2010 और 2018 के बीच गोरक्षकों की ओर से यूपी में जितनी हिंसा की घटनाएं हुई हैं, उनमें करीब 70 फीसदी मामले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए हैं.
तो क्या योगी राज में केवल गोरक्षक ही ताकतवर हुए हैं?
इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक गोरक्षकों से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. ये वो मामले हैं जिनमें गोहत्या या गो तस्करी का सिर्फ शक होने पर लोग मार डाले गये या फिर घायल हुए.
योगी के सत्ता में आने से ठीक पहले
- 2016 में हिंसा की घटनाएं= 2, मौत=1
- 2018 में हिंसा की घटनाएं= 6, मौत=4
यूपी के बुलंदशहर में इस खतरनाक बल्कि बेहद खतरनाक हरकत के शिकार दो और लोग हुए हैं. इनमें से एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को भीड़ ने दौड़ाया, पत्थर मारे और फिर गोली दाग दी. ये भीड़ पास के जंगल में गायों के शव के मिलने पर जमा हुई थी.
ड्यूटी पर जवान की मौत, और वो भी जब गोरक्षकों के हाथों हुई हो तो आप उम्मीद यही करेंगे कि मुख्यमंत्री गोरक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश देंगे.
लेकिन, खबर ये है कि राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ मीटिंग में योगी आदित्यनाथ ने हिंसा के जिम्मेदार लोगों के बजाय गो हत्या की घटना में शामिल लोगों पर अधिक ध्यान देने का फैसला किया है.
यहां सवाल ये पैदा होता है कि क्या मुख्यमंत्री को अपनी पुलिस फोर्स से ज्यादा चिंता गाय की है? क्या मोदी गाय की चिंता ज्यादा करते हैं?
हालांकि, योगी गोरक्षकों के मुद्दे पर ज्यादातर चुप रहे हैं, मगर उत्तर प्रदेश में ये प्रवृत्ति ही इस बड़ी समस्या की वजह है. आज के भारत में गोरक्षक भीड़ की हिंसा की आशंका, जिसका अंजाम मौत होता है, 2017 में 30 फीसदी के मुकाबले 2018 में 48 फीसदी हो चुकी है.
ये आंकड़ा और भी बुरा हो जाता है अगर आप मुस्लिम हैं! क्योंकि इंडिया स्पेंड के आंकड़े बताते हैं कि जिन लोगों पर हमले हुए हैं उनमें 55 फीसदी मुसलमान हैं और उनमें से 86 फीसदी लोग गोरक्षकों के हाथों मारे गए हैं. क्योंकि घायल होने या मारे जाने के बाद भी कोई बीजेपी नेता ऐसी घटना से इनकार कर सकता है
या फिर यहां तक कि गाय के नाम पर हत्या के आरोपियों का महिमामंडन किया जा सकता है.
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