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मनु जिसने 2 साल पहले तक नहीं थामी थी बंदूक, शूटिंग में जीता गोल्ड

16 साल की निशानेबाज मनु भाकर ने करियर के पहले कॉमन वेल्थ गेम्स में ही गोल्ड जीतकर अपनी काबलियत साबित कर दी है.

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‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के…” फिल्म दंगल का ये डायलॉग बहुत पीछे छूट चुका है. हरियाणा में अब बात ये हो रही है कि “छोरे छोरियों तै घणी पिछ्छे रह गे”. मतलब लड़के तो लड़कियों से बहुत पीछे छूट गए हैं. क्योंकि सिर्फ 14 साल की उम्र में निशानेबाजी के लिए बंदूक उठाने वाली मनु भाकर ने दो साल में ही सोने का ताज पहन लिया है.

हरियाणा की 16 साल की निशानेबाज मनु भाकर ने करियर के पहले कॉमनवेल्थ गेम्स में ही गोल्ड जीतकर अपनी काबिलियत साबित कर दी है. ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में जारी 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में रविवार को मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में निशाना सीधा गोल्ड मेडल पर ही लगाया. और दिग्गज खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड अपने नाम किया.

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16 साल की निशानेबाज मनु भाकर ने करियर के पहले कॉमन वेल्थ गेम्स में ही गोल्ड जीतकर अपनी काबलियत साबित कर दी है.
मनु भाकर ने फिर लगाया गोल्ड पर निशाना
(फोटो: Twitter)

इस जीत के साथ पिछले दो महीने में यह उनका सातवां गोल्ड मेडल है. मनु ने 240.9 अंक के साथ गोल्ड पर कब्जा जमाया. साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में रिकॉर्ड भी बनाया.

कहानी शूटिंग के अलावा भी है

कहते हैं भगवान जब देता है तो छप्पड़ फाड़ कर देता है, ये कहावत मनु भाकर पर बिल्कुल फिट बैठती है. शूटिंग से पहले मनु बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट में भी पदक जीत चुकी हैं. इसके अलावा स्केटिंग. कर्राटे, थांग टा जैसे खेलों में भी नेशनल मेडल जीत चुकी हैं.

परिवार के साथ के अलावा त्याग की कहानी भी है

मनु, बॉक्सिंग में कामयाबी की अोर कदम बढ़ा ही रही थीं, तभी बॉक्सिंग के दौरान आंखों पर चोट लग गई. बात जान पर बन आई. मनु को बॉक्सिंग छोड़नी पड़ी, इसके बावजूद खेल का जुनून कम नहीं हुआ. पिता ने खेल को लेकर बेटी के जज्बे को देखा और बेटी के हाथ में ग्लव्स की जगह पिस्टल थमा दी.

मर्चेंट नेवी में इंजीनियर पिता रामकिशन ने अपनी नौकरी छोड़ दी. और फुल टाइम, बेटी के सपनों को कामयाब बनाने के लिए लग गए.

16 साल की निशानेबाज मनु भाकर ने करियर के पहले कॉमन वेल्थ गेम्स में ही गोल्ड जीतकर अपनी काबलियत साबित कर दी है.
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वो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटी

12 वीं क्लास में पढाई करने वाली मनु भाकर हरियाणा के झज्जर की रहने वाली हैं. मनु के पिता रामकिशन कहते हैं,

जीतने के बाद सब कहते हैं कि हमें उम्मीद थी, लेकिन सच कहूं तो मनु कभी भी किसी भी टूनार्मेंट से खाली हाथ नहीं आई. चाहे वो नेशनल्स हो, स्कूल लेवल हो या कोई भी टूनार्मेंट हो. वो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटी.

दो साल में दो दर्जन से ज्यादा मेडल

कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. मनु के साथ भी कुछ एेसा ही हुआ. शूटिंग ट्रेनिंग ज्वॉइन करने के बाद से ही मनु कमाल करने लगी थीं.

16 साल की निशानेबाज मनु भाकर ने करियर के पहले कॉमन वेल्थ गेम्स में ही गोल्ड जीतकर अपनी काबलियत साबित कर दी है.
उनका निशाना कितना अचूक है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इसी साल मार्च के महीने में सीनियर वर्ल्ड कप में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में दो गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. ये जीत इतनी आसान नहीं थी. उन्होंने इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन की तरफ से मेक्सिको में करवाए जा रहे वर्ल्ड कप के सिंगल्स मुकाबले में दो बार की वर्ल्ड कप विनर रही मेक्सिको की अलेजांद्रा जावाला को पछाड़ कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.

पिछले साल आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में 49वें नंबर पर रहीं थीं. इससे पहले, उन्होंने पिछले साल जापान में हुई एशियन चैम्पियनशिप में रजत पदक हासिल किया था.

2017 की नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में तो मनु ने एक नहीं दो नहीं बल्कि कुल 15 मेडल जीते थे.

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