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8 साल पहले वीवीएस लक्ष्मण ने ओझा का सिर फोड़ ही दिया होता मगर... 

2010 के उस मोहाली टेस्ट में प्रज्ञान ओझा पर वीवीएस लक्ष्मण को बहुत तेज गुस्सा आया था 

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साल था 2010, दिन 5 अक्टूबर. ऑस्ट्रेलिया की रिकी पॉन्टिंग वाली टीम भारत के दौरे पर थी. मोहाली में खेले गए पहले टेस्ट का आखिरी दिन. 216 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया ने सिर्फ 124 रनों पर 8 विकेट गंवा दिए. उसके बाद 9वें विकेट के लिए वेरी-वेरी स्पेशल(वीवीएस) लक्ष्मण ने ईशांत शर्मा के साथ 81 रन जोड़े और टीम इंडिया को लगभग जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया लेकिन तभी गेम ने एक बार फिर पलटी मारी और ईशांत को अंपायर इयन गॉल्ड ने बेन हिल्फेनहास की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट करा दिया. रीप्ले में साफ दिख रहा था गेंद लेग स्टंप को छोड़ कर जा रही थी, ऐसे में चाकू की नोंक पर खड़े मैच में टीम इंडिया के लिए ये झटका जोरदार था. उसके बाद बल्लेबाजी करने आए लेफ्ट आर्म स्पिनर और बल्लेबाजी में बिल्कुल फिसड्डी खिलाड़ी प्रज्ञान ओझा.

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जीत अभी 11 रन दूर थी और भारत के हाथ में सिर्फ 1 विकेट. वीवीएस हर हाल में स्ट्राइक अपने पास रखना चाहते थे क्योंकि ओझा के बल्लेबाजी “टैलेंट” को वो अच्छे से जानते थे. मैच की आखिरी पारी में लक्ष्मण की पीठ में दर्द था इसलिए सुरेश रैना उनके लिए रनर बने हुए थे. तो एक तरीके से पिच पर तीन भारतीय बल्लेबाज थे जो हर गेंद के बाद आपस में मिलते और पिच को हल्के बल्ले से ठोकते हुए रणनीति बनाते. मैच की इस सिचुएशन में हर एक रन पर जोरदार तालियां बज रही थीं.

जब भारत जीत से 9 रन दूर था तो ओझा ने बेन हिल्फेनहास की गेंद को जैसे तैसे थर्ड मैन की ओर धकेला और लक्ष्मण को स्ट्राइक दे दी. उसके बाद लक्ष्मण ने डीप पॉइंट की तरफ गेंद को पंच किया और रैना-ओझा ने दो रन की दौड़ पूरी की. रैना ने दूसरा रन डाइव मारकर पूरा किया. इस दौरान ओझा की स्लो रनिंग देखकर लक्ष्मण को गुस्सा आ गया. रीप्ले में दिखा कि वो जोर-जोर से भाग...भाग चिल्ला रहे थे.

अब भारत जीत से सिर्फ 6 रन दूर. मैदान पर टेंशन का माहौल. लक्ष्मण जानते थे कि अगला ओवर खतरनाक मिचेल जॉनसन का है इसलिए वो हर हाल में स्ट्राइक अपने पास रखना चाहते थे. ऐसे में ओवर की चौथी गेंद को उन्होंने मिडऑफ की तरफ पुश किया और रैना रन के लिए दौड़ गए लेकिन ओझा पहले तो हल्का सा आगे बढ़े लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ कि वो वापिस क्रीज पर लौट गए. वीवीएस लक्ष्मण के खड़े-खड़े हाथ-पांव फूल गए कि ये ओझा कर क्या रहा है. उन्होंने जोर-जोर से बीच मैदान पर गाली निकालना शुरू कर दिया. नौबत तो यहां तक आ गई कि लक्ष्मण ने ओझा को मारने के लिए बल्ला तक उठा लिया. ओवर की आखिरी गेंद को हिल्फेनहास ने बाउंसर फेंका और लक्ष्मण स्ट्राइक नहीं बदल पाए.

अंपायर का गलत फैसला और भारत जीत गया

अब गेंद जॉनसन के हाथ में थी और स्ट्राइक पर प्रज्ञान ओझा थे. टीम इंडिया और फैंस की सांसे रुकी पड़ी थीं. तीनों बल्लेबाजों ने लंबी बात की और लक्ष्मण ने ओझा के कंधों पर हाथ रखकर उन्हें लंबा ज्ञान दिया. ये लगान फिल्म के उस आखिरी सीन जैसा ही था जिसमें भुवन कचरा को समझाता है कि “अब सबकी जिंदगी तोहरे हाथ में है कचरा”

ओवर की पहली गेंद को को जॉनसन ने बाहर की ओर फेंका, ओझा ने बल्ला अड़ाना चाहा लेकिन चूक गए. दूसरी गेंद लेकर जॉनसन बढ़े और उन्होंने लेंथ बॉल फेंकी जो टप्पा खाकर हल्का सा अंदर आई और ओझा के पैड पर लगी. पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जोरदार अपील की, टीवी पर साफ दिखा की ओझा तो आउट है लेकिन अंपायर बिली बाउडन ने अपनी टेढ़ी उंगली नहीं उठाई. इस बीच रन लेने के हड़बड़ी में ओझा बिना कुछ देखे यूं ही भाग पड़े और जब तक वो समझ पाते कि यहां खतरा है, पॉइंट पर खड़े स्टीव स्मिथ ने जोरदार थ्रो फेंका लेकिन गेंद विकेट से 1.5 इंच पास से निकली और सीधा बाउंड्री पर गई.

ओवर थ्रो! भारत को अंपायर के ही एक गलत फैसले पर मिल गए 4 ओवरथ्रो के रन. अब जीत सिर्फ 2 रन दूर थी. मैच ड्रॉ करने के लिए सिर्फ 1 रन की दरकार थी. अगली गेंद जॉनसन ने ललचाते हुए बाहर फेंकी लेकिन ओझा नहीं फंसे वो खड़े रहे, गेंद को जाने दिया. जॉनसन को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. एक गलत फैसला और फिर यूं ओवर थ्रो देखकर उनका दिमाग चलना बंद हो गया था इसलिए अगली गेंद वो पैड पर दे बैठे, वो भी लेग साइड में. ओझा के पैड से टकराकर गेंद लुढकती हुई फाइन-लेग की ओर जाने लगी और जब तक कि फील्डर थ्रो करता भारत जीत चुका था. लक्ष्मण और रैना एक दूसरे के गले लग रहे थे तो ओझा खुशी में पूरी पिचा चक्कर लगा रहे थे. 124/8 के स्कोर के बाद टीम इंडिया ने ये जीत हासिल की थी. आज भी जब आप You Tube पर सबसे ज्यादा रोमांचक टेस्ट मैचों की वीडियो खोजेंगे तो ये मैच आपको दिखाई देगा.

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