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Mukesh Kumar...टैक्सी ड्राइवर का वो बेटा जिसने कुपोषण को मात देकर पाई नीली जर्सी

Mukesh Kumar ने इंडिया ए की तरफ से खेलते हुए न्यूजीलैंड ए के खिलाफ पांच विकेट लिए थे.

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भारत और साउथ अफ्रीका (IND vs SA) के बीच टी20 सीरीज के बाद दोनों टीमों के बीच वनडे सीरीज खेली जाएगी. 6 अक्तूबर से शुरू हो रही वनडे सीरीज के लिए बीसीसीआई ने टीम का एलान कर दिया है.

इस महीने के आखिर में शुरू हो रहे टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई ने वनडे सीरीज के लिए अलग टीम का एलान किया है. यानी कि इस टीम में उन खिलाड़ियों को शामिल किया गया है जो टी20 विश्व कप का हिस्सा नहीं हैं. टीम लगभग वैसी ही है जैसी उम्मीद की जा रही थी, बस रजत पाटीदार और मुकेश कुमार के रूप में दो नए खिलाड़ियों को शामिल किया गया है.

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रजत पाटीदार के नाम से तो शायद हर कोई परिचित हो चुका होगा. उन्होंने आईपीएल 2022 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की ओर से खेलते हुए शतक भी जड़ा था. लेकिन क्या आपने मुकेश कुमार का नाम सुना है?

बंगाल की ओर से खेलते हैं मुकेश 

साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में जगह बनाने वाले 28 वर्षीय मुकेश पिछले कुछ सालों से बंगाल के लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने हाल ही इंडिया ए और ईरानी कप के दौरान रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए भी बेहतरीन गेंदबाजी की है. खास बात है कि मुकेश अब तक एक भी आईपीएल मुकाबला नहीं खेले हैं लेकिन उन्हें भारतीय टीम की तरफ से बुलावा आ गया हैं.

एक प्रवासी टैक्सी ड्राइवर का बेटा, मुकेश मूल रूप से बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाले हैं, लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में कोलकाता में स्थानांतरित हो गया क्योंकि उसके पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी कर्मचारी बने. उन्होंने अपने पिता की इच्छा को पूरा किया. वह वर्तमान में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के कार्यालय में काम करते हैं.

हालांकि, देश के कई अन्य संघर्षरत क्रिकेटरों की तरह, मुकेश के लिए यह यात्रा कठिन थी, जिन्होंने दो साल पहले अपने पिता को ब्रेन स्ट्रोक में खो दिया.

रणदेब बोस का मिला साथ 

उन्होंने अपने खेल की शुरुआत टेनिस बॉल क्रिकेट से की थी. 20 के दशक में उन्होंने अपने ध्यान चमड़े की गेंद पर लगाया, जिसमें राज्य के विभिन्न क्लब खेलते थे, लेकिन यह बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (सीएबी) की महत्वाकांक्षी 'विजन 2020' परियोजना थी जिसने उनके जीवन को बदल दिया.

उभरते हुए क्रिकेटर ने बंगाल के सहायक स्टाफ सदस्य रणदेब बोस का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने पाकिस्तान के पूर्व अंतरराष्ट्रीय वकार यूनिस को युवा खिलाड़ी की सिफारिश की थी. वकार बतौर गेंदबाजी सलाहकार ट्रेल्स की अध्यक्षता कर रहे थे.

हालांकि, पाकिस्तान के महान खिलाड़ी मुकेश की गेंदबाजी क्षमताओं से संतुष्ट नहीं थे, इसके बावजूद रणदेब ने वकार को उन्हें विजन 2020 टीम में शामिल करने के लिए राजी कर लिया और यह एक निर्णय का मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ.

एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले मुकेश कुपोषण से पीड़ित थे और जब 2014 में वह बंगाल क्रिकेट संघ में शामिल हुए तो वहां के डॉक्टर ने उन्हें एनीमिक बता दिया.

