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फेसबुक ने कहा- प्राइवेसी पॉलिसी से है दिक्कत तो छोड़ दें WhatsApp

व्हाट्सएप को फेसबुक ने साल 2014 में खरीदा लिया था. साल 2016 में व्हाट्सएप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में किया था बदलाव

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व्हाट्सएप के मालिकाना हक वाली कंपनी फेसबुक ने बड़ा ही अटपटा बयान दिया है. व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी पर उठ रहे सवाल पर फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जिन यूजर्स को व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी से कोई भी दिक्कत है वो अपना व्हाट्सएप डीएक्टिवेट कर सकते हैं.

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फेसबुक के काउंसिल के के वेनुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा,

व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी से जिन्हें भी फंडामेंटल राइट्स का हनन लगता है वो ये ऐप इस्तेमाल करना छोड़ सकते हैं. हमने लोगों को पूरी आजादी दी है. यूजर्स व्हाट्सएप और फेसबुक दोनों ही प्लेटफॉर्म छोड़ सकते हैं.

फेसबुक ने दिया अटपटा बयान तो व्हाट्सएप ने दी सफाई

व्हाट्सएप काउंसिल कपिल सिब्बल ने कोर्ट को इस बात का आश्वासन दिया कि यूजर्स के चैट और वॉयस कॉल्स एन्क्रिप्टेड होते हैं. इन्हें कोई भी दूसरा इंसान यहां तक कि खुद व्हाट्सएप कंपनी भी नहीं पढ़ सकता है.

साथ ही कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि,

यूजर और व्हाट्सएप के बीच प्राइवेट डोमेन में कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है और इसी के चलते संवैधानिक तौर पर इस पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेस्ट नहीं किया जा सकता है.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि व्हाट्सएप को फेसबुक ने साल 2014 में खरीदा लिया था. उसके बाद साल 2016 में व्हाट्सएप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव किया. जिसके मुताबिक व्हाट्सएप अपने यूजर्स की पर्सनल इनफॉर्मेशन फेसबुक के साथ शेयर कर सकता है. इसमें यूजर्स का फोन नंबर, कॉन्टेक्ट और डेटा भी शामिल है.

इसी प्राइवेसी पॉलिसी में अचानक बदलाव को देखते हुए कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. दायर याचिका में कहा गया है कि फेसबुक और व्हाट्सएप पर डेटा सुरक्षित नहीं है और यह देश के संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है.

मामले की सुनवाई पांच जजों वाली बेंच कर रही है. इस बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा, एके सिकरी, अमित्व रॉय, एएम खानविल्कर और एमएम शांतनागौदर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पांच अप्रैल को व्हाट्सएप प्राइवेसी मामले में सुनवाई के लिए पांच जजों की कंस्टीट्यूशनल बेंच बनाने का फैसला किया था. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को की जाएगी.

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