वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज और मो. इब्राहिम
13 अप्रैल 2018. वो दिन जब बाड़मेर के एक गांव, सरुपे का तला को त्रासदी ने घेर लिया. त्रासदी भी कोई ऐसी वैसी नहीं. गांव के तीन नाबालिगों का शव खेजड़ी के पेड़ से झूलता मिला. दो लड़कियां, एक लड़का. लाली और बेला (बदले हुए नाम) मेघवाल समुदाय से थीं, जबकि लड़का मेसुल (बदला हुआ नाम) मुस्लिम परिवार से.
पुलिस के मुताबिक ये खुदकुशी का मामला है. हालांकि, ‘हत्या’ और ‘हॉरर किलिंग’ जैसे शब्द भी गांव में होने वाली खुसुर-फुसुर का हिस्सा हैं. लाली और बेला के परिवार का आरोप है कि मेसुल और उसके दोस्त ने मिलकर उनका रेप किया और फिर हत्या. उसके दोस्त को पहले पुलिस हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में निर्दोष पाकर छोड़ दिया गया.
जब क्विंट, पूरे मामले की पड़ताल करने सरुपे का तला पहुंचा तो पता लगा कि सबके अपने हिस्से के सच हैं और अलग-अलग लोग उसी को पूरी कहानी के तौर पर देख रहे हैं.
‘ लड़कियों का रेप और मर्डर हुआ’
लाली के पिता, भैरोराम मेघवाल का आरोप है कि पुलिस तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर रही है. बेला, भैरोराम के छोटे भाई किशन की बेटी है. दोनों परिवार अगल-बगल ही रहते हैं.
एक पूरा गैंग है जो दलित लड़कियों को निशाना बनाता है. वो दोनों लड़के अकेले नहीं थे. उनके साथ कई और लोग भी थे. मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं. ये पक्का हत्या का मामला है, लेकिन पुलिस इसे खुदकुशी बता रही है. पुलिस को रिश्वत दी गई है. उन्होंने मेरा पहला बयान दर्ज नहीं किया और मुझसे एक खाली कागज पर साइन करा लिए.भैरोराम मेघवाल, लाली के पिता
वहीं मेसुल के पिता करीम खान ने क्विंट को बताया कि उनके बेटे पर उसके एक दोस्त का बुरा असर था. उन्होंने ये भी कहा कि इसको लेकर अपने बेटे से एक साल तक बात नहीं की. खान ने बताया, “मैंने उसके दोस्त के परिवार से कहा कि अपने बेटे को काबू करें, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. मेरा बेटा घर में बहुत कम रुकता था. सिर्फ साफ कपड़ों के लिए घर आता था.”
पुलिस सीधे तौर पर इसे प्रेम-प्रसंग और खुदकुशी का मामला बता रही है. गांव के कुछ और लोग भी दबी जुबान से प्रेम प्रसंग की बात मानते हैं. लेकिन सवाल है कि क्या इसके लिए किसी की जान ली जा सकती है?
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