मुकेश के हुनर को देखते हुए बीसीए ने उन्हें रहने के लिए आवास दिया और उनके स्वस्थ पर भी ध्यान दिया. उन्हें एक पेशेवर खिलाड़ी के रूप में विकसित करने में बोर्ड को तीन साल लग गए.

मुकेश ने शुरुआती आठ महीनों में एक भी गेम नहीं खेला और बाद में बंगाल की अंडर-23 टीम में शामिल हो गए, जहां वह सभी को प्रभावित करने में कामयाब रहे और आखिरकार अपना नाम बनाया.
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डेब्यू मैच में ही किया कमाल 

उनके प्रदर्शन ने एक बार फिर रानादेब की नजरें खींची, जिन्होंने उस समय बंगाल के मुख्य कोच साईराज बहुतुले को सीनियर टीम में शामिल करने के लिए मना लिया था. मुकेश को रणजी ट्रॉफी बंगाल टीम के 2015 सीज़न में शामिल किया गया था.

मुकेश ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए डेब्यू मैच की पहली ही पारी में चार विकेट चटका दिये. जिसमें वीरेंद्र सहवाग का बेशकीमती विकेट भी शामिल था.

पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग उस समय हरियाणा के कप्तान थे. सहवाग का विकेट लेना उनके लिए एक ड्रीम शुरुआत थी. उन्होंने उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आने वाले सालों में और मजबूत होते गए.

मोहम्मद शमी के भारत के लिए खेलने और साल 2019 में अशोक डिंडा के संन्यास लेने के बाद मुकेश बंगाल के तेज गेंदबाजों के नेतृत्वकर्ता बन गए हैं. जिसमें युवा तेज गेंदबाज ईशान पोरेल और आकाश दीप शामिल हैं.

30 प्रथम श्रेणी मैचों और 109 विकेटों के प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ मुकेश टीम के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज हैं और उन्होंने पिछले सीजन में टीम के रणजी ट्रॉफी फाइनल अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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हालांकि, बंगाल फाइनल मुकाबले में सौराष्ट्र से हार गया था, लेकिन 2006-07 सत्र के बाद यह उनका पहला रणजी ट्रॉफी फाइनल था. मुकेश ने पिछले तीन रणजी सत्रों में 20 से अधिक विकेट लिए हैं और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका करियर औसत 22.50 है.

मुकेश पिछले साल शाहबाज नदीम के साथ नौ पारियों में 20 विकेट के साथ बंगाल के संयुक्त प्रमुख विकेट लेने वाले गेंदबाज भी थे.  

भारत ए की तरफ से भी अच्छा प्रदर्शन रहा 

न्यूजीलैंड ए के खिलाफ भारत ए की तरफ से खेलते हुए सभी का ध्यान उनपर गया. उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट हॉल अपने नाम किया. मैच से पहले उन्हें गेंदबाजी कोच बाहुतुले के हाथों कैप मिला था, जिनके अंदर उन्होंने बंगाल की ओर से डेब्यू किया था.

सीरीज में 9 विकेट के साथ मुकेश संयुक्त रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. यही कारण है कि उन्हें भारतीय टीम की तरफ से बुलावा आया है.

इस बीच मुकेश को ईरानी कप के दौरान रेस्ट ऑफ इंडिया की तरफ से सौराष्ट्र के खिलाफ खेलते हुए भारतीय टीम के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अपने चयन की खबर मिली.

मध्यम तेज गेंदबाज ने अपनी सटीक स्विंग के जरिए चार विकेट चटकाए, जिस कारण सौराष्ट्र की पारी पहले दिन सिर्फ 98 रन पर सिमट गई.

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मुकेश लाल गेंद के साथ अपने कारनामों को जारी रखते हुए दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 50 ओवर की श्रृंखला के लिए तैयार हैं, केवल एक ही सवाल अनसुलझा है- वह सफेद गेंद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसा प्रदर्शन करेंगे?

जैसा कि मुकेश ने एक बार 2020 में रणजी ट्रॉफी फाइनल के बाद कहा था, "जिसकी मेरी जैसी संघर्ष भरी कहानी है, मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि अपनी मेहनत पर विश्वास करें और बाकी भगवान पर छोड़ दें."

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