केंद्र सरकार ने बुधवार, 27 दिसंबर को मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर-मसरत आलम गुट (MLJK-MA) को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत 'गैरकानूनी' घोषित कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश साफ है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा.अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर-मसरत आलम गुट क्या है?
मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर-मसरत आलम गुट एक संगठन है, जिस पर जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप लगे हुए हैं. इस वजह से सरकार ने इस संगठन को अब बैन कर दिया है.
संगठन का चीफ, मसर्रत आलम कौन है?
मसर्रत आलम भट, साल 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. वो कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का अध्यक्ष है और 2021 में यह पद संभाला.
50 वर्षीय मसर्रत आलम पर आतंकी फंडिंग का केस दर्ज है. इस केस में वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में है. कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन में कथित भूमिका के लिए उसे 2010 में गिरफ्तार किया गया था. सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने की वजह से वह जेल में ही है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मसर्रत आलम के खिलाफ 27 FIR दर्ज हैं और उन पर 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है. मार्च 2015 में, मसर्रत आलम को रिहा कर दिया गया, जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के खिलाफ प्रतिक्रिया शुरू हो गई, जो उस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में थी.
श्रीनगर में तत्कालीन सैयद अली शाह गिलानी के स्वागत के लिए एक रैली में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के बाद तत्कालीन मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार ने उसे अगले महीने 'देशद्रोह' और 'राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने' के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया.
मसर्रत आलम ने 2010 में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 120 से अधिक युवा मारे गए थे.
संगठन पर बैन लगने का क्या मतलब है?
संगठन को बैन किए जाने की अधिसूचना जारी होने के बाद अब इस संगठन की सदस्यता लेना या इसे फण्ड करना अवैध होगा. इस संगठन के सदस्य व्यक्तियों में से किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. अगर कोई भी नागरिक इस संगठन की सदस्यता लेता है, तो यह अपराध माना जाएगा.
सरकार इन संगठनों से जुड़ी संपत्तियों, बैंक खातों और कार्यालयों को भी जब्त कर सकती है.
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