भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए बीत रहा ये साल मिली-जुली सफलता और उपलब्धियों वाला रहा. इसरो ने तकनीकी मोर्चे पर कई कामयाबियां हासिल की हैं.
एक नजर डालते हैं कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर.
1. मई में स्क्रैमजेट इंजन की सफल टेस्टिंग इसरो के लिए बड़ी कामयाबी रही. स्क्रैमजेट इंजन वातावरण से ऑक्सीजन खींचकर ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है.
इससे रॉकेट के वजन में काफी कमी लाई जा सकती है, जो अधिक से अधिक सैटेलाइट को साथ ले जाने में मददगार होगा. रॉकेट के निर्माण में लगने वाली कीमत में भी कमी आएगी.
2. कुल 34 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में उनकी आॅर्बिट में स्थापित किया गया.
बड़ी उपलब्धि ये रही कि इनमें से 33 सैटेलाइट को स्वदेश निर्मित रॉकेट और एक सैटेलाइट (जीएसएटी-18) को फ्रांसीसी कंपनी एरियानेस्पेस की बनाई गई रॉकेट से लाॅन्च किया गया.
3. भारतीय रॉकेट से लाॅन्च किए गए 33 सैटेलाइट में से 22 सैटेलाइट दूसरे देशों के थे.
11 सैटेलाइट इसरो और इंडियन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन ने बनाए थे.
4. इस साल एक साथ 20 सैटेलाइट लाॅन्च करने के अलावा इसरो ने अपना नेवल सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम स्थापित किया और दोबारा प्रयोग में आने वाले प्रक्षेपण यान (आरएलवी) का प्रयोग किया.
5.जून में भारत के सैटेलाइट काटरेसैट के साथ 19 सैटेलाइट को लाॅन्च किया गया.
इनमें से एक सैटेलाइट अमेरिकी कंपनी टेरा बेला गूगल की थी.
काॅमर्शियल मोर्चे पर भी सफल रहा साल
- इंडियन स्पेस एजेंसी की काॅमर्शियल यूनिट एंट्रिक्स कॉरपोरेशन को कुल 500 करोड़ रुपये के ऑर्डर हासिल हुए, जबकि 500 करोड़ रुपये के ऑर्डर पर बातचीत जारी है.
- स्वदेश निर्मित जीएसएलवी सीरीज के 2 से 2.5 टन वहन कैपेसिटी वाले एक और रॉकेट 'जीएसएलवी मार्क 2' को ग्लोबल मार्केट में बिक्री के लिए पेश किया.
- स्पेस एजेंसी ने इसके अलावा स्वनिर्मित पीएसएलवी में खुद डेवलप किए गए मल्टीपल बर्न तकनीक का काॅमर्शियल इस्तेमाल किया.
- दो नेविगेशन सैटेलाइटों की डिजाइन तैयार करने के लिए अल्फा डिजायन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के साथ एक काॅन्ट्रैक्ट करने के साथ सेटेलाइट उत्पादन के नए फेज की शुरुआत की.
- इसरो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी के साथ संयुक्त रूप से दोहरी फ्रिक्वेंसी (एल एंड एस बैंड) वाली सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) इमेजिंग सैटेलाइट 'नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर सैटेलाइट' (निसार) के निर्माण पर काम कर रही है, जिसके 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है.
साल 2017 भी होगा धमाकेदार
इसरो साल 2017 में एक नया धमाका करने वाला है. इसरो की योजना अगले साल एक साथ 83 सैटेलाइट को एक रॉकेट के माध्यम से लाॅन्च करने की है. इसमें दो सैटेलाइट भारत के और 81 सैटेलाइट दूसरे देशों के होंगे.
2017 की शुरुआत में ही इसरो चार टन क्षमता वाले जीएसएलवी रॉकेट लाॅन्च करने की तैयारी कर रहा है. शुरुआती तीन महीनों में तीन सैटेलाइट को लाॅन्च करने की योजना है.
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