वीडियो एडिटर: कुनाल मेहरा और राहुल सांपुई
कैमरा: मुकुल भंडारी
गैजेट खासकर मोबाइल फोन से लोगों का खास जुड़ाव है और इन्हीं गैजेट से जुड़ीं हैं कई गलतफहमियां. गलतफहमियां जैसे:
1. बेहतर मेगापिक्सल माने बेहतर फोटो
नहीं, ये झूठ है.
ज्यादा पिक्सल होने से एक सीन के बारीक डिटेल्स को पकड़ने में मदद मिलती है लेकिन ज्यादा पिक्सल का मतलब है पिक्सल का साइज छोटा होना और छोटे पिक्सल की वजह से तस्वीर ज्यादा फट सकती है. खासकर तब जब लाइटिंग कमजोर हो.
2. Incognito browsing से आपके कंप्यूटर की गतिविधियों का पता दूसरों को नहीं चलता
ये भी झूठ है.
कौन सी वेबसाइट पर आप कितने बजे गए हैं ये आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और उस वेबसाइट को हमेशा पता रहता है. तो बाबूजी धीरे चलना और incognito ब्राउजिंग के समय जरा संभालना.
3. मोबाइल में ज्यादा सिग्नल बार मतलब ज्यादा कनेक्टिविटी
ये झूठ है.
बार सिग्नल की ताकत को दर्शाता है, क्वालिटी को नहीं. ऐसा समझो कि एक ही जगह पर खड़े हो कर आप, आपका दोस्त, आपका पूरा मोहल्ला, पूरा शहर फोन पर लगा हुआ है परिणाम स्वरूप, सिग्नल की ताकत कम हो जाती है बार भले ही चार क्यों ना दिखें.
4. अपने फोन की बैटरी को तभी चार्ज करें, जब वो पूरी तरह से ड्रेन आउट हो चुकी हो
ये झूठ है.
पहले लोग इंतजार करते थे बैटरी के 4 -5 % तक बचने का और फिर उसे फुल चार्ज करते थे. लेकिन ये सिर्फ Nickel-Cadmium बैटरी पर लागू होता था आज के जमाने की Lithium-Ion बैटरियों पर नहीं. 40 से 80% तक चार्ज पर बैटरी को रखने में कोई हानि नहीं है और 10-20 % के आस-पास उसे वापस चार्जिंग पर लगा सकते हैं.
5. अपने फोन को चार्ज होने के बाद भी प्लग-इन करके रखने से बैटरी खराब होती है
ये झूठ है.
रातभर चार्जिंग पर लगा देंगे तो इसका मतलब ये नहीं कि फोन सुबह फट जाएगा. ये आपका फोन है, कोई डायनामाइट नहीं. आजकल के फोन में Lithium-ion बैटरी होती है और ये बैटरी इतनी एडवांस होती है कि ये चार्जिंग अपने आप रोक देती है, जब बैटरी फुल हो जाती है. लेकिन, बैटरी के पूरा चार्ज होने के बाद चार्जर बिजली कंज्यूम करता है.
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