भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में एक और छलांग लगाई है. ISRO ने हाल ही में एक प्राइवेट मिशन की सफलता के बाद शनिवार, 26 नवंबर को एक और इतिहास रचा है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ओशनसैट-3 (Oceansat-3) समेत आठ नैनो सैटेलाइट को PSLV-C54/EOS-06 मिशन के तहत सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है.
क्या है Oceansat-3 सैटेलाइट?
EOS-6, ओशनसैट सीरीज के सैटेलाइटों में तीसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है. यह एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जो कि समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय अध्ययन के लिए समर्पित हैं. इसके अलावा यह सैटेलाइट समुद्री मौसम का पूर्वानुमान करने में सक्षम है, जिससे देश को चक्रवात, तूफान से निपटने में मदद मिलेगी.
इस मिशन में ओशन कलर मॉनिटर (OCM-3), सी सरफेस टेंपरेचर मॉनिटर (SSTM), कू-बैंड स्कैटरोमीटर (SCAT -3) और ARGOS जैसे पेलोड शामिल हैं.
बता दें कि, इसी सीरीज के पहले उपग्रह Oceansat -1 को 26 मई 1999 को लॉन्च किया गया था. फिर Oceansat 2 को 23 सितंबर 2009 को लॉन्च किया गया था. वहीं 2016 में Oceansat 2 के स्कैनिंग स्केटरोमीटर खराब होने के बाद ScatSat -1 लॉन्च किया गया. इसी सीरीज के थर्ड जनरेशन सैटेलाइट Oceansat 3 को शनिवार को प्रक्षेपित किया गया है.
ISRO ने अंतरिक्ष में 8 नैनो सैटेलाइट भी भेजा
इतना ही नहीं ISRO अपने इस मिशन के जरिए आठ नैनो सैटेलाइटों को भी अंतरिक्ष में भेजा है. आठ नैनो सैटेलाइटों में भारत और भूटान का ज्वाइंट सैटेलाइट यानी भूटान सैट एक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर है. जबकि आनंद निजी कंपनी पिक्सल का सैटेलाइट है. इसी तरह भारतीय निजी स्पेस कंपनी धुव्र के दो थायबोल्ट सैटेलाइट और स्पेसफ्लाइट USA के चार एस्ट्रो कास्ट सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे गए हैं.
स्पेस सेक्टर में ISRO का बढ़ता दबदबा
ISRO के इस नए मिशन की सफलता से स्पेस सेक्टर में भारत का दबदबा और बढ़ा है. इस मिशन की सफलता से ISRO को आर्थिक फायदा होगा. प्राइवेट कंपनियां भी सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए ISRO के साथ हाथ मिलाएंगी.
बीते कुछ सालों में ISRO वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष की दुनिया में कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं. उनकी इसी कामयाबी ने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत की स्थिति को और मजबूत किया है.
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