वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
कोरोना वायरस महामारी और इसके बाद होने वाले लॉकडाउन ने हमारे आसपास की कई कड़वी सच्चाई से रुबरु कराया है. एक बात जो भारत में साफ दिखती है वो है वर्ग विभाजन. हम सभी ने देखा कि कैसे लॉकडाउन के बाद ग्रामीण दिहाड़ी मजदूर शहरों से वापस अपने घर के लिए निकल पड़े.
लेकिन प्रवासियों, भूखे और गरीबों की दिल दहला देने वाली कहानियों के बीच, मानवता में विश्वास बहाल करने वाली कहानियां भी मौजूद हैं. देशभर में अलग-अलग जगहों पर गरीबों और जरूरतमंदों को राहत सामग्री और खाना खिलाने वाले, उनकी मदद करने के लिए कई लोग सामने आए.
कई एनजीओ लोगों की मदद कर रहे हैं, साथ ही साथ कुछ स्थानीय निवासी और व्यापारी भी गरीबों की मदद के लिए आगे आए हैं. पुरानी दिल्ली के लोग, दुकानदार राहत पैकेज और खाना लेकर लोगों की सेवा कर रहे हैं.
जवाहरलाल नेहरू के नाम पर जामा मस्जिद के पास चलने वाला मशहूर अल-जवाहर रेस्टोरेंट के मालिक दाल, चावल, आटा, तेल और नमक जैसे आवश्यक सामान आसपास फंसे लोगों को बांट रहे हैं. वे पूर्वी दिल्ली में परिवारों के पास भी पहुंच रहे हैं. ऐसे कई लोग हैं जो इन पैकेजों को लेने के लिए रेस्टोरेंट में आते हैं.
उनके मुताबिक वो सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए लोगों के घर तक राहत पैकेज के साथ पहुंच रहे हैं ताकि रेस्टोरेंट के बाहर लाइन न लगे.
ठीक इसी तरह कई लोग मटियामहल के मददगारों पर निर्भर हैं जो रोज दिन में 1 बजे और रात 8 बजे खाना खिलाते हैं. यहां दुकानों के मालिकों का समूह घर से खाना बनाकर लाता है.
पूरे भारत में जारी लॉकडाउन में गरीब और जरूरतमंद न सिर्फ कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं बल्कि वे भूख से भी लड़ रहै हैं. हालांकि पुरानी दिल्ली में मिल रहा 2 वक्त का खाना उनकी जिंदगी की मुश्किलों को थोड़ा कम तो कर ही रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)