हैप्पी वैलेंटाइन डे इंडिया... कहें या ना कहें?
14 फरवरी को हमारे अखबार वैलेंटाइन डे के विज्ञापनों और बंपर ऑफर से भरे होंगे. सड़कों पर, मॉल्स में, रेस्तरां में, टीवी पर- हर जगह इजहार-ए-इश्क होगा.
लेकिन सवाल ये है कि क्या इंडिया वैलेंटाइन डे मनाने का हकदार है? ये मोहब्बत का उत्सव है, लेकिन मोहब्बत अलग-अलग कास्ट यानी अलग जात के लोगों के बीच नहीं होनी चाहिए.
4 फरवरी को जयपुर के एक अस्पताल में लोगों ने एक जाट महिला का शव उठाने से मना कर दिया, क्योंकि वो एक दलित युवक से प्यार करती थी. तमिलनाडु के तिरुपुर में एक दलित युवक को सरेआम-भरे बाजार काट डाला गया, क्योंकि उसने ऊंची जात वाली हिंदू लड़की से शादी की थी.
देखते हैं कुछ और हेडलाइंस, जिन पर इश्क-विरोधी ब्रिगेड के ठेकेदार गर्व कर सकते हैं.
- चेन्नई में नए-नवेले जोड़े को जान से मारने की धमकियां मिलती हैं, क्योंकि दोनों अलग जाति के हैं.
- शादी के चार साल बाद लड़का और लड़की को गोली से उड़ा दिया जाता है. कारण वही.
आप अपने परिवार से प्यार करते हैं- ये साबित करने का इससे अच्छा तरीका क्या होगा कि किसी की हत्या कर दो. यानी हॉरर किलिंग.
5 फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर दो बालिग शादी करते हैं, तो कोई टांग नहीं अड़ा सकता. ना माता-पिता, ना समाज ना कोई खाप पंचायत.
ये भी पढ़ें : खाप को SC की फटकार, दो बालिग की शादी रोकने का हक किसी को नहीं
आप जानते हैं इसके जवाब में खाप पंचायत ने क्या कहा था?
अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के आदेश देगा, तो हम लड़कियां पैदा ही नहीं होने देंगे. उन्हें पढ़ने-लिखने नहीं देंगे, ताकि वो ऐसे फैसले खुद ले ही ना पाएं.सुप्रीम कोर्ट पर खाप पंचायतों की प्रतिक्रिया
हो सकता है, आपको लगता हो कि पढ़े-लिखे शहरी भारतीय इस तरह से नहीं सोचते. किसी मैट्रिमोनियल साइट पर लॉग ऑन कीजिए. या फिर किसी अखबार का मैट्रिमोनियल सेक्शन खोलिए. आपको पता लगेगा कि शहरी इश्क भी कितना कास्टिस्ट है.
तो वैलेंटाइन डे पूरी तरह मनाइये. जाति की दीवारों में बंधकर नहीं.
ये मोहब्बत का उत्सव है, लेकिन मोहब्बत अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच नहीं होनी चाहिए.
- अंकित सक्सेना का कत्ल कर दिया गया, क्योंकि उसकी मोहब्बत दूसरे धर्म की थी.
- आरोप है कि रिजवानुर रहमान को खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया गया, क्योंकि उसने एक हिंदू उद्योगपति की बेटी से शादी की थी.
- और हदिया, एक हिंदू लड़की जिसने एक मुस्लिम से शादी के लिए इस्लाम कबूला, लेकिन उसकी शादी केरल हाई कोर्ट ने रद्द कर दी.
और सिर्फ वो लोग ही क्यों. आप, मैं, हम सब ऐसे दोस्तों को जानते हैं, जिन्होंने दूसरे धर्म का साथी चुना, तो माता-पिता, रिश्तेदार और ‘शुभचिंतकों’ ने उसे रोकने में.. उन्हें सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
तो वैलेंटाइन डे मनाना है, तो पूरी तरह मनाइये. उन लोगों के हक में खड़े होकर, जो धर्म की सरहदें तोड़कर मोहब्बत करते हैं.
आपको सिर्फ इसलिए अपने साथी से अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके प्रार्थना या सजदा करने का तरीका आपसे अलग है. और जब आपके अंकल, आंटियां, माता या पिता कहें कि ‘दुनिया ऐसे ही चलती है’ तो उन्हें बताइये कि वे गलत हैं.
ये मोहब्बत का उत्सव है, लेकिन मोहब्बत पुरुष की पुरुष और स्त्री की स्त्री के बीच नहीं होनी चाहिए.
साल 2010 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रामचंद्र सिरास को एक दूसरे आदमी के साथ सेक्स करने के जुर्म में समाज से बेदखल कर दिया गया. उन्हें डराया-धमकाया गया. और एक दिन संदिग्ध हालात में उनकी मौत हो गई.
ये साल 2018 है और हमारा कानून अब भी समलैंगिकता को अपराध मानता है.
ये भी देखें : धारा 377 पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
हमारे कई धार्मिक नेता, पॉलिटीशियन सोचते हैं कि होमोसेक्सुएलिटी अन-नेचुरल है, अप्राकृतिक है, पश्चिमी देशों से आया कोई पाप है.
तो इस साल वैलेंटाइन डे मनाना है, तो तरीके से मनाइये. छतों पर खड़े होकर चिल्लाइये कि प्यार, प्यार है चाहे वो समलैंगिक ही क्यों ना हो.
तो अगर आप प्यार का उत्सव वैसे मनाना चाहते हैं, जैसे समाज उसे मनाता है- शर्माते हुए, संकुचाते हुए, छिपते-छिपाते, जात-बिरादरी की सरहदों के भीतर- तो मैं आपके साथ नहीं हूं.
मैं ऐसा इंडिया नहीं चाहता. वो इंडिया जो इश्क से मोहब्बत नहीं करता. वो इंडिया जो प्यार से प्यार नहीं करता.
हैप्पी वैलेंटाइन डे इंडिया. ये वक्त है, जब हम प्यार के लिए लड़ें. चाहे वो अलग जात का हो, अलग धर्म का हो या फिर अलग सेक्स का हो.
आखिर, प्यार पर सबका हक है.
स्क्रिप्ट- मेघनाद बोस
कैमरा : शिव कुमार मौर्या
वीडियो एडिटर : पूर्णेंदु प्रीतम
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)