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हे राम! अयोध्या मामले पर एंकर कर रहे जज का काम

शब्द जाल बिछाने के लिए सच की क्या जरूरत है?

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता/मोहम्मद इरशाद

अगर 'कोई मिल गया' का 'जादू' आज हिंदुस्तान आए और उसे गलतफहमी हो जाए कि अयोध्या विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को नहीं, बल्कि हमारे चैनलों के पांच एंकरों को करना है, तो उसे माफ कर दीजिएगा.

एंकरों के जज बन जाने में कम से कम एक अच्छी बात है- अयोध्या विवाद पर फैसले के लिए हमें एक महीने तक इंतजार करने की जरूरत नहीं.

उसके ऊपर 16 अक्टूबर को जब अयोध्या मामले पर सुनवाई खत्म हुई तो न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैण्डर्ड अथोरिटी ने बड़ी ऊबाऊ सी गाइडलाइन जारी की, कहा-

न्यूज चैनल अयोध्या पर फैसले को लेकर अंदाजा न लगाएं, पूर्वाग्रह न दिखाएं, दर्शकों को प्रभावित करने की कोशिश न करें, उग्र विचार न दिखाएं और बेकाबू बहस न करें

सवाल ये है कि-एजेंडा हमारा, हैशटैग हमारे, ये निष्पक्ष रिपोर्टिंग के पुजारी कहां से पधारे? #रंग_में_भंग

हम अयोध्या पर 17 नवंबर को आने वाले 5 जजों की बेंच के फैसले का इंतजार क्यों करें? जब हमें पहले से पता है कि फैसला क्या आने वाला है? जब हम कहते हैं सबसे तेज तो, कोई मजाक थोड़ी न करते हैं.

ABP की रूबिका लियाकत ने कोई गलती नहीं की. अयोध्या विवाद पर अभी सुनवाई खत्म ही हुई थी, फैसला आने में अभी एक महीना था, लेकिन उन्होंने हमें उस राम मंदिर के कोने-कोने के दर्शन करा दिए, जो बनने जा रहा है.

कोई नौसीखिया अयोध्या पर हैशटैग सोचेगा- #CountdownToVerdict. लेकिन टाइम्स नाउ के दिग्गजों ने हैशटैग चलाया #CountdownToRamMandir

असली दिग्गज तो और भी क्रिएटिव हो गए. चूंकि NBSA की गाइडलाइन भी इस पर कुछ नहीं कहती है, इसलिए रिपब्लिक ने कमाल के हैशटैग चलाए. #SunniSideBacksMandir और #MediationWorked

लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि महारथी अर्णब यहीं रुक गए तो आप जबरा लिबरल चैनलों से दूर हटिए. अर्णब ने तो सीधे सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन पर हल्ला बोल दिया था

सच-सच की रट लगाने वाले बोरिंग पत्रकार आपसे कहेंगे कि ये हिंदू बनाम मुस्लिम का झगड़ा नहीं है, मंदिर बनाम मस्जिद की बहस भी नहीं है. वो कहेंगे ये जमीन किसकी है, इसका विवाद है.

लेकिन खबर ये नहीं है....खबर तो ये है जो ABP न्यूज ने अयोध्या मामले पर सुनवाई खत्म होने के दस मिनट के अंदर दिखाई....-जय श्रीराम

राहुल शिवशंकर ने कहा भी है - सच और शब्दजाल को अलग करने का वक्त आ गया है...

सही कहा दोस्त - शब्द जाल बिछाने के लिए सच की क्या जरूरत है?

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