ADVERTISEMENTREMOVE AD

मेरठ के गांव में 'फ्लू' से 30 दिन में 30 मौत-ग्राउंड रिपोर्ट

मेरठ के एक गांव से UP के हेल्थ सिस्टम पर आंखे खोल देने वाली रिपोर्ट

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैमरा: अथर राथर

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) जिले के अमेहरा आदिपुर गांव में सड़कें खाली हैं. कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण के डर से लोगों ने खुद को घरों में बंद कर लिया है.

वे खुद को वायरस से सुरक्षित रखने के लिए घरेलू नुस्खे भी आजमा रहे हैं. हम अभी हाल में अंजू वर्मा से मिले, जिन्होंने 7 मई को अपने पति शीशपाल वर्मा को कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से खो दिया. उन्होंने क्विंट को बताया कि इस गांव में कोई जांच केंद्र नहीं है. कोई टीकाकरण योजना नहीं है, एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) है, जो काम ही नहीं करता.

अमेहरा आदिपुर गांव से कुछ ही दूर है गगोल गांव, इस गांव में 38 साल के नवाब की जान कोविड-19 की वजह से चली गई. नवाब के पिता सुखबिर सिंह का कहना है कि अगर उसका ठीक से इलाज हुआ होता, तो उनका बेटा बच सकता था.

जब वो (नवाब) बीमार हुआ, तब मैंने उससे कहा था कि वो किसी डॉक्टर से जांच करवा ले, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी और खुद ही यह कहकर दवाई लेनी शुरू कर दी कि उसे सिर्फ खांसी की शिकायत है
सुखबिर सिंह, गगोल गांव मेरठ.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मेरठ उत्तर प्रदेश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है. 18 मई को ही जिले में लगभग 20 मौतें हुई और 453 नए कोरोना केस सामने आए थे.

गगोल के रहने वाले और पूर्व सरपंच कुसुमलता के पति महेंद्र सिंह ने क्विंट को बताया है कि 15 मार्च से लगभग 20-30 लोगों की जान ‘फ्लू जैसी बीमारी’ से जा चुकी है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि गांव में अबतक सिर्फ 18 मौतें हुई हैं, जिसमें कोरोना की वजह से 2 जानें गई हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
15 मार्च से जिनकी भी जान गई है, मैंने उसे अपने रजिस्टर में दर्ज किया है. मेरी लिस्ट में 30 नाम हैं, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक अभी तक सिर्फ 18 मौतें हुई हैं
महेंद्र सिंह, गगोल गांव, मेरठ

अमेहरा आदिपुर गांव के प्रधान रॉबिन सिंह ने भी क्विंट को बताया है कि पिछले एक महीने में ‘फ्लू जैसी बीमारी’ के कारण गांव में लगभग 20-25 लोगों की मौत हो चुकी है. लोग काफी डरे हुए हैं और खुद ही घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रॉबिन सिंह आगे बताते हैं कि

यहां कोई टेस्टिंग सेंटर नहीं है, ना ही प्रशासन गांव को सेनिटाइज करने के लिए भेजता है. कोरोना के कारण गांव में कई मौतें हो गई हैं, उसके बाद भी कोई मदद नहीं मिली.
रॉबिन सिंह, अमेहरा आदिपूर गांव, मेरठ

गगोल के रहने वाले मृतक नवाब के भाई रामधीर सिंह ने क्विंट को बताया कि अगर उनके गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होता, तो उनके भाई की जान बचा सकते थे.

वहीं अमेहरा आदिपुर की अंजू वर्मा का कहना है कि उन्हें हर छोटी-बड़ी बीमारी के लिए शहर जाना पड़ता है, क्योंकि उनके गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़े रहते हैं.

पढ़ें ये भी: ब्लैक फंगस के क्या लक्षण, किन्हें खतरा- डॉ वर्गीज दे रहे हर जवाब

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×