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आरोपों का लालू के पॉलिटिकल करियर पर अब तक क्या असर हुआ?

घोटालों, आरोपों की वजह से पाॅलिटिकल इमेज पर दाग लगने के बावजूद मजबूत होते गए लालू.

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राजनीति में दामन साफ रखना काफी मुश्किल है. घोटालों, आरोपों की वजह से कब नेताओं के साख पर बट्टा लग जाए, कोई नहीं जानता. हर राजनीतिक शख्स विपक्ष के निशाने पर टिका रहता है.

लेकिन लालू प्रसाद के पाॅलिटिकल करियर पर आरोपों और कार्रवाई का असर शायद नहीं पड़ा. कम से कम तथ्‍य और आंकड़े तो यही बताते हैं.

साल 2000 में जेल जाने के बाद भी चुनाव लड़कर उनकी पार्टी सत्ता में बनी रही. वहीं चुनाव लड़ने पर रोक लगने के बावजूद उन्होंने 2015 में बिहार की सत्ता में दमदार तरीके से वापसी की.

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चारा घोटाला केस

1990-97 के अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान लालू प्रसाद पर चारा घोटाला में शामिल होने का आरोप लगा. चारा घोटाला बिहार का सबसे चर्चित घोटाला था, जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.

चारा घोटाले मामले में 30 जुलाई, 1997 में लालू प्रसाद ने सीबीआई कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया.

लेकिन 2000 के बिहार असेंबली इलेक्शन में आरजेडी ने दोबारा जीत हासिल की. 293 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरजेडी को 124 सीटें हासिल हुई. पार्टी का वोट शेयर 28.34% रहा. राबड़ी देवी सीएम बनीं.
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साल 2015 का असेंबली इलेक्शन

लगातार चल रही कानूनी प्रक्रिया के बीच सितंबर 2013 में लालू प्रसाद को 11 साल (पांच साल जेल और रिहाई के बाद के छह साल) के लिए अयोग्य ठहराया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने से बचाने वाले एक प्रावधान को निरस्त कर दिया. अदालत के उस फैसले के बाद लालू ने लोकसभा सदस्यता गंवा दी. दोषी ठहराए जाने के बाद लालू को 5 साल की कैद और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई.

इसके बाद 2015 में बिहार असेंबली चुनाव हुए. लालू राज लगभग खत्म माना जा रहा था. आरजेडी ने कांग्रेस और जेडीयू के साथ महागठबंधन में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लालू का दबदबा कम नहीं हुआ. इस चुनाव में लालू की पार्टी को 80 सीटें मिलीं. महागठबंधन में सबसे अधिक वोट शेयर 18.35% के साथ बड़ी पार्टी रही. जेडीयू का 16.83% और कांग्रेस का वोट शेयर 6.66% रहा.

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घोटालों, आरोपों की वजह से पाॅलिटिकल इमेज पर दाग लगने के बावजूद मजबूत होते गए लालू.
आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव
(फोटो: PTI)
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अब आगे क्‍या होगा?

लालू प्रसाद के सामने इस बार हालात काफी अलग हैं. इस बार खुद लालू नए आरोप से घिर रहे हैं, साथ ही उनके परिवार के सदस्‍यों के खिलाफ भी बेनामी संपत्त‍ि मामले में कार्रवाई तेज हो रही है. लालू की पत्‍नी, बेटों और बेटियों की संपत्त‍ि जब्‍त होने की नौबत आ गई है.

ऐसे में अभी ये कहना बेहद मुश्किल है कि वक्‍त आगे कौन-सा मोड़ लेता है. हालांकि लालू का दावा है कि उनके परिवार पर लगे सारे आरोप झूठे हैं और वे इन मामलों से बेदाग होकर निकलेंगे.

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