अमेरिका की चार सबसे बड़ी कंपनियां फेसबुक, गूगल, अमेजन और एपल पर गंभीर आरोप लगे हैं. इन पर आरोप है कि इन कंपनियों ने अपने कारोबारी तरीकों से प्रतिद्वंद्वी और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाया है.
अब एंटीट्रस्ट कानून के उल्लंघन मामले में इन चारों कंपनियों के सीओ अमेरिकी संसद के ज्यूडिशियरी कमेटी के सामने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए. इसमें फेसबुक के मार्क जकरबर्ग, अमेजन के जैफ बेजोस, गूगल के सुंदर पिचई और एपल के टिम कुक शामिल थे.
इन कंपनियों पर ये भी आरोप है कि ये अपनी ताकत के दम पर अपने कॉम्पिटिटर को दबा रहे हैं.
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर, फेसबुक जैसी कंपनियों की आलोचना करते रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेसबुक, गूगल और ट्विटर जैसी दिग्गज कंपनियों पर मुकदमा चलाने की धमकी तक दी है. ट्रंप ने बुधवार को ट्वीटकर कहा,
“अगर US कांग्रेस इन बड़ी टेक कंपनियों के लिए निष्पक्षता नहीं लाती है, जो कि उन्हें सालों पहले करनी चाहिए थी, तो मैं इसे कार्यकारी आदेशों के साथ करूंगा. वॉशिंगटन में, यह सालों से ‘सिर्फ बात और कोई एक्शन नहीं लेना’, यही चल रहा रहा है, और हमारे देश के लोग इससे बीमार और थक चुके हैं!”
क्या हुआ सुनवाई के दौरान?
डेमोक्रेट सांसद और एंटीट्रस्ट सब-कमेटी के अध्यक्ष डेविड सिसिलीन ने सुनवाई के शुरुआत में कहा कि इन कंपनियों के पास बहुत ताकत है. उन्होंने कहा,
“जहां वे अभी भी कुछ नए इनोवेटिव प्रोडक्ट बना सकती हैं, इन कंपनियों का प्रभुत्व छोटे कारोबारों, मैनिफैक्चरिंग यूनिट और इकाइयों और पूरे सिस्टम को खत्म कर रहा है जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इंजन हैं.”
फेसबुक-एपल को चीन का ‘सहारा’
हालांकि अपने बचाव में फेसबुक और एपल ने चीन का नाम लिया. दोनों ने ही चीन के साथ बढ़ते मुकाबले का जिक्र किया. अपनी शुरुआती टिप्पणी में मार्क जकरबर्ग ने कहा कि चीन इंटरनेट का अपना अलग वर्जन ला रहा है जो बिल्कुल ही अलग नजरिये पर फोकस है और वह अपने वर्जन की बाकी देशों में संभावनाएं तलाश रहे हैं.
एपल के कुक ने ज्यूडिशियरी कमेटी की इस बात की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की कि स्मार्टफोन के मुकाबले वाले बाजार में चीन की हुआवेई भी शामिल है, जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है.
इस पूरे मामले पर सुंदर पिचाई और जेफ बेजॉस ने भी किसी तरह के गलत कामों से इंकार किया है और उन्होंने कहा कि वह सब कुछ अमेरिकी मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कर रहे हैं.
बता दें कि ये इस तरह से अपने आप में पहला मौका है जब इतनी बड़ी कंपनी के सीओ को किसी संसद के सामने इस तरह पेश होना पड़ा हो.
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