''चुनाव का महीना, है मच गया शोर...''
संगीतकार-गायक राहुल राम के इस गाने को सुनने के बाद लोग हंसते हैं, जोरदार तालियों के साथ अभिवादन भी करते हैं. क्योंकि ऐसी तैसी डेमोक्रेसी का गाना 'चुनाव का महीना' पंचलाइन्स से भरा हुआ है. ऐसी तैसी डेमोक्रेसी के इस आजादी टूर में पॉलिटिकल कॉमेडी की जा रही है और देशभर में इसके सभी शो हाउसफुल हैं. हैदराबाद में हो रहे इनके शो से पहले हम ‘चुनाव का महीना’ बनाने वाली इस टीम से चुनाव की चर्चा करने के लिए मिले.
ऐसी तैसी डेमोक्रेसी में संगीतकार राहुल राम, स्टैंड अप कॉमेडियन संजय रजौरा और लेखक-गीतकार-स्टैंड अप कॉमेडियन वरुण ग्रोवर हैं. इन सब ने हमारे साथ मोदी सरकार के दौरान बने डर के माहौल, फनी वॉट्सऐप फॉर्वर्ड और ट्रोलिंग के मेनस्ट्रीम हो जाने पर बात की.
मोदी नहीं तो कौन?
इस सवाल पर संजय रजौरा का कहना है कि ये बेतुका सवाल है. हमें कोई घर में प्लंबर का काम नहीं है कि एक नहीं आया तो कौन आएगा. वरुण ग्रोवर कहते हैं कि 543 सांसद चुनकर आएंगे उनमें से कोई भी बन सकता है पीएम . राहुल राम अपने गाने के जरिए जवाब देते हैं...
ममता जी, माया, पवार-सबका है सपना, पीएम की कुर्सी पर नाम हो अपना. सोनिया, मुलायम का भी तो है सपना पीएम की कुर्सी पर मुन्ना हो अपना.
डर का माहौल
वरुण ग्रोवर का कहना है कि पॉलिटिकल कॉमेडी करने पर लोग हमें बहादुर कहते हैं. ऐसा पूछने का मतलब क्या है. यही कि उन्हें भी लगता है कि डर का माहौल है. जबकि पहले की सरकारों के दौरान ऐसा नहीं कहा जाता था.
राहुल राम कहते हैं कि पिछले 5 सालों में सोशल मीडिया पर नफरत बहुत बढ़ी है. रेप और जान से मारने की धमकियां आम हो गई है. संजय राजौरा का इसपर कहना है कि अब लोगों की सच्चाई सामने आ रही है. पहले जो लोग कहीं छुपे हुए थे वो अब सामने आकर धमकियां देते हैं.
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