भारत सरकार ने 30 जुलाई को कलर टेलीविजन सेट के आयात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. केंद्र सरकार ने ये कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत मिशन' के तहत उठाया है. सरकार इस फैसले से लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और गैर-जरूरी आयात को कम करने की कोशिश कर रही है.
ऐसा फैसला क्यों लिया गया?
ये ऐलान डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने किया है, जिससे कि देश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले और चीन जैसे देशों से 'आने वाले गैर-जरूरी सामान' के आयात को कम किया जाए. इस फैसले में एलसीडी टीवी समेत 36 cm से लेकर 105 cm से ज्यादा स्क्रीन साइज के टीवी सेट शामिल हैं.
DGFT का नोटिफिकेशन कहता है: 'कलर टेलीविजन की आयात नीति ... को फ्री से बदलकर सीमित किया जाता है.'
इससे क्या होगा?
जब किसी सामान को आयात की सीमित केटेगरी में रखा जाता है, तो इसका मतलब ये होता है कि जो भी उस सामान को आयात करना चाहता है उसे पहले वाणिज्य मंत्रालय के DGFT से लाइसेंस लेना होगा. चीन, वियतनाम, मलेशिया, हॉन्ग कॉन्ग, कोरिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और जर्मनी टेलीविजन के मुख्य निर्यातक देश हैं.
2019-2020 में भारत ने 78.1 करोड़ डॉलर के कलर टीवी आयात किए थे. इनमें से 42.8 करोड़ डॉलर के वियतनाम और 29.3 करोड़ डॉलर के चीन से आयात किए गए थे.
क्या घरेलू ब्रांड्स को फायदा होगा?
कई घरेलू ब्रांड्स ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. इनमें से कई ब्रांड्स की मैन्युफैक्चरिंग और असेम्बलिंग यूनिट्स भारत में ही हैं और इसी वजह से ये अब बाजार में अपने टेलीविजन सेट की बिक्री बढ़ा पाएंगे.
सोनी 2015 से टीवी की लोकल मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट करने के लिए काफी निवेश कर रहा है. मौजूदा समय में हम सफलतापूर्वक 99% BRAVIA टेलीविजन भारत में मैन्युफैक्चर कर रहे हैं और हम प्रोडक्शन क्वालिटी से संतुष्ट भी हैं, जो कि ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक है और भारतीय कंज्यूमर की मंजूरी मिली है. हमें सरकार पर विश्वास है और ये कदम भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह पर अच्छा कदम है.सोनी इंडिया के सेल्स हेड सतीश पद्मनाभन ने क्विंट से कहा
कलर टीवी के आयात को सीमित कर देने से पीएम मोदी की 'मेक इन इंडिया' मुहिम को बूस्ट मिलेगा. ऐसी संभावना है कि स्पोर्ट्स सामान, खिलौने, प्लास्टिक का सामान जैसे गैर-जरूरी आइटम पर भी आयात प्रतिबंध लग सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)