मुंबई में घाटकोपर के असलफा गांव की रंगत बदलने के बाद 'चल रंग दे' की टीम ने खार डांडा को एक रंगीन मेकओवर दिया है. 2800 से ज्यादा वॉलंटियर्स की मदद से टीम ने 1200 दीवारों को पेंट किया है. इसके लिए देशभर के, और यहां तक कि काठमांडू के कलाकारों को दीवारों पर पेंटिंग बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. यहां इन्होंने ऐसे पेंटिंग बनाए, जो इस इलाके में रहने वाले लोगों की जिंदगी के अक्स को दर्शाते हैं.
इनका लक्ष्य सिर्फ मुंबई के इस हिस्से को सुंदर बनाना ही नहीं, बल्कि झुग्गी बस्ती के इन घरों को लंबे समय तक टिकाऊ बनाकर इनकी जिंदगी को बेहतर बनाना भी है. वाटरप्रूफ छतों की बदौलत घर के अंदर के तापमान को 4-5 डिग्री तक कम करने से लेकर इलाके में नाले की सफाई करने और जगह-जगह कूड़ेदान लगाने तक, इस टीम ने यहां के निवासियों की जिंदगी को कई तरीकों से बदलने की ठानी है.
“दीवारों और छतों को रंगने के अलावा हमने गटर के साथ-साथ इस इलाके के आसपास की सफाई पर बहुत ध्यान दिया. शुरुआत में जब हम यहां आए, तो सचमुच गटर आसपास के घरों से निकली बहुत सारी गंदगी और कचरे से भरा हुआ था. हमें पता चला कि इस जगह में कोई कूड़ेदान नहीं है. हम नाले पर बाड़ लगाने की योजना बना रहे हैं और इसमें फूलों से सजावट करेंगे, ताकि लोग उस पर ध्यान देंगे, और कचरे को नाले में फेंकना बंद कर देंगे.”-टेरेंस फेरेरा, को-फाउंडर, चल रंग दे
सस्टेनेबल छत घर के अंदर के तापमान को 4-5 डिग्री कम कर देता है और ये मॉनसून के दौरान शीट वाली अस्थाई छतों की तुलना में ज्यादा असरदार है. चल रंग दे की टीम जिंदगियों में रंग भरकर उन्हें बदल रही है.
“हम छतों को ऐसे मटीरियल से वॉटरप्रूफ बना रहे हैं, जो पानी के रिसाव को पांच साल तक रोकेगा. यह बहुत लम्बे समय तक टिकता है और इसके लिए टैरपॉलिन जितना खर्च ही आता है. इसके अलावा, हम छतों को रंगकर इस इलाके को एक रंगीन चादर से ओढ़ रहे हैं. जब आप इसे ऊपर से देखेंगे, तो आपको एक अलग तरह की मुंबई देखने को मिलेगी, जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा.”-देदीप्य रेड्डी, को-फाउंडर, चल रंग दे
पहली बार मुंबई के एक उपेक्षित इलाके में रंगों की चादर के साथ टिकाऊ छत है, जो बाहरी दुनिया को दिखाती है कि ये अंदर से कितनी खूबसूरत है.
कैमरा: संजॉय देब और यशपाल सिंह
कैमरा असिस्टेंट: गौतम शर्मा
प्रोड्यूसर: दिव्या तलवार
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