नए साल की इससे अच्छी शुरुआत और क्या हो सकती है? विराट कोहली की भारतीय टीम ने हमें चार साल इंतजार कराया, पर अंततः यह इंतजार सुखद रहा. विराट कोहली ने जब एमएस धोनी से टीम की कप्तानी संभाली थी, तो 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में ही उनसे अपेक्षाएं बढ़ गई थीं. उन्होंने उस दौरे में एडिलेड में दो सेंचुरी बनाकर धमाकेदार शुरुआत की थी.
जब भी विराट टीम को विदेशी दौरे पर ले गए हैं, हमें यह लगा कि यह वो टीम है जो भारतीय क्रिकेट का नया इतिहास लिखेगी. लेकिन क्रिकेट कोई आसान खेल नहीं है, और जिस भी टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया है,उनसे बेहतर इसको कोई नहीं जानता.
लेकिन इस बार, विराट और उसकी टीम ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है जो आज तक कोई भी भारतीय टीम नहीं कर पाई थी और इसी वजह से यह जीत एक विशेष जीत के रूप में दर्ज रहेगी.
खत्म हुआ दशकों का इंतजार
निश्चित रूप से यह एक बहुत ही गौरवशाली क्षण है, न केवल उस टीम के लिए जो इस समय ऑस्ट्रेलिया में है बल्कि उन लोगों के लिए भी जो भारतीय जर्सी पहन चुके हैं और भारतीय क्रिकेट से प्यार करते हैं - जिन्होंने इस क्षण की प्रतीक्षा में दशकों बिताए हैं, और यह उम्मीद लगा रखी थी कि किसी दिन यह सपना सच होगा.
यह एक उत्कृष्ट जीत है और एक बहुत ही उत्कृष्ट प्रदर्शन.
पिछले साल भारत को जब दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में हार मिली थी तो विराट की काफी आलोचना हुई थी, पर उसने अपनी ताकत दिखा दी है, एक अच्छे योद्धा के रूप में वो टीम को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहा है कि ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना असंभव नहीं है.
पर इसका श्रेय सिर्फ विराट को ही नहीं जाता है. कोच के रूप में रवि शास्त्री की भूमिका और सहयोगी स्टाफ की मदद से यह संभव हो पाया है और हां, देश के अरबों भारतीय फैन्स की शुभेच्छा भी उनके साथ रही है.
भारत के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू से अब तक जितने भी कप्तान हुए हैं, इनमें से प्रत्येक इस जीत के सपने देखते रहे हैं. हमारी सलामी जोड़ी के साथ कुछ दिक्कतों के बावजूद, चेतेश्वर पुजारा, कप्तान कोहली और अजिंक्य रहाणे भारतीय बल्लेबाजी को ऑस्ट्रेलिया से आगे रखने में कामयाब रहे हैं. लेकिन, किसी भी बात से अधिक, हमारे गेंदबाजों के अच्छे प्रदर्शन ने इस जीत को संभव कर दिखाया. इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है.
ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाली पहली एशियाई टीम होने का गौरव प्राप्त करने वाली भारतीय टीम के हाथ में आज बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी शोभायमान है.
‘विश्व क्रिकेट की बादशाह बन सकती है विराट की टीम’
मुझे वो क्षण याद है जब 1971 में अजित वाडेकर की टीम ने इंग्लैंड में इंग्लैंड को हराया था. मैं सड़क पर था और मेरे सामने से विजयी टीम का स्वागत करने के बाद मोटरसाइकिल पर सवार फैन्स गुजर रहे थे. जब हमने 1983 में विश्वकप जीता और वतन वापस आए तो उस दौरान मैंने भी वही सब कुछ महसूस किया. मैं दोबारा सड़क पर जाना चाहता हूं, एक प्रशंसक के रूप में, विराट की टीम का स्वागत करने के लिए जब वह ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापस आएगा.
इस जीत को स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा.
यह जीत हमारी उस बात को सही साबित करती है जो हम पिछले कुछ सालों से कहते रहे हैं - कि विराट की टीम में विश्व क्रिकेट की बादशाहत हासिल करने की क्षमता है, वेस्टइंडीज की टीम की तरह जिसने इस खेल पर1960 के दशक से 1980 के दशक तक अपने नाम लिख लिए थे. मैं तो सिर्फ यही प्रार्थना करता हूं कि वे फिट रहें और खुद को चोटग्रस्त होने से बचाएं.
जिस तरह की आशाएं इस टीम ने जगाई हैं, यह स्वाभाविक है कि अब जब वे कोई मैच हारेंगे तो उनकी आलोचना होगी. पर क्रिकेट एक ऐसा खेल है कि कोई भी टीम शून्य से बादशाहत की ऊंचाई तक जा सकती है. इस जीत को संभव बनाने वाले टीम के हर सदस्य को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और मैं उम्मीद करता हूँ कि वे एक के बाद एक देशी-विदेशी धरती पर सीरीज जीतेंगे उसी तरह जैसा उन्होंने अभी कर दिखाया है.
मैं नतमस्तक हूं, कप्तान कोहली और उनकी पूरी भारतीय टीम को मेरा सलाम.
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