उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 20 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. झड़प के दो दिन बाद, क्विंट को वहां के सीसीटीवी फुटेज मिले. फुटेज में दिख रहा है कि रात के अंधेरे में कई गाड़ियों, दुकानों, घरों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
ये सब कुछ शनिवार, 21 दिसंबर की रात खालापार इलाके में हुई हिंसा के बाद हुआ था. फुटेज में पुलिस की वर्दी में कुछ लोग मस्जिद के CCTV, कारों और घरों की खिड़कियों को तोड़ते हुए, लाठी का इस्तेमाल करते दिख रहे थे.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुजफ्फरनगर में ‘पुलिसवालों’ ने ही तोड़फोड़ की? क्यों सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए? क्यों विरोध प्रदर्शन के बाद इस तरह की कार्रवाई की गई? इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए क्विंट ने दिल्ली के तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील गुप्ता और तीस हजारी कोर्ट के सीनियर वकील शीतेज शर्मा से बात की.
मुजफ्फरनगर के एक स्थानीय शख्स ने कहा, “लोग CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. जिसके बाद पुलिसवालों ने लोगों पर गोली चला दी. उसके बाद पब्लिक भाग कर घरों में चली गई. फिर पुलिसवालों ने आकर हंगामा किया. उन लोगों ने कैमरे तोड़े, गाड़ियां तोड़ी.”
बता दें कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने को लेकर पूरे यूपी में अबतक कुल 327 एफआईआर दर्ज की गई हैं. 113 लोगों को गिरफ्तार किया गया. वहीं 5,558 लोगों पर एहतियातन कार्रवाई हुई है. पुलिस ने अपने आंकड़ों में बताया है कि प्रदर्शनों में कुल 19 लोगों की जान गई. 288 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं, जिसमें 61 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हुए हैं.
दंगाइयों की संपत्ति जब्त करने का आदेश
इन सबके साथ उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले मामले में पुलिस ने अबतक 498 लोगों की पहचान कर ली है. इन सभी 498 लोगों पर जुर्माना लगाया गया है. अगर इन सभी ने जुर्माने की भरपाई नहीं की तो उनकी संपत्ति जब्त करने का फरमान जारी हो चुका है.
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