ADVERTISEMENTREMOVE AD

चुनाव ट्रैकर 14: हंग पार्लियामेंट, क्षेत्रीय नेताओं में कौन किधर?

चुनावी खबरों का सटीक एनालिसिस संजय पुगलिया के साथ

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

चुनाव ट्रैकर के चौदहवें एपिसोड में हम आपके सामने हैं, तो तैयार हो जाइए आज के चुनावी डोज के लिए. नौ दिन बाद चुनाव परिणाम सभी के सामने होंगे. लेकिन अगर हंग पार्लियामेंट होगी तो सत्ता की चाबी क्षेत्रीय दलों के हाथ में होगी. इसीलिए सभी का ध्यान क्षेत्रीय दलों पर लगा हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्षेत्रीय दलों में बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया कि-

पीएम श्री मोदी सरकार की नैया डूब रही है, इसका जीता-जागता प्रमाण यह भी है कि आरएसएस ने भी इनका साथ छोड़ दिया है व इनकी घोर वादाखिलाफी के कारण भारी जनविरोध को देखते हुए संघी स्वंयसेवक झोला लेकर चुनाव में कहीं मेहनत करते नहीं नजर आ रहे हैं जिससे श्री मोदी के पसीने छूट रहे हैं.
मायावती, अध्यक्ष, बीएसपी

मायावती का ये कहना है कि संघ के लोग बीजेपी के लिए काम नहीं कर रहे हैं. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि आरएसएस के लोग वैसे भी कभी सामने से काम नहीं करते हैं. संघ वाले ये भी नहीं मानते कि चुनाव प्रचार में उनका कोई रोल होता है. संघ ने ये जरूर कहा था कि 2014 में काम किया था क्योंकि जरूरी था. लेकिन संघ से बीजेपी में आए राम माधव ने कुछ दिन पहले ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा था- “ अगर बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, तो एनडीए के सहयोगियों के साथ बहुमत का आंकड़ा मिल जाएगा.” बाद में इसको लेकर उन्होंने सफाई भी दी. बीजेपी नेताओं की बड़ी-बड़ी रैलियां आज कल नजर नहीं आ रही है. संघ की भूमिका का भी पता नहीं चल पा रहा है. शायद इसलिए ही मायावती ने ये कहकर मजा लेने की कोशिश की.

ममता बनर्जी की विवादित तस्‍वीर इंटरनेट पर पोस्‍ट करने के मामले में गिरफ्तार बीजेपी कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. प्रियंका शर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पहले जमानत के लिए माफी की शर्त रखी, लेकिन फिर बिना माफी ही उन्हें जमानत दे दी. इस पर काफी चर्चा हुई. ये एक तरह से इंटोलेरेंस का मामला है कि अगर आप विरोधी के खिलाफ कुछ भी करेंगे तो आप पर कार्रवाई हो सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चुनाव में M फैक्टर

सिर्फ एक फेज की वोटिंग बची हुई है. लेकिन जो हालात हैं उनमें सभी की नजर क्षेत्रीय दलों पर टिकी हुई है. इसमें एम फैक्टर की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एम फॉर मोदी, एम फॉर मोहन भागवत, एम फॉर मायावती, एम फॉर ममता और एम फॉर एमके स्टालिन. ये इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन जो एम सबसे ऊपर है, वो है मतदाता. जो आगे की कहानी तय करेगा.

केसीआर अभी सबसे ज्यादा सक्रीय हैं. नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. फेडरल फ्रंट की कोशिशों में जुटे हुए हैं. लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर है कि डीएमके ने ये साफ कर दिया है कि वो यूपीए का हिस्सा हैं. उल्टा केसीआर को ये सलाह दी है कि आपको भी यूपीए में शामिल हो जाना चाहिए.

ऊधर जेडीयू के सीनियर लीडर केसी त्यागी ने बिहार को स्पेशल स्टेटस की बात कर दी है. इसको राजनीति की भाषा में दूसरा अवसर तलाशना भी कहते हैं. क्या जेडीयू भी दीवार पर लिखी हुई कोई और इबारत पढ़ रही है. लग रहा है सभी पार्टियां अपनी संभावनाएं खुली रखना चाहती हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×