दुनिया के 114 देशों में कोरोनावायरस डिजीज (COVID-19) के 1,18,000 से ज्यादा मामले सामने आने के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने नोवल कोरोनावायरस से होने वाली इस बीमारी को 'वैश्विक महामारी' घोषित कर दिया है.
WHO की ओर से कहा गया कि 'वैश्विक महामारी' शब्द को हल्के या लापरवाही से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. लेकिन इसे 'वैश्विक महामारी' घोषित किए जाने से घबराने की जरूरत नहीं है.
संगठन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि COVID-19 को वैश्विक महामारी घोषित किए जाने से इस बीमारी की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
किसी बीमारी को 'वैश्विक महामारी' कब घोषित किया जाता है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन 'Pandemics' को आसान शब्दों में 'दुनिया भर में बीमारी का फैलना' बताता है. इससे महामारी कितनी खतरनाक है इसका पता नहीं चलता.
‘वैश्विक महामारी’ ये शब्द तब इस्तेमाल किया जाता है, जब दुनिया भर में कोई बीमारी फैल रही हो.
जैसा कि COVID-19 के मामले में हुआ, दिसंबर 2019 में नोवल कोरोनावायरस सबसे पहले वुहान के सीफूड मार्केट से फैला. अब हालात ये हैं कि दुनिया के 114 देशों में इसके मामले सामने आए हैं.
2002-2003 में SARS एक प्रकोप बना रहा, इसे वैश्विक महामारी नहीं कहा गया. पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 में इबोला और 2016 में जीका के प्रकोप के साथ भी यही हुआ. हालांकि COVID-19 से पहले साल 2009 में H1N1 फ्लू को वैश्विक महामारी कहा गया था.
WHO के आर्टिकल में वैश्विक महामारी को दुनिया भर में होने वाली महामारी, या बहुत व्यापक क्षेत्र में, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने और आमतौर पर बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने के रूप में परिभाषित किया गया है.
इस लेख के मुताबिक महामारी का संबंध किसी बीमारी के भीषण रूप लेने से ज्यादा अधिक से अधिक जगहों पर फैलने से है.
WHO के अनुसार नोवल कोरोनावायरस की वजह से मृत्यु दर 3.4% है, जिसमें 81% मरीजों में हल्के लक्षण दिखे हैं.
इसे वैश्विक महामारी इसलिए घोषित किया गया है ताकि सभी तैयार रहें. ये अलार्म है, इसके जरिए ग्लोबल लीडर्स को हर मुमकिन कदम उठाने की अपील की जा रही है.
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