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योगी जी,मेरे इलाहाबाद को बख्श दें क्योंकि प्रयागराज वो शहर तो नहीं

मेरे शहर को बख्श दो!

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अनुवाद: प्रबुद्ध जैन

वीडियो एडिटर: मो. इरशाद और विवेक गुप्ता

प्रयागराज वो शहर तो नहीं
जिसमें मैंने सपने देखना सीखा था
सपने जो मैं अब भी देखती हूं

प्रयागराज वो शहर तो नहीं
जहां अपनी छोटी सी साइकिल से
मैं नाप आती थी सारी संकरी गलियां
और गड्ढों में छिपी थोड़ी सी सड़क
अपनी लेडीबर्ड पर सवार होकर
खुद को किसी डिजनी फिल्म का
किरदार समझकर
कितनी खूबसूरत तस्वीरें मेरे
जेहन के कैनवस पर बनती रहीं

प्रयागराज वो शहर तो नहीं
जहां मैं पहली बार स्कूल गई
तेज धड़कते दिल के साथ
शर्ट अंदर दबी हुई
हथेलियां पसीने में भीगी हुई
और चेहरा?
वही बच्चों वाला...मासूम


प्रयागराज वो शहर तो नहीं

जहां सबसे पहले दोस्त बने
प्यार हुआ, दिल टूटा
उचक कर चांद छूने को दिल चाहा
अलसायी दोपहरी में ऊंघते रहे
तो कभी बारिश में अमरूद ढूंढ़ते रहे
पतंगें उड़ाईं, उड़ते जहाजों को सलाम किया
जहां प्लेनेटेरियम से पार्क तक का चक्कर लगाया
खामोश रातों को अपने सीक्रेट किस्से सुनाए
जहां मेरे दादा ने अपनी पूरी जिंदगी गुजारी
मां-पापा की शादी हुई
जहां आठों बार हैरी पॉटर पढ़कर
मैं खूब रोई

देश की यादों के साथ जो चाहे सो करो
लेकिन मेरे शहर को बख्श दो
अलग-थलग करने की इन कोशिशों को छोड़ दो
‘हिंदूकरण’ के इस कदम को पीछे लो
मेरे जैसे लाखों लोग अचानक 'बेघर' हो जाएंगे
घर ही तो याद है, घर ही तो नाम है
नाम के इस खेल को जीतने की कोशिश में
मैं तो बाहरी बनकर रह जाऊंगी
जैसे किसी अजनबी शहर में...गुमनाम

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देश-निकाला, NRC, मेरे शहर का बदला नाम

हजारों बेघर, बेदखल, बेइज्जत

इतिहास को मरोड़ तो सकते हो

लेकिन प्रयागराज फिर भी मेरा घर नहीं हो पाएगा

योगी आदित्यनाथ जी, मैं हाथ जोड़ती हूं

मेरे इलाहाबाद को बख्श दो!

ये भी देखें- इलाहाबाद को प्रयागराज बनाना जनभावना है या UP सरकार की मनमर्जियां?

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