी, लेकिन अंत यादगार अंदाज से किया. 10 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में शायद ही किसी साल उन्होंने इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया हो.

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2017 में हमारे सामने रोहित शर्मा वर्जन 2.0 आया.

इस साल विराट कोहली भी अद्भुत फॉर्म में रहे. उन्होंने 76.85 की एवरेज से 2017 में कुल 1,460 रन बनाए. शायद इसी वजह से रोहित की स्टोरी बैकग्राउंड में चली गई. उन्होंने 2017 में अपने कैप्टन से पांच कम मैच खेलकर 71.83 की एवरेज से 1,293 रन बनाए. घायल होने की वजह से रोहित सीजन की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में नहीं खेल पाए थे. 2017 में उन्होंने 6 वनडे, एक टी20 और एक टेस्ट सेंचुरी बनाई.

इंग्लैंड के बाद श्रीलंका सीरीज शुरू हुई और इसमें रोहित ने एक भी गलती नहीं की. टेस्ट क्रिकेट में उन्हें मौका मिला और नागपुर में हुए मैच में उन्होंने शतक ठोक डाला. इसके बाद दिल्ली में उन्होंने अहम पड़ाव पर हाफ सेंचुरी बनाई. इन दो मैचों में परफॉर्मेंस से रोहित ने सेलेक्शन को लेकर टीम मैनेजमेंट की परेशानी बढ़ा दी है. वह जिस तरह के फॉर्म में हैं, उसे देखकर लगता है कि 2018 में केपटाउन में होने वाले पहले टेस्ट मैच में टूर सेलेक्शन कमेटी के लिए उन्हें प्लेइंग 11 से बाहर रखना मुश्किल होगा.

शुरुआत अच्छी नहीं थी

रोहित की इस साल की शुरुआत अच्छी नहीं थी. वह घायल थे, रिकवरी और कमबैक के लिए उन्हें लंबा फासला तय करना था. किसी खिलाड़ी के साथ जब ऐसा होता है तो वह अक्सर अकेला पड़ जाता है और मन में कई आशंकाएं पैदा होती हैं. उनकी जांघ में दो मांसपेशियों को सर्जरी की जरूरत थी. उनका इलाज दो एक्सपर्ट कर रहे थे.

उनमें से एक ने कहा था, ''स्पोर्ट्समैन की लाइफ में जो भी इंजरी होती है, वह उसका करियर बदल सकती है. इस इंजरी से रोहित के करियर को तो खतरा नहीं था, लेकिन इसका उस पर असर पड़ सकता था.''

रोहित को जो इंजरी हुई थी, उसका असर दौड़ने और स्ट्रेचिंग पर हो रहा था. किसी भी एथलीट के लिए ये दोनों चीजें काफी मायने रखती हैं. इसलिए इलाज के बाद उन्हें पहले चलना और फिर दौड़ना था और उसके बाद जाकर बैटिंग शुरू करनी थी. इंजरी का किसी प्लेयर के जेहन पर अजीब असर हो सकता है. इसकी वजह से उन्हें लंबा ब्रेक लेना पड़ता है. इस खाली वक्त में वे अपने गेम और उसमें बदलाव के बारे में सोचते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि गेम के मानसिक पहलू पर उन्हें काम करना होता है.

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रोहित ने इस पर कहा था, ''मेरे लिए तो इलाज के बाद चलना ही बड़ी बात थी. इंजरी के दौरान एक बार तो मुझे लगा था कि मैं चल भी पाऊंगा या नहीं.''

मैं खुशकिस्मत हूं कि अपने पैर पर खड़ा हूं, खेल रहा हूं और कुछ रन भी बना रहा हू्ं. इसलिए, मैं खुश हूं. पहले क्या हुआ, मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोचता. आगे क्या करना है, इस बारे में मुझे सोचना पसंद है.
रोहित शर्मा, टीम इंडिया

उन्होंने कहा था, ''जब मुझे टीम में आए कुछ ही समय गुजरा था और मेरे पास अधिक एक्सपीरियंस नहीं था, तब मैं कई चीजों के बारे में सोचता था. अब ऐसा नहीं है. मैं उस उम्र को पार कर चुका हूं. मुझे आने वाली चीजों के लिए तैयार रहना चाहिए. यही मायने रखता है. पहले जो हो चुका है, आप उसे बदल नहीं सकते.''

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खुश हैं रोहित

वह अभी फॉर्म में हैं. इससे यह भी पता चलता है कि वह खुश हैं. रोहित जैसे शख्स जब खुश और सिक्योर होते हैं, तो हमेशा अच्छा खेलते हैं. रोहित के लिए ऐसा माहौल बनाने का काफी क्रेडिट टीम मैनेजमेंट को जाता है. किसी को भी उनकी योग्यता पर शक नहीं था. वह दुनिया के अकेले क्रिकेटर हैं, जिन्होंने तीन दोहरे शतक लगाए हैं.

टी20 क्रिकेट में उन्होंने सबसे कम गेंद पर सेंचुरी लगाने के रिकॉर्ड की भी बराबरी की है. इसका मतलब यह है कि उनमें बड़ी इनिंग की भूख है. रोहित जब फॉर्म में होते हैं, तो वे किसी गेंदबाज का ‘मर्डर’ कर सकते हैं. वह विपक्षी टीम को तार-तार कर देते हैं. दूसरी टीम के प्लेयर्स उनकी काबिलियत और खूबसूरत बल्लेबाजी से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. रोहित के लिए फॉर्म में आने का इससे अच्छा समय भी नहीं हो सकता था.

भारतीय टीम को उनके टैलेंट, एनर्जी और लीडरशिप की अभी जरूरत है.टीम के विदेशी दौरे शुरू होने जा रहे हैं. वहां की तेज पिचों पर आग उगलते गेंदबाजों को वह करारा जवाब दे सकते हैं.

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